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बंदियों को सुविधा देने के नाम पर परिजनों से हो रही वसूली - मथुरा हिंदी खबरें

मथुरा कारागार में बंदियों को सुविधा देने के लिए उनके परिजनों से पैसों की वसूली की जा रही है. इस संबंध में कारागार प्रशासन का कहना है कि जेल के अंदर बनी कैंटीन से बंदी सामान खरीद सकें, इसलिए उनके परिजनों से पैसे लिए जाते हैं.

मथुरा कारागार
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Published : Jan 3, 2021, 4:11 PM IST

मथुरा: जिला कारागार मथुरा में बंदियों को सुविधा मुहैया कराने के नाम पर कारागार प्रशासन बंदियों के परिजनों से पैसे वसूल रहा है. बंदी से मिलने आए परिजनों ने बताया कि अंदर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हम प्रशासन को पैसे देते हैं. इस संबंध में जिला कारागार अधीक्षक ने बताया कि जिला कारागार में कैंटीन हैं. वहां से सामान खरीदने के लिए बंदी अपने परिजनों से पैसे लेते हैं, जिससे वह अपनी मनचाही खाने की वस्तु कैंटीन से खरीद सकें.

परिजनों से हो रही वसूली
बंदियों के नाम से आते हैं पैसेजिला कारागार मथुरा अधीक्षक शैलेंद्र कुमार ने बताया कि किसी बंदी के नाम से प्राप्त होने वाले पैसे को हम अपने अकाउंट में जमा करते हैं. उस पैसे से बंदी कैंटीन से सामान खरीद सकता है. बंदियों को चाय और बिस्किट हम देते हैं. बाकी जैसे नमकीन, आचार या कोई भी सीलबंद वस्तु हम अपनी कैंटीन से बंदी को उपलब्ध कराते हैं. इन सामानों को परिजनों को लाने की अनुमति नहीं है, क्योंकि उस खाद्य पदार्थ में मिलावट की संभावना हो सकती है.

10% ज्यादा में बेचते हैं सामान
हम लोग सामान का बाजार में जो भी मूल्य होता है, उसका 10% ज्यादा बंदी से लेते हैं. वह 10% बंदी कल्याण कोष में जमा होता है. जब बंदियों के कल्याण का कोई भी कार्यक्रम होता है तो उस कोष का इस्तेमाल किया जाता है.

मथुरा: जिला कारागार मथुरा में बंदियों को सुविधा मुहैया कराने के नाम पर कारागार प्रशासन बंदियों के परिजनों से पैसे वसूल रहा है. बंदी से मिलने आए परिजनों ने बताया कि अंदर सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए हम प्रशासन को पैसे देते हैं. इस संबंध में जिला कारागार अधीक्षक ने बताया कि जिला कारागार में कैंटीन हैं. वहां से सामान खरीदने के लिए बंदी अपने परिजनों से पैसे लेते हैं, जिससे वह अपनी मनचाही खाने की वस्तु कैंटीन से खरीद सकें.

परिजनों से हो रही वसूली
बंदियों के नाम से आते हैं पैसेजिला कारागार मथुरा अधीक्षक शैलेंद्र कुमार ने बताया कि किसी बंदी के नाम से प्राप्त होने वाले पैसे को हम अपने अकाउंट में जमा करते हैं. उस पैसे से बंदी कैंटीन से सामान खरीद सकता है. बंदियों को चाय और बिस्किट हम देते हैं. बाकी जैसे नमकीन, आचार या कोई भी सीलबंद वस्तु हम अपनी कैंटीन से बंदी को उपलब्ध कराते हैं. इन सामानों को परिजनों को लाने की अनुमति नहीं है, क्योंकि उस खाद्य पदार्थ में मिलावट की संभावना हो सकती है.

10% ज्यादा में बेचते हैं सामान
हम लोग सामान का बाजार में जो भी मूल्य होता है, उसका 10% ज्यादा बंदी से लेते हैं. वह 10% बंदी कल्याण कोष में जमा होता है. जब बंदियों के कल्याण का कोई भी कार्यक्रम होता है तो उस कोष का इस्तेमाल किया जाता है.

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