मथुराः जालौन उरई हाईवे पर पिकेट के साथ ड्यूटी कर रहे सिपाही भेद जीत सिंह की मंगलवार को बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी. शहीद सिपाही का पार्थिव शरीर बुधवार देर रात को मथुरा के बलदेव थाना क्षेत्र चौरबर पहुंचा. इस दौरान शहीद के परिवार के साथ ही पुलिस विभाग और पूरे क्षेत्र के लोगों ने नम आंखों से शहीद सिपाही को अंतिम विदाई दी. शहीद सिपाही का शव उनके पैतृक गांव पहुंचते ही कोहराम मच गया. अंतिम दर्शन के लिए लोगों का हूजूम इकट्ठा हो गया. शव पहुंचने की सूचना पर पुलिस के आला अधिकारी भी मौके पर पहुंचे और राजकीय सम्मान के साथ शहीद का अंतिम संस्कार किया गया. पूरे गांव में शोक की लहर है.
शहीद सिपाही भेद जीत सिंह 2002 में सेना में भर्ती हुए थे और पहली तैनाती जबलपुर में हुई थी. उसके बाद जैसलमेर राजौरी पठानकोट में कर्तव्य निष्ठा के साथ सेना में ड्यूटी की. साल 2019 में सेना के हवलदार पद से भेज जीत सिंह रिटायर हुए और यूपी पुलिस में आवेदन किया. 2021 में चयन होने के बाद 6 महीने की ट्रेनिंग की गई और जनपद जालौन के उरई कोतवाली में पहली तैनाती हुई थी.
जालौन के कानपुर झांसी हाईवे पर पुलिस पिकेट के साथ बाइक सवार सिपाही भेद जीत सिंह ड्यूटी कर रहे थे. मंगलवार को ड्यूटी के दौरान सिपाही को हाईवे पर कुछ लोगों को आते दिखे, जैसे ही उन्होंने उन पर टॉर्च की रोशनी मारी. उसी समय सामने से बदमाश ने तमंचे से फायरिंग कर दी. गोली लगने से सिपाही भेद जीत सिंह की मौके पर ही मौत हो गई. घटना की सूचना पर मौके पर पुलिस के आला अधिकारी पहुंचे. लेकिन, तब तक बदमाश मौके से फरार हो चुके थे.
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक शैलेश कुमार पांडेय ने बताया शहीद सिपाही ने कर्तव्य निष्ठा के साथ ड्यूटी करने के दौरान अपने प्राण न्योछावर कर दिए. पूरा देश सिपाही के कर्तव्य को नमन करता है. राष्ट्रीय सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी गई. वहीं, शहीद सिपाही भेद जीत सिंह के शहीद होने की सूचना मिलने के बाद परिवार में दुख का पहाड़ टूट पड़ा. शहीद भेद जीत सिंह (45) परिवार में 6 भाइयों में से चौथे नंबर पर थे. एक भाई रणवीर सिंह चंडीगढ़ आईओसी में नौकरी कर रहे हैं. जबकि तीन भाई सतवीर, रघुवीर और महाजीत गांव में रहकर खेती करते हैं. शहीद के पिता नारायण सिंह और माता सुखदेवी बेटे के शहीद होने पर गम में है.
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