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ब्रिटिश हुकूमत का सोना लूटकर मथुरा में क्रांतिकारियों ने फूंका था अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल - Mathura Gold Loot

भारत को आजादी 15 अगस्त 1947 (15 August 1947) को मिली. लेकिन, इससे ठीक तीन साल पहले यानी 14 अगस्त 1942 (14 August 1942) की रात मथुरा के परखम रेलवे स्टेशन (Prakhand Railway Station) पर हुई घटना ने अंग्रेजों के दांत खट्टे कर दिए थे. स्वतंत्रता दिवस 2023 (Independence Day 2023) के दिन आईए जानते हैं उस दिन क्या हुआ था.

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Published : Aug 15, 2023, 6:29 PM IST

Updated : Aug 15, 2023, 6:50 PM IST

मथुरा के परखम रेलवे स्टेशन पर महिला और बच्चों पर अंग्रेजों के ढहाए गए जुल्म की कहानी बता रहे संवाददाता प्रवीन शर्मा

मथुरा: देश की आजादी का जश्न चौतरफा मनाया जा रहा है. 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी हुकूमत से देश आजाद होने में मथुरा के क्रांतिकारियों का भी बड़ा योगदान रहा है. मथुरा क्रांतिकारियों का गढ़ माना जाता था. 14 अगस्त 1942 की रात 12 बजे आगरा से दिल्ली जा रही मालगाड़ी में अंग्रेजी हुकूमत का सोना रखा हुआ था. क्रांतिकारियों ने उसे लूटकर अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था. जवाबी कार्रवाई में अंग्रेजी हुकूमत ने कई नौजवान और महिला-बच्चों को यातनाएं दी थी. उसकी याद आज भी परखम रेलवे स्टेशन गवाही देता है.

क्रांतिकारियों का गढ़ था मथुरा का परखम कस्बाः जनपद मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर स्थित परखम कस्बा क्रांतिकारियों का गढ़ माना जाता था. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ देश आजाद कराने के लिए क्रांतिकारियों ने यहीं से बिगुल फूंका था. यही नहीं, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के युवा परखम में आकर अंग्रेजों के खिलाफ रात के अंधेरे में रणनीति तैयार करते थे.

Mathura
मथुरा का परखम रेलवे स्टेशन

ब्रिटिश शासनकाल का प्रमुख रेलवे स्टेशन था परखमः 1870 में ब्रिटिश शासनकाल में आगरा से दिल्ली की ओर जाने वाली रेलवे लाइन स्थापित की गई थी. अंग्रेज हर रोज मालगाड़ी से आगरा से दिल्ली की ओर आवाजाही करते थे. अंग्रेजो के खिलाफ देश आजाद कराने के लिए क्रांतिकारी हर रोज नई नई रणनीति तैयार करते थे. परखम रेलवे स्टेशन जाट और ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण क्रांतिकारियों का अहम गढ़ माना जाता था.

14 अगस्त 1942 की रात क्या हुआ थाः गुप्तचर के द्वारा क्रांतिकारियों को सूचना मिली थी कि 14 अगस्त 1942 की रात 12:00 बजे आगरा से दिल्ली जा रही मालगाड़ी में अंग्रेजी हुकूमत का सोना लदा हुआ है जो दिल्ली जा रहा था. क्रांतिकारी भोपाली, गोरे राम, भूरा राम पंडित, गोविंद राम, देवपाल सिंह, कुंजी लाल ने इस सोने को लूटने की योजना बनाई थी. इन लोगों ने परखम रेलवे स्टेशन के पास पटरी उखाड़ दी थी. जब मालगाड़ी वहां से होकर गुजरी पटरी ना होने के कारण मालगाड़ी पलट गई. इसके बाद क्रांतिकारियों ने मालगाड़ी से सोना लूट लिया और मौके से फरार हो गए थे.

अंग्रेजों के जुल्म की दास्तानः मालगाड़ी से सोना लूटने की घटना मिलने के बाद अंग्रेजी हुकूमत के अधिकारी परखम रेलवे स्टेशन पर पहुंचे और युवा, बच्चे, बुजुर्ग महिलाओं को अंग्रेजों ने यातनाएं दीं थी. अंग्रेजी हुकूमत ने महिला और बच्चों के हाथ और पैर के नाखून नोच लिए थे. लेकिन मालगाड़ी से लूटा हुआ सोना बरामद नहीं हो सका. आखिर में अंग्रेजी हुकूमत ने परखम गांव में आग लगा दी थी. जिसमें दर्जनों की संख्या में ग्रामीणों की जलकर मौत हो गई थी.

ये भी पढ़ेंः Independence Day 2023: सीमा हैदर के बच्चों ने DPS में मनाया स्वतंत्रता दिवस, लगाए 'जय श्री राम' के नारे

मथुरा के परखम रेलवे स्टेशन पर महिला और बच्चों पर अंग्रेजों के ढहाए गए जुल्म की कहानी बता रहे संवाददाता प्रवीन शर्मा

मथुरा: देश की आजादी का जश्न चौतरफा मनाया जा रहा है. 15 अगस्त 1947 को अंग्रेजी हुकूमत से देश आजाद होने में मथुरा के क्रांतिकारियों का भी बड़ा योगदान रहा है. मथुरा क्रांतिकारियों का गढ़ माना जाता था. 14 अगस्त 1942 की रात 12 बजे आगरा से दिल्ली जा रही मालगाड़ी में अंग्रेजी हुकूमत का सोना रखा हुआ था. क्रांतिकारियों ने उसे लूटकर अंग्रेजों के खिलाफ बिगुल फूंका था. जवाबी कार्रवाई में अंग्रेजी हुकूमत ने कई नौजवान और महिला-बच्चों को यातनाएं दी थी. उसकी याद आज भी परखम रेलवे स्टेशन गवाही देता है.

क्रांतिकारियों का गढ़ था मथुरा का परखम कस्बाः जनपद मुख्यालय से 40 किलोमीटर दूर आगरा-दिल्ली राजमार्ग पर स्थित परखम कस्बा क्रांतिकारियों का गढ़ माना जाता था. ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ देश आजाद कराने के लिए क्रांतिकारियों ने यहीं से बिगुल फूंका था. यही नहीं, दिल्ली, हरियाणा, राजस्थान और मध्य प्रदेश के युवा परखम में आकर अंग्रेजों के खिलाफ रात के अंधेरे में रणनीति तैयार करते थे.

Mathura
मथुरा का परखम रेलवे स्टेशन

ब्रिटिश शासनकाल का प्रमुख रेलवे स्टेशन था परखमः 1870 में ब्रिटिश शासनकाल में आगरा से दिल्ली की ओर जाने वाली रेलवे लाइन स्थापित की गई थी. अंग्रेज हर रोज मालगाड़ी से आगरा से दिल्ली की ओर आवाजाही करते थे. अंग्रेजो के खिलाफ देश आजाद कराने के लिए क्रांतिकारी हर रोज नई नई रणनीति तैयार करते थे. परखम रेलवे स्टेशन जाट और ब्राह्मण बाहुल्य क्षेत्र होने के कारण क्रांतिकारियों का अहम गढ़ माना जाता था.

14 अगस्त 1942 की रात क्या हुआ थाः गुप्तचर के द्वारा क्रांतिकारियों को सूचना मिली थी कि 14 अगस्त 1942 की रात 12:00 बजे आगरा से दिल्ली जा रही मालगाड़ी में अंग्रेजी हुकूमत का सोना लदा हुआ है जो दिल्ली जा रहा था. क्रांतिकारी भोपाली, गोरे राम, भूरा राम पंडित, गोविंद राम, देवपाल सिंह, कुंजी लाल ने इस सोने को लूटने की योजना बनाई थी. इन लोगों ने परखम रेलवे स्टेशन के पास पटरी उखाड़ दी थी. जब मालगाड़ी वहां से होकर गुजरी पटरी ना होने के कारण मालगाड़ी पलट गई. इसके बाद क्रांतिकारियों ने मालगाड़ी से सोना लूट लिया और मौके से फरार हो गए थे.

अंग्रेजों के जुल्म की दास्तानः मालगाड़ी से सोना लूटने की घटना मिलने के बाद अंग्रेजी हुकूमत के अधिकारी परखम रेलवे स्टेशन पर पहुंचे और युवा, बच्चे, बुजुर्ग महिलाओं को अंग्रेजों ने यातनाएं दीं थी. अंग्रेजी हुकूमत ने महिला और बच्चों के हाथ और पैर के नाखून नोच लिए थे. लेकिन मालगाड़ी से लूटा हुआ सोना बरामद नहीं हो सका. आखिर में अंग्रेजी हुकूमत ने परखम गांव में आग लगा दी थी. जिसमें दर्जनों की संख्या में ग्रामीणों की जलकर मौत हो गई थी.

ये भी पढ़ेंः Independence Day 2023: सीमा हैदर के बच्चों ने DPS में मनाया स्वतंत्रता दिवस, लगाए 'जय श्री राम' के नारे

Last Updated : Aug 15, 2023, 6:50 PM IST
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