मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक मामले में कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. दरअसल इसको लेकर 25 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ताओं द्वारा मथुरा न्यायालय सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की कोर्ट में याचिका डाली गई थी. इन 58 पन्नों की याचिका में कृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक और मंदिर को मस्जिद मुक्त बनाने की बातें कही गई थीं.
सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट में जन्मभूमि के मालिकाना हक की याचिका को लेकर सुनवाई की गई. वहीं कोर्ट में सुनवाई को लेकर श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई. साथ ही मंदिर के आसपास आवाजाही करने वाले लोगों पर विशेष नजर रखी जा रही है.
श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर 13.37 एकड़ में बना हुआ है, जिसमें श्री कृष्ण जन्मभूमि लीला मंच, भागवत भवन और डेढ़ एकड़ में शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता द्वारा 25 सितंबर को श्रीकृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर कोर्ट में याचिका डाली गई थी, जिसमें श्रीकृष्ण सेवा संस्थान और शाही ईदगाह कमेटी को प्रतिवादी पक्ष बनाया गया था. अधिवक्ताओं द्वारा कोर्ट से मांग की गई कि श्रीकृष्ण जन्मस्थान को मस्जिद मुक्त बनाया जाए.
बता दें कि ब्रिटिश शासन काल में 1815 में नीलामी के दौरान बनारस के राजा पटनी मल ने इस जगह को खरीदा था. 1940 में पंडित मदन मोहन मालवीय जब मथुरा आए तो श्रीकृष्ण जन्मस्थान की दुर्दशा को देखकर दुखी हुए और स्थानीय लोगों ने भी मदन मोहन मालवीय जी से कहा कि यहां भव्य मंदिर बनना चाहिए. मदन मोहन मालवीय जी ने मथुरा के उद्योगपति जुगल किशोर बिरला को जन्मभूमि पुनरुद्धार के लिए पत्र लिखा. 21 फरवरी 1951 में श्रीकृष्ण जन्म भूमिट्रस्ट की स्थापना की गई. 12 अक्टूबर 1968 को कटरा केशव देव मंदिर की जमीन का समझौता श्रीकृष्ण जन्मस्थान सोसायटी द्वारा किया गया. 20 जुलाई 1973 को यह जमीन डिक्री की गई थी. डिक्री रद्द करने की मांग को लेकर अधिवक्ता ने कोर्ट मे याचिका डाली है.
मथुरा न्यायालय सिविल जज सीनियर डिवीजन छाया शर्मा की कोर्ट में श्री कृष्ण जन्मस्थान के मालिकाना हक को लेकर सुनवाई शुरू की गई . इस दौरान जिला प्रशासन द्वारा परिसर के पास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए. फिलहाल कोर्ट ने सुनवाई के दौरान फैसले को सुरक्षित रख लिया है.