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Mathura Holi 2023 : त्याेहार की तैयारियां शुरू, हर्बल गुलाल बना रहीं महिला आश्रय सदन की महिलाएं - Holi celebrations in Mathura

मथुरा में 40 दिनाें तक हाेली का उल्लास रहता है. दूर-दूर लाेग पहुंचकर इस त्याेहार में हिस्सा लेते हैं. इस पर्व काे खास बनाने के लिए गुलाल बनाने का काम शुरू कर दिया गया है.

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Published : Feb 22, 2023, 10:45 AM IST

मथुरा में महिलाएं हर्बल गुलाल बना रहीं हैं.

मथुरा : होली का पर्व पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. कान्हा की नगरी मथुरा में इस पर्व को कुछ अलग ही अंदाज में मनाया जाता है. बसंत पंचमी से ही यहां पर होली की धूम शुरू हाे जाती है. यह सिलसिला 40 दिनाें तक चलता है. देश-विदेश से श्रद्धालु अपने आराध्य श्री कृष्ण के साथ होली खेलने के लिए मथुरा पहुंचते हैं. पर्व काे लेकर वृंदावन में महिला आश्रय सदन में रहने वाली माताएं फूलों से हर्बल गुलाल बनाने में जुटी हैं. पिछले कई सालों से विधवा माताएं सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं के प्रयासों से रक्षाबंधन, दीपावली और होली जैसे प्रमुख पर्वों को हर्ष के साथ मना रहीं हैं.

धर्म नगरी वृंदावन में चैतन्य बिहार स्थित महिला आश्रय सदन में रहने वाली निराश्रित वृद्ध, विधवा माताएं कई वर्षों से होली के पर्व में रंग भरने के लिए हर्बल गुलाल बनाती चली आ रहीं हैं. इस वर्ष भी त्याेहार की तैयारियां शुरू कर दी है. वे फूलों से हर्बल गुलाल तैयार कर रहीं हैं. माताओं द्वारा बनाए जा रहे गुलाल से विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर समेत अन्य प्रमुख मंदिरों में भगवान होली खेलेंगे. महिला अनुपमा ने बताया कि माताओं के हाथों से बने गुलाल को देश के राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भी भेजा जाएगा.

ब्रज गंधा प्रसाद समिति की तकनीकी सहायक आरती ने बताया कि प्रदेश सरकार की पहल पर आश्रय सदन में निवासरत वृद्ध माताओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से समिति के माध्यम से अगरबत्ती, धूप बत्ती एवं गुलाल बनाने की शुरुआत की गई थी. इसी के तहत विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर समेत अन्य प्रमुख मंदिरों से भगवान के लिए चढ़ाए गए फूलों को एकत्रित कर आश्रय सदन लाया जाता है. इसके बाद माताओं द्वारा इन फूलों की छंटाई कराकर इन्हें सुखाया जाता है. इसके बाद सूखे हुए फूलों को पीसकर उनका पाउडर बनाकर हर्बल गुलाल तैयार किया जाता है.

यह भी पढ़ें : यूपी की इस जेल में बन रहा होली के लिए स्पेशल गुलाल, पालक चुकंदर और मेथी से तैयार हो रहे रंग

मथुरा में महिलाएं हर्बल गुलाल बना रहीं हैं.

मथुरा : होली का पर्व पूरे देश में धूमधाम के साथ मनाया जाता है. कान्हा की नगरी मथुरा में इस पर्व को कुछ अलग ही अंदाज में मनाया जाता है. बसंत पंचमी से ही यहां पर होली की धूम शुरू हाे जाती है. यह सिलसिला 40 दिनाें तक चलता है. देश-विदेश से श्रद्धालु अपने आराध्य श्री कृष्ण के साथ होली खेलने के लिए मथुरा पहुंचते हैं. पर्व काे लेकर वृंदावन में महिला आश्रय सदन में रहने वाली माताएं फूलों से हर्बल गुलाल बनाने में जुटी हैं. पिछले कई सालों से विधवा माताएं सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं के प्रयासों से रक्षाबंधन, दीपावली और होली जैसे प्रमुख पर्वों को हर्ष के साथ मना रहीं हैं.

धर्म नगरी वृंदावन में चैतन्य बिहार स्थित महिला आश्रय सदन में रहने वाली निराश्रित वृद्ध, विधवा माताएं कई वर्षों से होली के पर्व में रंग भरने के लिए हर्बल गुलाल बनाती चली आ रहीं हैं. इस वर्ष भी त्याेहार की तैयारियां शुरू कर दी है. वे फूलों से हर्बल गुलाल तैयार कर रहीं हैं. माताओं द्वारा बनाए जा रहे गुलाल से विश्व प्रसिद्ध ठाकुर बांके बिहारी मंदिर समेत अन्य प्रमुख मंदिरों में भगवान होली खेलेंगे. महिला अनुपमा ने बताया कि माताओं के हाथों से बने गुलाल को देश के राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को भी भेजा जाएगा.

ब्रज गंधा प्रसाद समिति की तकनीकी सहायक आरती ने बताया कि प्रदेश सरकार की पहल पर आश्रय सदन में निवासरत वृद्ध माताओं को आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से समिति के माध्यम से अगरबत्ती, धूप बत्ती एवं गुलाल बनाने की शुरुआत की गई थी. इसी के तहत विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर समेत अन्य प्रमुख मंदिरों से भगवान के लिए चढ़ाए गए फूलों को एकत्रित कर आश्रय सदन लाया जाता है. इसके बाद माताओं द्वारा इन फूलों की छंटाई कराकर इन्हें सुखाया जाता है. इसके बाद सूखे हुए फूलों को पीसकर उनका पाउडर बनाकर हर्बल गुलाल तैयार किया जाता है.

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