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मथुरा के चर्चित जवाहर बाग में आखिर क्यों कम हो गई फलों की पैदावार, जानें क्या रही वजह

मथुरा का जवाहर बाग आम, आंवला, बेर और अमरूद की पैदावार के लिए एक प्रमुख बाग है. जवाहर बाग खाली कराने के दौरान हुई हिंसा के बाद यहां होने वाली फलों की पैदावार में खासा असर पड़ा है. इसको लेकर यहां के ठेकेदार चिंतित हैं, उनका कहना है कि अब बाग में लगाई गई उनकी कीमत भी नहीं निकल रही है.

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जवाहर बाग
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Published : May 28, 2022, 3:04 PM IST

मथुरा : 2 जून 2016 को जवाहर बाग खाली कराने के दौरान हुई हिंसा के बाद जवाहर बाग का नक्शा ही बदल गया. हरे भरे पेड़ जलकर राख हो गए. इससे यहां की बागवानी पर भारी असर पड़ा. इसके अलावा बीजेपी सरकार में जवाहर बाग को पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील करने के बाद यहां फलों की पैदावार और कम हो गई. इसका कारण है कि यहां घूमने पहुंचे लोग फलों को तोड़ना शुरू कर देते हैं. पर्यटकों की इस गतिविधि से यहां के ठेकेदार परेशान हैं. उनका कहना है पैदावार इतनी कम हो गई है कि यहां लगाई गई रकम निकालना भी मुश्किल है.

जानकारी देते हुए ठेकेदार

दरअसल, मथुरा का जवाहर बाग आम, आंवला, बेर और अमरूद की पैदावार के लिए एक प्रमुख बाग है. चर्चित जवाहर बाग कांड से पहले यहां हर साल फलों की अच्छी पैदावार होती थी. कुछ तथाकथित सत्याग्रहियों ने यहां अवैध रूप से कब्जा कर लिया था. 2 जून साल 2016 को पुलिस की तरफ से इसे खाली कराने के दौरान यहां भीषण गोलीबारी और आगजनी हुई. इस हिंसा में दो पुलिस अधिकारियों समेत 20 से अधिक उपद्रवी मारे गए थे.

यह भी पढ़ें- रेलवे ट्रैक के पास घात लगाकर बैठा बाघ, फिर जो हुआ...

यहां के ठेकेदारों का कहना है कि हिंसा के बाद से यहां होने वाली फलों की पैदावार में खासा असर पड़ा है. उस दौरान जवाहर बाग के सैकड़ों पेड़ जलकर राख हो गए. फिर वहां पार्क बनाने के चलते लोग फलों को तोड़ना शुरू कर देते हैं. उनका कहना है कि वो हिंसा से कई साल पहले से जवाहर बाग का ठेका लेते चले आ रहे हैं. लेकिन साल 2016 के बाद से उनकी बाग के ठेके में लगाई कीमत भी नहीं निकल रही है जिससे वह काफी मायूस हैं.

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मथुरा : 2 जून 2016 को जवाहर बाग खाली कराने के दौरान हुई हिंसा के बाद जवाहर बाग का नक्शा ही बदल गया. हरे भरे पेड़ जलकर राख हो गए. इससे यहां की बागवानी पर भारी असर पड़ा. इसके अलावा बीजेपी सरकार में जवाहर बाग को पर्यटन स्थल के रूप में तब्दील करने के बाद यहां फलों की पैदावार और कम हो गई. इसका कारण है कि यहां घूमने पहुंचे लोग फलों को तोड़ना शुरू कर देते हैं. पर्यटकों की इस गतिविधि से यहां के ठेकेदार परेशान हैं. उनका कहना है पैदावार इतनी कम हो गई है कि यहां लगाई गई रकम निकालना भी मुश्किल है.

जानकारी देते हुए ठेकेदार

दरअसल, मथुरा का जवाहर बाग आम, आंवला, बेर और अमरूद की पैदावार के लिए एक प्रमुख बाग है. चर्चित जवाहर बाग कांड से पहले यहां हर साल फलों की अच्छी पैदावार होती थी. कुछ तथाकथित सत्याग्रहियों ने यहां अवैध रूप से कब्जा कर लिया था. 2 जून साल 2016 को पुलिस की तरफ से इसे खाली कराने के दौरान यहां भीषण गोलीबारी और आगजनी हुई. इस हिंसा में दो पुलिस अधिकारियों समेत 20 से अधिक उपद्रवी मारे गए थे.

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यहां के ठेकेदारों का कहना है कि हिंसा के बाद से यहां होने वाली फलों की पैदावार में खासा असर पड़ा है. उस दौरान जवाहर बाग के सैकड़ों पेड़ जलकर राख हो गए. फिर वहां पार्क बनाने के चलते लोग फलों को तोड़ना शुरू कर देते हैं. उनका कहना है कि वो हिंसा से कई साल पहले से जवाहर बाग का ठेका लेते चले आ रहे हैं. लेकिन साल 2016 के बाद से उनकी बाग के ठेके में लगाई कीमत भी नहीं निकल रही है जिससे वह काफी मायूस हैं.

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