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मथुरा में शाही ईदगाह के निरीक्षण के लिए फिलहाल नहीं जाएगा सरकारी अमीन - शाही ईदगाह का सर्वे

श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद (Krishna Janmabhoomi Dispute) में सरकारी अमीन विवादित शाही ईदगाह का निरीक्षण करने फिलहाल नहीं जाएगा. चलिए जानते हैं पूरे मामले के बारे में.

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mathura shahi mosque survey श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद Krishna Janmabhoomi Dispute शाही ईदगाह का सर्वे
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Published : Jan 2, 2023, 6:24 AM IST

Updated : Jan 2, 2023, 8:42 PM IST

मथुरा: सोमवार को जनपद के सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में श्री कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण के प्रतिवादी शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के अधिवक्ताओं ने पिछले दिनों हुए आदेश को लेकर आपत्ति प्रार्थना पत्र न्यायालय में दाखिल किया. न्यायालय 20 जनवरी प्रकरण को लेकर सुनवाई करेगा और सरकारी अमीन विवादित स्थान पर नहीं भेजेगा जब तक प्रतिवादी को केस की कॉपी उपलब्ध नहीं करा दी जाती है. मुस्लिम पक्ष को भी अपनी बात रखने का मौका दिया गया है.


जनपद के सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में हिंदू सेना के प्रार्थना पत्र पर आदेश करते हुए विवादित स्थान पर सरकारी अमीन निरीक्षण के आदेश दिए गए थे और मौके पर जाकर मौका मुआयना करते हुए नक्शा बनाकर अपनी रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए लेकिन सोमवार को शीतकालीन अवकाश खत्म होने के बाद मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति दाखिल करते हुए कोर्ट में कहा प्रतिभागियों को बिना नोटिस दिए एक तरफा फैसला सुनाया गया. बात रखने का मौका भी नहीं दिया. फिलहाल 20 जनवरी को श्री कृष्ण जन्मभूमि प्रकरण को लेकर सुनवाई होगी, तब तक सरकारी अमीन मौके पर नहीं जाएगा.

इस बारे में शाही ईदगाह मस्जिद के सचिव तनवीर अहमद ने बताया कि सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में सोमवार को पिछले दिनों हुए आदेश को लेकर आपत्ति दाखिल की गई थी. नो वर्क होने के कारण कोर्ट ने हमारी बात सुनी, हमने प्रार्थना पत्रों में बात कही थी, जब तक अन्य प्रार्थना पत्रों का निस्तारण नहीं हो जाता तब तक विवादित स्थान पर सरकारी अमीन न भेजा जाए और न्यायालय ने पिछले दिनों प्रतिवादियों को नोटिस दिए बगैर फैसला सुना दिया. प्रकरण में फिलहाल सरकारी अमीन मौके पर नहीं जाएगा. मामले की सुनवाई 20 जनवरी को होगी.

बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद (Krishna Janmabhoomi Dispute) के लेकर मथुरा के सीनियर डिवीजन जज के आदेश के बाद ईदगाह की अभिन्न रिपोर्ट की प्रक्रिया सोमवार से शुरू होनी थी. बता दें कि शाही ईदगाह के अमीन की रिपोर्ट में सभी 13.37 एकड़ जमीन का सर्वे और वहां के नक्शे का सर्वेक्षण (mathura shahi mosque survey) शामिल था. अमीन को अपनी रिपोर्ट 20 जनवरी से पहले अदालत को सौंपनी थी. फिलहाल अमीन शाही ईदगाह के निरीक्षण के लिए नहीं जाएगा. इस मामले में कोर्ट 20 जनवरी को सुनवाई करेगी.

वहीं, सोमवार को न्यायालय में श्री कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण को लेकर प्रतिवादी शाही ईदगाह कमेटी ने जनपद के सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में अपना पक्ष रखा. शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि कोर्ट ने बिना प्रतिवादी के एक तरफा फैसला दिया था. प्रकरण को लेकर प्रतिवादी को कोई भी दस्तावेज और केस से संबंधित कापियां उपलब्ध नहीं कराई गई. 8 दिसंबर को कोर्ट ने विवादित स्थान पर अमीन भेजने के आदेश दिए थे. फिलहाल अमीन अब नहीं जाएगा.

मथुरा के कृष्ण जन्मस्थान के पास बनी शाही मस्जिद का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है. आज से शाही ईदगाह का सर्वे शुरू होगा. मथुरा के सीनियर डिवीजन जज के आदेश के बाद ईदगाह की अभिन्न रिपोर्ट की प्रक्रिया शुरू हो रही है. बता दें कि शाही ईदगाह के अमीन की रिपोर्ट में सभी 13.37 एकड़ जमीन का सर्वे और वहां के नक्शे का सर्वेक्षण शामिल है.

हिंदू पक्ष का दावा क्या है: शाही ईदगाह की जगह को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि उस जगह स्वास्तिक का चिह्न है, मस्जिद के अंदर कई मंदिर होने के प्रतीक हैं. साथ ही मस्जिद के नीचे भगवान का गर्भ गृह है और शाही ईदगाह में हिंदू स्थापत्य कला के सबूत मौजूद हैं. हिंदू पक्ष चाहता है कि वैज्ञानिक तरीके से पुष्टि की जाए, जिसे लेकर करीब एक साल पहले याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में वीडियोग्राफी की मांग की गई. वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि उसे इस मुकदमे की कोई जानकारी नहीं थीं.

कब हुआ था शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण: शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा शहर में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है. इस जगह को हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण की जन्मस्थली माना जाता है. दावा किया जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मस्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट कर 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था.

13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व किसके पास था: 1935 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13.37 एकड़ की विवादित भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को अलॉट कर दी थी. 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली थी. ये ट्रस्ट 1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और 1977 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से रजिस्टर्ड हुआ. 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह कमेटी के बीच हुए समझौते में इस 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व ट्रस्ट को मिला और ईदगाह मस्जिद का मैनेजमेंट ईदगाह कमेटी को दे दिया गया. इसके बाद लगातार ये मामला जंग का अखाड़ा बना हुआ है. जहां हिंदू पक्ष के लिए कोर्ट की ओर से बड़ी राहत आई है, लेकिन मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है.

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान: ईदगाह के सर्वे से जुड़े अदालत के आदेश के बाद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बयान दिया था. ओवैसी ने कहा था कि, बाबरी मस्जिद के फैसले के बाद मैंने कहा था कि इससे संघ परिवार की शरारतें बढ़ेंगी. अब मथुरा कोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर में सबूतों की जांच के लिए कमिश्नर भी नियुक्त कर दिया है. इस तरह के मुकदमों पर रोक लगाने वाले पूजा स्थल अधिनियम के बावजूद यह आदेश दे दिया गया जबकि मस्जिद और बगल के मंदिर में उनके विवाद को हल करने के लिए एक लिखित समझौता हुआ है. जब एक पक्ष मुसलमानों को लगातार निशाना बनाने में रुचि रखता हो तो कृपया 'देने और लेने' का उपदेश न दें.

प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता बोले, कोर्ट हमें देगी बात रखने का मौका
ईदगाह कमेटी के सचिव व अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रकरण को लेकर पिछले दिनों सिविल जज सीनियर डिवीजन ने जो आदेश जारी किए थे उसको लेकर हमने आपत्ति कोर्ट में दाखिल की लेकिन आज न्यायालय में नो वर्क हो गया था जिसके कारण सुनवाई नहीं हुई. न्यायालय में हमें भी बात रखने का मौका दिया जाएगा. एक तरफ अब फैसला नहीं सुनाया जाएगा. सरकारी अमीन विवादित स्थान का निरीक्षण करने पहुंचेगा तो भी हमें सूचित किया जाएगा लेकिन कुछ समाचार पत्र और टीवी चैनलों पर भ्रमित अफवाह उड़ाई जा रही है. विवादित स्थान के सर्वे को लेकर न्यायालय ने केवल निरीक्षण करने के आदेश दिए हैं. मथुरा एक धार्मिक सौहार्द की नगरी रही है. हिंदू व मुस्लिम मिलकर दिवाली और ईद मनाते चले आए हैं. कभी किसी में झगड़ा नहीं हुआ लेकिन कुछ अराजक तत्व मथुरा की फिजा खराब करना चाहते हैं. वादी अधिवक्ता भी न्यायालय के बाहर कभी कुछ बयान देते हैं और न्यायालय के अंदर तस्वीर कुछ अलग होती है. शाही ईदगाह कमेटी की ओर से मजबूती के साथ न्यायालय में पक्ष रखा जाएगा जो न्यायालय फैसला सुनाएगा हमें मंजूर रहेगा.

ये भी पढ़ें- सरकार और संगठन के तालमेल में कोई कमी नहीं: चौधरी भूपेंद्र सिंह

मथुरा: सोमवार को जनपद के सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में श्री कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण के प्रतिवादी शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के अधिवक्ताओं ने पिछले दिनों हुए आदेश को लेकर आपत्ति प्रार्थना पत्र न्यायालय में दाखिल किया. न्यायालय 20 जनवरी प्रकरण को लेकर सुनवाई करेगा और सरकारी अमीन विवादित स्थान पर नहीं भेजेगा जब तक प्रतिवादी को केस की कॉपी उपलब्ध नहीं करा दी जाती है. मुस्लिम पक्ष को भी अपनी बात रखने का मौका दिया गया है.


जनपद के सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में हिंदू सेना के प्रार्थना पत्र पर आदेश करते हुए विवादित स्थान पर सरकारी अमीन निरीक्षण के आदेश दिए गए थे और मौके पर जाकर मौका मुआयना करते हुए नक्शा बनाकर अपनी रिपोर्ट पेश करने के आदेश दिए लेकिन सोमवार को शीतकालीन अवकाश खत्म होने के बाद मुस्लिम पक्ष ने आपत्ति दाखिल करते हुए कोर्ट में कहा प्रतिभागियों को बिना नोटिस दिए एक तरफा फैसला सुनाया गया. बात रखने का मौका भी नहीं दिया. फिलहाल 20 जनवरी को श्री कृष्ण जन्मभूमि प्रकरण को लेकर सुनवाई होगी, तब तक सरकारी अमीन मौके पर नहीं जाएगा.

इस बारे में शाही ईदगाह मस्जिद के सचिव तनवीर अहमद ने बताया कि सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में सोमवार को पिछले दिनों हुए आदेश को लेकर आपत्ति दाखिल की गई थी. नो वर्क होने के कारण कोर्ट ने हमारी बात सुनी, हमने प्रार्थना पत्रों में बात कही थी, जब तक अन्य प्रार्थना पत्रों का निस्तारण नहीं हो जाता तब तक विवादित स्थान पर सरकारी अमीन न भेजा जाए और न्यायालय ने पिछले दिनों प्रतिवादियों को नोटिस दिए बगैर फैसला सुना दिया. प्रकरण में फिलहाल सरकारी अमीन मौके पर नहीं जाएगा. मामले की सुनवाई 20 जनवरी को होगी.

बता दें कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद (Krishna Janmabhoomi Dispute) के लेकर मथुरा के सीनियर डिवीजन जज के आदेश के बाद ईदगाह की अभिन्न रिपोर्ट की प्रक्रिया सोमवार से शुरू होनी थी. बता दें कि शाही ईदगाह के अमीन की रिपोर्ट में सभी 13.37 एकड़ जमीन का सर्वे और वहां के नक्शे का सर्वेक्षण (mathura shahi mosque survey) शामिल था. अमीन को अपनी रिपोर्ट 20 जनवरी से पहले अदालत को सौंपनी थी. फिलहाल अमीन शाही ईदगाह के निरीक्षण के लिए नहीं जाएगा. इस मामले में कोर्ट 20 जनवरी को सुनवाई करेगी.

वहीं, सोमवार को न्यायालय में श्री कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण को लेकर प्रतिवादी शाही ईदगाह कमेटी ने जनपद के सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में अपना पक्ष रखा. शाही ईदगाह मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि कोर्ट ने बिना प्रतिवादी के एक तरफा फैसला दिया था. प्रकरण को लेकर प्रतिवादी को कोई भी दस्तावेज और केस से संबंधित कापियां उपलब्ध नहीं कराई गई. 8 दिसंबर को कोर्ट ने विवादित स्थान पर अमीन भेजने के आदेश दिए थे. फिलहाल अमीन अब नहीं जाएगा.

मथुरा के कृष्ण जन्मस्थान के पास बनी शाही मस्जिद का मुद्दा एक बार फिर सुर्खियों में है. आज से शाही ईदगाह का सर्वे शुरू होगा. मथुरा के सीनियर डिवीजन जज के आदेश के बाद ईदगाह की अभिन्न रिपोर्ट की प्रक्रिया शुरू हो रही है. बता दें कि शाही ईदगाह के अमीन की रिपोर्ट में सभी 13.37 एकड़ जमीन का सर्वे और वहां के नक्शे का सर्वेक्षण शामिल है.

हिंदू पक्ष का दावा क्या है: शाही ईदगाह की जगह को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि उस जगह स्वास्तिक का चिह्न है, मस्जिद के अंदर कई मंदिर होने के प्रतीक हैं. साथ ही मस्जिद के नीचे भगवान का गर्भ गृह है और शाही ईदगाह में हिंदू स्थापत्य कला के सबूत मौजूद हैं. हिंदू पक्ष चाहता है कि वैज्ञानिक तरीके से पुष्टि की जाए, जिसे लेकर करीब एक साल पहले याचिका दाखिल की गई थी. याचिका में वीडियोग्राफी की मांग की गई. वहीं दूसरे पक्ष का कहना है कि उसे इस मुकदमे की कोई जानकारी नहीं थीं.

कब हुआ था शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण: शाही ईदगाह मस्जिद मथुरा शहर में श्रीकृष्ण जन्मभूमि मंदिर परिसर से सटी हुई है. इस जगह को हिंदू धर्म में भगवान कृष्ण की जन्मस्थली माना जाता है. दावा किया जाता है कि औरंगजेब ने श्रीकृष्ण जन्मस्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को नष्ट कर 1669-70 में शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण कराया था.

13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व किसके पास था: 1935 में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13.37 एकड़ की विवादित भूमि बनारस के राजा कृष्ण दास को अलॉट कर दी थी. 1951 में श्री कृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट ने ये भूमि अधिग्रहीत कर ली थी. ये ट्रस्ट 1958 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और 1977 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान के नाम से रजिस्टर्ड हुआ. 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संघ और शाही ईदगाह कमेटी के बीच हुए समझौते में इस 13.37 एकड़ जमीन का स्वामित्व ट्रस्ट को मिला और ईदगाह मस्जिद का मैनेजमेंट ईदगाह कमेटी को दे दिया गया. इसके बाद लगातार ये मामला जंग का अखाड़ा बना हुआ है. जहां हिंदू पक्ष के लिए कोर्ट की ओर से बड़ी राहत आई है, लेकिन मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी कर रहा है.

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी का बयान: ईदगाह के सर्वे से जुड़े अदालत के आदेश के बाद AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने बयान दिया था. ओवैसी ने कहा था कि, बाबरी मस्जिद के फैसले के बाद मैंने कहा था कि इससे संघ परिवार की शरारतें बढ़ेंगी. अब मथुरा कोर्ट ने शाही ईदगाह परिसर में सबूतों की जांच के लिए कमिश्नर भी नियुक्त कर दिया है. इस तरह के मुकदमों पर रोक लगाने वाले पूजा स्थल अधिनियम के बावजूद यह आदेश दे दिया गया जबकि मस्जिद और बगल के मंदिर में उनके विवाद को हल करने के लिए एक लिखित समझौता हुआ है. जब एक पक्ष मुसलमानों को लगातार निशाना बनाने में रुचि रखता हो तो कृपया 'देने और लेने' का उपदेश न दें.

प्रतिवादी पक्ष के अधिवक्ता बोले, कोर्ट हमें देगी बात रखने का मौका
ईदगाह कमेटी के सचिव व अधिवक्ता तनवीर अहमद ने बताया कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि प्रकरण को लेकर पिछले दिनों सिविल जज सीनियर डिवीजन ने जो आदेश जारी किए थे उसको लेकर हमने आपत्ति कोर्ट में दाखिल की लेकिन आज न्यायालय में नो वर्क हो गया था जिसके कारण सुनवाई नहीं हुई. न्यायालय में हमें भी बात रखने का मौका दिया जाएगा. एक तरफ अब फैसला नहीं सुनाया जाएगा. सरकारी अमीन विवादित स्थान का निरीक्षण करने पहुंचेगा तो भी हमें सूचित किया जाएगा लेकिन कुछ समाचार पत्र और टीवी चैनलों पर भ्रमित अफवाह उड़ाई जा रही है. विवादित स्थान के सर्वे को लेकर न्यायालय ने केवल निरीक्षण करने के आदेश दिए हैं. मथुरा एक धार्मिक सौहार्द की नगरी रही है. हिंदू व मुस्लिम मिलकर दिवाली और ईद मनाते चले आए हैं. कभी किसी में झगड़ा नहीं हुआ लेकिन कुछ अराजक तत्व मथुरा की फिजा खराब करना चाहते हैं. वादी अधिवक्ता भी न्यायालय के बाहर कभी कुछ बयान देते हैं और न्यायालय के अंदर तस्वीर कुछ अलग होती है. शाही ईदगाह कमेटी की ओर से मजबूती के साथ न्यायालय में पक्ष रखा जाएगा जो न्यायालय फैसला सुनाएगा हमें मंजूर रहेगा.

ये भी पढ़ें- सरकार और संगठन के तालमेल में कोई कमी नहीं: चौधरी भूपेंद्र सिंह

Last Updated : Jan 2, 2023, 8:42 PM IST
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