ETV Bharat / state

धधकती होलिका के बीच से निकला मोनू पंडा, 'प्रहलाद नगरी' फालेन में निभाई गई सदियों पुरानी परंपरा

प्रहलाद नगरी के नाम से मशहूर मथुरा जिले के फालेन गांव में होलिका दहन के बाद धधकती आग और लपटों के बीच से निकलने की सदियों पुरानी परंपरा पूरी की गई. इसे देखने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु फालेन गांव पहुंचे.

धधकती होलिका
etv bharat
author img

By

Published : Mar 18, 2022, 9:29 AM IST

मथुरा: शेरगढ़ क्षेत्र के फालेन गांव में होलिका दहन के बाद धधकती आग और लपटों के बीच से निकलने की सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन किया गया. परंपरा निभाने वाले पंडा परिवार के मोनू पंडा ने एक महीने की कठोर तपस्या के बाद होलिका दहन के अंगारों के बीच से निकलकर प्रहलाद कुंड में स्नान किया. दहकती आग की लपटों के बीच से नंगे पांव निकले मोनू पंडा के शरीर पर एक भी खरोंच नहीं आई. इस नजारे को देखने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु फालेन गांव पहुंचे थे. फालेन गांव को प्रहलाद नगरी के नाम से भी जाना जाता है.

पंडा परिवार निभाता है परंपरा
जनपद मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर शेरगढ़ क्षेत्र में बसे फालेन गांव को प्रहलाद नगरी के नाम से भी जाना जाता है. पिछले कई दशकों से इस गांव में एक अनोखी परंपरा निभाई जा रही है. परंपरा के तहत यहां 30 फीट चौड़ी और 15 फीट ऊंची सात गांवों की होलिका रखी जाती है. इस अनोखी परंपरा निभाने के लिए पंडा परिवार के सदस्य मोनू को एक महीने की कठोर तपस्या पर बैठना पड़ता है. गांव में प्राचीन प्रहलाद कुंड में हर रोज स्नान किया जाता है, प्रहलाद मंदिर में कठोर तपस्या की जाती है. तपस्या पर बैठने के बाद मोनू पंडा एक महीने तक अपने घर नहीं जाता है. केवल तपस्या करता है और प्रहलाद की भक्ति में लीन हो जाता है.

धधकती होलिका
जमीन से निकली थी प्रहलाद की मूर्ति दशकों पुरानी एक बात है कि पंडा परिवार के सदस्य को स्वप्न में भगवान ने दर्शन दिए और कहा वृक्ष के नीचे भक्त प्रहलाद की मूर्ति दबी है. मूर्ति को निकालकर मंदिर की स्थापना कराओ और होलीका दहन के अंगारों के बीच जो भी पंडा परिवार का सदस्य निकलेगा उसे खरोच तक नहीं आएगी. पंडा परिवार के सदस्य जब वृक्ष के पास पहुंचे तो उन्होंने जमीन के अंदर पहलाद की मूर्ति देखी. इसके बाद यहां एक भव्य मंदिर बनाया गया. तभी से प्रहलाद नगरी के नाम से विख्यात है

यह भी पढ़ें- बटेश्वर धाम में बुलडोजर का कमाल, अतिक्रमणकारियों ने खुद हटा लिया सरकारी जमीन से अवैध कब्जा

तीसरी बार अंगारों से निकला मोनू पंडा
गांव में पहलाद कुंड के पास ही सात गांव की एक विशाल होलीका रखी जाती है. होलिका दहन के दिन से ही इस गांव में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लग जाता है. यहां ढोल-नगाड़े के साथ श्रद्धालु होलिका का आनंद लेते हैं. होलिका दहन के बाद शुक्रवार की सुबह शुभ मुहूर्त मिलने के बाद मोनू पंडा अंगारों के बीच से निकला. मोनू पंडा ने इस परंपरा का निर्वहन तीसरा बार किया है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

मथुरा: शेरगढ़ क्षेत्र के फालेन गांव में होलिका दहन के बाद धधकती आग और लपटों के बीच से निकलने की सदियों पुरानी परंपरा का निर्वहन किया गया. परंपरा निभाने वाले पंडा परिवार के मोनू पंडा ने एक महीने की कठोर तपस्या के बाद होलिका दहन के अंगारों के बीच से निकलकर प्रहलाद कुंड में स्नान किया. दहकती आग की लपटों के बीच से नंगे पांव निकले मोनू पंडा के शरीर पर एक भी खरोंच नहीं आई. इस नजारे को देखने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु फालेन गांव पहुंचे थे. फालेन गांव को प्रहलाद नगरी के नाम से भी जाना जाता है.

पंडा परिवार निभाता है परंपरा
जनपद मुख्यालय से 60 किलोमीटर दूर शेरगढ़ क्षेत्र में बसे फालेन गांव को प्रहलाद नगरी के नाम से भी जाना जाता है. पिछले कई दशकों से इस गांव में एक अनोखी परंपरा निभाई जा रही है. परंपरा के तहत यहां 30 फीट चौड़ी और 15 फीट ऊंची सात गांवों की होलिका रखी जाती है. इस अनोखी परंपरा निभाने के लिए पंडा परिवार के सदस्य मोनू को एक महीने की कठोर तपस्या पर बैठना पड़ता है. गांव में प्राचीन प्रहलाद कुंड में हर रोज स्नान किया जाता है, प्रहलाद मंदिर में कठोर तपस्या की जाती है. तपस्या पर बैठने के बाद मोनू पंडा एक महीने तक अपने घर नहीं जाता है. केवल तपस्या करता है और प्रहलाद की भक्ति में लीन हो जाता है.

धधकती होलिका
जमीन से निकली थी प्रहलाद की मूर्ति दशकों पुरानी एक बात है कि पंडा परिवार के सदस्य को स्वप्न में भगवान ने दर्शन दिए और कहा वृक्ष के नीचे भक्त प्रहलाद की मूर्ति दबी है. मूर्ति को निकालकर मंदिर की स्थापना कराओ और होलीका दहन के अंगारों के बीच जो भी पंडा परिवार का सदस्य निकलेगा उसे खरोच तक नहीं आएगी. पंडा परिवार के सदस्य जब वृक्ष के पास पहुंचे तो उन्होंने जमीन के अंदर पहलाद की मूर्ति देखी. इसके बाद यहां एक भव्य मंदिर बनाया गया. तभी से प्रहलाद नगरी के नाम से विख्यात है

यह भी पढ़ें- बटेश्वर धाम में बुलडोजर का कमाल, अतिक्रमणकारियों ने खुद हटा लिया सरकारी जमीन से अवैध कब्जा

तीसरी बार अंगारों से निकला मोनू पंडा
गांव में पहलाद कुंड के पास ही सात गांव की एक विशाल होलीका रखी जाती है. होलिका दहन के दिन से ही इस गांव में श्रद्धालुओं का जमावड़ा लग जाता है. यहां ढोल-नगाड़े के साथ श्रद्धालु होलिका का आनंद लेते हैं. होलिका दहन के बाद शुक्रवार की सुबह शुभ मुहूर्त मिलने के बाद मोनू पंडा अंगारों के बीच से निकला. मोनू पंडा ने इस परंपरा का निर्वहन तीसरा बार किया है.

ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत ऐप

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.