मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि विराजमान मालिकाना हक को लेकर जिला न्यायालय कोर्ट में गुरुवार को सुनवाई नहीं हो सकी है. जज साधना रानी ठाकुर के एक दिन के अवकाश पर होने के कारण मामले की सुनवाई नहीं हुई. अगली सुनवाई की तारीख 7 जनवरी सुनिश्चित की गई है. जिला न्यायालय कोर्ट पहुंचे वादी और प्रतिवादी पक्षों के अधिवक्ता के लिए जिला न्यायालय कोर्ट में जिला प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे.
सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक और परिसर को मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर 25 सितंबर को जिला न्यायालय कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. 18 नवंबर को जिला न्यायालय कोर्ट में श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट के अधिवक्ता के कोर्ट में उपस्थित न होने के कारण अगली सुनवाई 10 दिसंबर को तय हुई थी. गुरुवार को जिला जज साधना रानी ठाकुर के एक दिन के अवकाश पर के होने के कारण आज सुनवाई नहीं हो सकी. श्री कृष्ण जन्मभूमि मामले को लेकर जिला न्यायालय कोर्ट ने पहले ही 4 प्रतिवादी पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह कमेटी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान और श्री कृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट कोर्ट में मौजूद रहे.
कब हुआ श्रीकृष्ण जन्मभूमि का निर्माण
ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान वाराणसी के राजा पटनीमल ने इस जगह को खरीदा था. सन् 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्मस्थान की दुर्दशा को देखकर दुखित हुए. उस दौरान स्थानीय लोगों ने भी मदन मोहन मालवीय जी से कहा कि यहां भव्य मंदिर बनना चाहिए. मदन मोहन मालवीय जी ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को जन्मभूमि पुनरुद्वार के लिए पत्र लिखा. 21 फरवरी 1951 में श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट की स्थापना की गई.
ये है मांग
12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्री कृष्ण जन्मस्थान सोसायटी द्वारा किया गया. 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई. डिक्री रद्द करने की मांग को लेकर 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता ने कोर्ट मे याचिका डाली थी.