मथुरा: बढ़ते प्रदूषण को देखते हुए प्रशासन किसानों को पराली न जलाने के लिए लगातार आवाहन कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद भी कुछ किसान पराली जला देते हैं. पिछले वर्ष भी जनपद मथुरा में पराली जलाने की कई घटनाएं सामने आई थी. जिसके चलते प्रशासन ने कई किसानों के ऊपर पराली जलाने को लेकर कार्रवाई की थी.
इस वर्ष पराली जलाने की जनपद से कोई घटना सामने न आए. इसके लिए मथुरा प्रशासन सख्त नजर आ रहा है. जिसके चलते जिला अधिकारी स्वयं गांव-गांव घूम-घूम किसानों से पराली न जलाने का आवाहन कर रहे हैं. इसी क्रम में जिलाधिकारी मथुरा नवनीत चहल ने विभिन्न गांव में किसानों के साथ संवाद कर उनसे पराली न जलाने का आवाहन किया. वहीं, किसानों ने भी जिलाधिकारी को पराली न जलाने के लिए आश्वस्त किया.
जिलाधिकारी मथुरा नवनीत चहल ने बताया कि जनपद छाता क्षेत्र के रनवारी गांव के ग्रामीणों के साथ बैठक की गई और पराली न जलाने के लिए आवाहन किया गया. ग्रामीणों ने आश्वस्त किया है कि वह किसी भी हालत में पराली नहीं जलाएंगे. ग्रामीण पराली को इकट्ठा करके गौशालाओं में बेच रहे हैं. जोकि एक अच्छा उदाहरण है.
दरअसल, पिछले साल मिली लगातार पराली जलाने की घटनाओं को देख इस बार मथुरा प्रशासन सख्त हो चुका है. जिसके चलते शुरुआत में ही प्रशासन द्वारा ग्रामीणों को पराली न जलाने के लिए जागरूक किया जा रहा है. जिलाधिकारी स्वयं गांव-गांव घूमकर ग्रामीणों से पराली न जलाने के लिए आवाहन कर रहे हैं.
जिलाधिकारी ने सभी ग्राम वासियों से क्षेत्रवासियों से अपील की है कि वे किसी भी हाल में पराली न जलाएं. यह प्रदूषण और हमारे पर्यावरण के लिए हानिकारक है. पराली को डी कंपोस्ट करने के लिए गौशालाओं में दें, ताकि गौशालाओं में जो गाय हैं उनके चारे की भी व्यवस्था सुनिश्चित हो सके.
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