मथुरा: श्री कृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण को लेकर 10 अलग-अलग याचिकाओं पर गुरुवार को मथुरा जनपद के सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में सुनवाई हुई. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता और प्रतिवादी अधिवक्ताओं ने न्यायालय में लंबी बहस की. सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता जेपी निगम ने कोर्ट में दो घंटे तक अपनी बातें रखीं. इस दौरान अहम याचिका मनीष यादव के वाद पर भी सुनवाई हुई. कोर्ट ने सभी याचिकाओं पर अगली सुनवाई के लिए 12 जुलाई की तारीख तय की है.
सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ईदगाह प्रकरण को लेकर 10 अलग-अलग याचिकाएं मनीष यादव का वाद, महेंद्र प्रताप सिंह का वाद, दिनेश शर्मा का वाद, अनिल त्रिपाठी का वाद, पवन शास्त्री का वाद, जितेंद्र सिंह विसेन का वाद, आशुतोष पांडे का वाद, रंजना अग्निहोत्री के वाद, शशि चतुर्वेदी का वाद, दिनेश चंद शर्मा के वाद पर सुनवाई हुई.
गुरुवार को सुबह 8:00 बजे सिविल जज सीनियर डिविजन की कोर्ट में मनीष यादव के वाद पर सुनवाई हुई थी. इसके बाद 11 बजे मनीष यादव की याचिका पर ही सेवन रूल इलेवन पर वादी के अधिवक्ता ने बहस करते हुए अपनी ओर से तमाम बातें रखीं. जवाब में प्रतिवादी सेंट्रल सुन्नी वक्फ बोर्ड के अधिवक्ता जेपी निगम ने करीब दो घंटे तक बहस की. न्यायालय ने दलील सुनने के बाद कहा कि सभी याचिकाओं में अधिवक्ताओं की सहमति बन जाए तो पहले 7 रूल 11 पर ही सुनवाई हो. मनीष यादव की याचिका पर भी अगली सुनवाई 12 जुलाई को होगी.
वादी दिनेश शर्मा के अधिवक्ता का आरोपः श्रीकृष्ण जन्मभूमि संघर्ष न्यास संगठन अध्यक्ष दिनेश शर्मा के द्वारा न्यायालय में दाखिल की गई है. याचिका को लेकर वादी के अधिवक्ता ने कहा कि न्यायालय पहले विवादित स्थान का सर्वे सरकारी अमीन से करने के आदेश करे. क्योंकि, कुछ अराजकतत्व विवादित स्थान पर पुराने साक्ष्य को मिटाने का प्रयास कर रहे हैं. अतः न्यायालय सर्वे के आदेश करे और बाद में 7 रूल 11 पर सुनवाई करे.
श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है. 11 एकड़ में श्री कृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और 2.37 एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. श्री कृष्ण जन्मस्थान जो प्राचीन विराजमान कटरा केशव देव मंदिर की जगह पर बना हुआ है. कोर्ट में दाखिल सभी प्रार्थना पत्र में यह मांग की जा रही है. पूरी जमीन भगवान श्रीकृष्ण जन्मभूमि को वापस की जाए, 1968 में श्री कृष्ण जन्मस्थान सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्म भूमि सेवा ट्रस्ट में जो समझौता हुआ था, उसे जमीन डिक्री करने का कोई अधिकार नहीं है.
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