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जब दिव्यांग बच्चे को कंधे पर बैठाए मां पहुंची जिलाधिकारी कार्यालय... - मां के कंधे पर दिव्यांग पुत्र

पेट की आग क्या से क्या न करा दे साहेब. ऐसा ही कुछ एक मां अपने दिव्यांग पुत्र को कंधे पर बैठाए जिलाधिकारी कार्यालय गुहार लगाने के लिए पहुंची. दुखी मां ने बताया कि उसका एक ही जीवन का सहारा उसका पुत्र है. आमदनी का जरिया कुछ नहीं है. जिसके कारण भारी समस्याओं से गुजरना पड़ रहा है.

मां ने दिव्यांग बच्चे को बैठाया कंधे पर.
मां ने दिव्यांग बच्चे को बैठाया कंधे पर.
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Published : Nov 7, 2020, 8:06 PM IST

मथुराः पीड़िता काशीराम कॉलोनी की रहने वाली प्रेम देवी हैं. गरीब प्रेम देवी के जीने का सहारा उनका एकमात्र बेटा है, लेकिन यह उनकी बदकिस्मती है कि इस मां का सहारा दिव्यांग है. गरीबी और बदकिस्मती के चलते प्रेम देवी जिलाधिकारी से मिलने उनके कार्यलय पहुंची. इस दौरान उन्होंने अपने दिव्यांग बेटे को अपने कंधे पर बैठाया.

मां ने दिव्यांग बच्चे को बैठाया कंधे पर.

राशन कार्ड न होने से नहीं मिल रहा राशन
सरकारी योजनाओं से वंचित पीड़िता जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची. साथ ही गांव से सरकारी योजनाओं के लाभ दिए जाने की जिलाधिकारी से गुहार लगाई. प्रेम देवी ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का भी कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. सरकार द्वारा गरीबों के लिए सरकारी राशन की दुकानों पर गेहूं और चावल वितरित कराए जा रहे हैं, लेकिन राशन कार्ड न होने के कारण वह भी लाभ नहीं मिल पा रहा है. वहीं जिलाधिकारी ने पीड़ित महिला को जल्द ही राशन कार्ड बनवाने का आश्वासन दिया.

नहीं है और कोई घर में कमाने वाला
घर में कमाने का कोई और जरिया न होने से प्रेम देवी ने लॉकडाउन के दौरान भी लोगों के घरों से मांगकर अपना और अपने बेटे का पेट भरा. कहने को तो सरकार गरीबों के लिए तमाम योजनाओं का दावा करती है. लेकिन प्रेम देवी और उनके दिव्यांग बेटे को आज तक किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला. अब सवाल है कि यह गरीब परिवार आखिर कहां जाए. किस से भीख मांगे और कौन उसका सहारा बने.

मांग कर खाने को मजबूर परिवार
गरीबी की मार झेल रही एक असहाय मां अपने दिव्यांग बेटे को कंधे पर बैठाकर सरकारी योजनाओं का लाभ पाने की उम्मीद में प्रशासन के आला अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर है. पीड़ित मां प्रेम देवी का कहना है कि किसी भी सरकारी योजना का उन्हें लाभ नहीं मिल पाया है. उनका एकमात्र जीवन का सहारा उनका बेटा दिव्यांग है. घर में आमदनी का कोई जरिया नहीं है, जिसके चलते इधर-उधर से लोगों से मांग कर अपना और अपने बेटे का पेट भरना पड़ता है.

मथुराः पीड़िता काशीराम कॉलोनी की रहने वाली प्रेम देवी हैं. गरीब प्रेम देवी के जीने का सहारा उनका एकमात्र बेटा है, लेकिन यह उनकी बदकिस्मती है कि इस मां का सहारा दिव्यांग है. गरीबी और बदकिस्मती के चलते प्रेम देवी जिलाधिकारी से मिलने उनके कार्यलय पहुंची. इस दौरान उन्होंने अपने दिव्यांग बेटे को अपने कंधे पर बैठाया.

मां ने दिव्यांग बच्चे को बैठाया कंधे पर.

राशन कार्ड न होने से नहीं मिल रहा राशन
सरकारी योजनाओं से वंचित पीड़िता जिलाधिकारी कार्यालय पहुंची. साथ ही गांव से सरकारी योजनाओं के लाभ दिए जाने की जिलाधिकारी से गुहार लगाई. प्रेम देवी ने आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का भी कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है. सरकार द्वारा गरीबों के लिए सरकारी राशन की दुकानों पर गेहूं और चावल वितरित कराए जा रहे हैं, लेकिन राशन कार्ड न होने के कारण वह भी लाभ नहीं मिल पा रहा है. वहीं जिलाधिकारी ने पीड़ित महिला को जल्द ही राशन कार्ड बनवाने का आश्वासन दिया.

नहीं है और कोई घर में कमाने वाला
घर में कमाने का कोई और जरिया न होने से प्रेम देवी ने लॉकडाउन के दौरान भी लोगों के घरों से मांगकर अपना और अपने बेटे का पेट भरा. कहने को तो सरकार गरीबों के लिए तमाम योजनाओं का दावा करती है. लेकिन प्रेम देवी और उनके दिव्यांग बेटे को आज तक किसी भी सरकारी योजना का लाभ नहीं मिला. अब सवाल है कि यह गरीब परिवार आखिर कहां जाए. किस से भीख मांगे और कौन उसका सहारा बने.

मांग कर खाने को मजबूर परिवार
गरीबी की मार झेल रही एक असहाय मां अपने दिव्यांग बेटे को कंधे पर बैठाकर सरकारी योजनाओं का लाभ पाने की उम्मीद में प्रशासन के आला अधिकारियों के कार्यालयों के चक्कर काटने को मजबूर है. पीड़ित मां प्रेम देवी का कहना है कि किसी भी सरकारी योजना का उन्हें लाभ नहीं मिल पाया है. उनका एकमात्र जीवन का सहारा उनका बेटा दिव्यांग है. घर में आमदनी का कोई जरिया नहीं है, जिसके चलते इधर-उधर से लोगों से मांग कर अपना और अपने बेटे का पेट भरना पड़ता है.

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