मथुरा: जिला प्रशासन ने दो दिन पहले रेलवे की जमीन पर नई बस्ती इलाके में बने अवैध मकानों पर बुलडोजर चला कर तोड़ दिया था. जिससे सैकड़ों परिवार बेघर हो गए थे. इसके बाद शुक्रवार को बेघर हुए सैकड़ों परिवार के लोग ने कलेक्ट्रेट मुख्यालय का घेराव किया. इस दौरान लोगों की पुलिस से धक्का-मुक्की और हाथापाई भी हुई. घर टूटने से परेशान लोगों ने कचहरी के पास सड़क पर बैठकर विरोध प्रदर्शन किया. इस दौरान लोगों ने जमकर जिला प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी की.
नई बस्ती इलाके में हुई बुलडोजर कार्रवाई के विरोध में पीड़िता परिवार के लोगों ने सिटी मजिस्ट्रेट को ज्ञापन सौंपा है. ज्ञापन में मांग की गई है कि 50 साल पहले नई बस्ती में टीले को हटाकर लोगों को रहने के लिए इजाजत दी गई थी. लेकिन इतने सालों बाद रेलवे के अधिकारियों ने कहा यह जमीन उनकी है और लोगों ने रेलवे की जमीन पर अतिक्रमण कर रखा है. ज्ञापन में कहा कि इसमें हम गरीब परिवारों की क्या गलती है. अगर यह जगह अवैध थी तो रहने की इजाजत क्यों दी गई थी. लोगों का कहना है कि यहां रहते हुए हमने बिजली, लाइट, पानी सबका बिल दिया है. ये सारे कनेक्शन प्रशासन ने कैसे दे दिए थे, जब जगह अवैध थी.
अगर प्रशासन को यहां से हमे हटाना ही था तो हमारे लिए दूसरे स्थान पर रहने की व्यवस्था की जानी चाहिए. वहीं, अधिकारियों ने ज्ञापन लेने के बाद लोगों की मांगों को पूरा करने का आश्वासन दिया है. वहीं, पीड़ित लोगों का कहना है कि रेलवे जिले अपनी जिसे अपनी जमीन बता रहा है. वहां पर हम पिछले 50 सालों से रह रहे है. 150 मकानों पर बुलडोजर की कार्रवाई की गई है. प्रशासन ने गरीब असहाय लोगों को बेघर कर दिया है.
गौरतलब है, जमीन खाली करने के लिए रेलवे विभाग द्वारा एक माह पूर्व सभी को नोटिस जारी किए गए थे. लेकिन मकान खाली न होने पर बुधवार को जिला प्रशासन द्वारा रेलवे के अधिकारी, जीआरपी, आरपीएफ, पीएसी और आरएएफ पुलिस टीम के साथ रेलवे की जमीन बने मकानों पर बुलडोजर चलाकर निर्माण को ध्वस्त किया गया था.
यह भी पढ़ें: मथुरा में 150 अवैध मकानों पर चला बुलडोजर, रेलवे की जमीन पर अवैध कब्जा कर रह रहे थे लोग
यह भी पढ़ें: 50 साल बाद बेघर हुए लोगों का छलका दर्ज, कहा-पूर्वजों ने दी थी रेलवे को जमीन