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इस दिवाली जरूर खरीदकर लाना कैदियों के हाथ से बने दीपक

यूपी के मथुरा में जिला कारागार प्रशासन द्वारा बंदियों से गोबर के दीये, मोमबत्ती, लक्ष्मी-गणेश की मुर्तियां आदि बनवाई जा रही हैं. बता दें कि इन वस्तुओं से वातावरण को भी हानि नहीं पहुंचती है.

गोबर से बने दीपक.
गोबर से बने दीपक.
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Published : Nov 12, 2020, 5:11 AM IST

मथुराः जिला कारागार मथुरा प्रशासन द्वारा कारागार में निरुद्ध बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, आपराधिक प्रवृत्ति की मानसिकता से हटाने के लिए और उत्साहवर्धन करने के लिए उनसे कुछ न कुछ कराया जाता रहा है. इसी क्रम में जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों द्वारा गाय के गोबर से दीपक, एकादश सामग्री युक्त हवन लकड़ी, मोमबत्ती, लक्ष्मी-गणेश की सुंदर-सुंदर विभिन्न प्रकार की मूर्तियां बनाई जा रही हैं. गोबर से बनीं यह वस्तुएं वातावरण के लिए भी अच्छी हैं. वहीं इन वस्तुओं से वातावरण को भी हानि नहीं पहुंचती है.

गाय के गोबर से बनाईं मुर्तियां.
गाय के गोबर से बनाईं मुर्तियां.

10 हजार से ज्यादा बने दीपक
जिला कारागार मथुरा में निरुद्ध बंदी गाय के गोबर से दीपक, एकादश सामग्री से युक्त और हवन की लकड़ी आदि वस्तुएं बनाई जा रही हैं. इस संबंध में जानकारी देते हुए वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार ने बताया कि दिवाली के पर्व को देखते हुए उसमें इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं बनाई जा रही हैं, जिसकी अमूमन जरूरत पड़ती है. इस क्रम में वर्तमान में हमने लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति बनाई है. यह अलग-अलग रंगों में हैं. गोबर के दीपक जो हमारे पंचगव्य दीपक हैं. इन्हें बनाना पहले से ही प्रारंभ कर दिया गया था. यह दिवाली में भी इस्तेमाल होंगे. वहीं मिट्टी के दीपक भी हम 10 हजार से ज्यादा बना चुके हैं. मोमबत्ती अभी हमने 10 किलो से ज्यादा बनाई हैं. इसके अलावा डिमांड के अनुरूप आगे भी बनाई जा रही हैं.

दीपक जलाते समय रखें यह ध्यान
पंचगव्य दीपक को जलाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि तेल खत्म होने के बाद यह दीपक स्वयं जल जाता है. सिर्फ राख बचती है तो दीपक को ऐसे स्थान पर रखें, जिससे आग लगने का डर न हो. जिला कारागार मथुरा में निरुद्ध बंदी समय-समय पर अपने हुनर का लोहा मनवाते रहे हैं. इससे पहले जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों द्वारा कृष्ण भगवान के लिए पोशाक, बच्चों की स्कूल ड्रेस, कोरोना काल में सैनिटाइजर, मास्क ,फेस शिल्ड आदि वस्तुएं बनाई जा चुकी हैं, और बनाई जा रही हैं .अब जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों द्वारा दिवाली के पर्व को देखते हुए गाय के गोबर से दीपक, एकादश सामग्री युक्त हवन की लकड़ियां, मोमबत्तियां, सुंदर-सुंदर विभिन्न रंगों में लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्तियां बनाई जा रही हैं.

मथुराः जिला कारागार मथुरा प्रशासन द्वारा कारागार में निरुद्ध बंदियों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए, आपराधिक प्रवृत्ति की मानसिकता से हटाने के लिए और उत्साहवर्धन करने के लिए उनसे कुछ न कुछ कराया जाता रहा है. इसी क्रम में जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों द्वारा गाय के गोबर से दीपक, एकादश सामग्री युक्त हवन लकड़ी, मोमबत्ती, लक्ष्मी-गणेश की सुंदर-सुंदर विभिन्न प्रकार की मूर्तियां बनाई जा रही हैं. गोबर से बनीं यह वस्तुएं वातावरण के लिए भी अच्छी हैं. वहीं इन वस्तुओं से वातावरण को भी हानि नहीं पहुंचती है.

गाय के गोबर से बनाईं मुर्तियां.
गाय के गोबर से बनाईं मुर्तियां.

10 हजार से ज्यादा बने दीपक
जिला कारागार मथुरा में निरुद्ध बंदी गाय के गोबर से दीपक, एकादश सामग्री से युक्त और हवन की लकड़ी आदि वस्तुएं बनाई जा रही हैं. इस संबंध में जानकारी देते हुए वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार ने बताया कि दिवाली के पर्व को देखते हुए उसमें इस्तेमाल की जाने वाली वस्तुएं बनाई जा रही हैं, जिसकी अमूमन जरूरत पड़ती है. इस क्रम में वर्तमान में हमने लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति बनाई है. यह अलग-अलग रंगों में हैं. गोबर के दीपक जो हमारे पंचगव्य दीपक हैं. इन्हें बनाना पहले से ही प्रारंभ कर दिया गया था. यह दिवाली में भी इस्तेमाल होंगे. वहीं मिट्टी के दीपक भी हम 10 हजार से ज्यादा बना चुके हैं. मोमबत्ती अभी हमने 10 किलो से ज्यादा बनाई हैं. इसके अलावा डिमांड के अनुरूप आगे भी बनाई जा रही हैं.

दीपक जलाते समय रखें यह ध्यान
पंचगव्य दीपक को जलाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखें कि तेल खत्म होने के बाद यह दीपक स्वयं जल जाता है. सिर्फ राख बचती है तो दीपक को ऐसे स्थान पर रखें, जिससे आग लगने का डर न हो. जिला कारागार मथुरा में निरुद्ध बंदी समय-समय पर अपने हुनर का लोहा मनवाते रहे हैं. इससे पहले जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों द्वारा कृष्ण भगवान के लिए पोशाक, बच्चों की स्कूल ड्रेस, कोरोना काल में सैनिटाइजर, मास्क ,फेस शिल्ड आदि वस्तुएं बनाई जा चुकी हैं, और बनाई जा रही हैं .अब जिला कारागार में निरुद्ध बंदियों द्वारा दिवाली के पर्व को देखते हुए गाय के गोबर से दीपक, एकादश सामग्री युक्त हवन की लकड़ियां, मोमबत्तियां, सुंदर-सुंदर विभिन्न रंगों में लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्तियां बनाई जा रही हैं.

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