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गज ग्राह की युद्ध लीला देख मंत्रमुग्ध हुए श्रद्धालु भक्त

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Published : Jul 25, 2021, 2:36 PM IST

मथुरा के श्रीरंगनाथ मंदिर में गज ग्राह मोक्ष लीला का आयोजन किया गया. लीला में भगवान रंगनाथ गरुड़ वाहन पर विराजमान होकर पुष्करणी पहुंचे और गज की रक्षा कर ग्राह (मगरमच्छ) को मुक्ति प्रदान की.

संकेतिक गज और ग्राह की युद्ध लीला.
संकेतिक गज और ग्राह की युद्ध लीला.

मथुराः धर्म नगरी वृंदावन में एक बार पुनः गजेंद्र मोक्ष लीला के रूप में भक्त के प्रति भगवान का स्नेह प्रदर्शित किया गया. गजेंद्र मोक्ष लीला के नाम से जानी जाने वाली यह लीला दक्षिण भारतीय शैली के प्रसिद्ध श्रीरंगनाथ मंदिर में आयोजित हुई. गजेंद्र मोक्ष लीला के अंतर्गत मंदिर के पुष्करणी कुंड में प्रतीकात्मक रूप में आयोजित गज-ग्राह यानी हाथी और मगरमच्छ के मध्य युद्ध लीला का आनंद लेने के लिए श्रद्धालु भक्तों की भीड़ एकत्रित हो गई. इसके बाद लीला आरम्भ होते ही श्रद्धालुओं का ध्यान गज और ग्राह के बीच चल रहे युद्ध पर केंद्रित हो गया.

श्रीरंगनाथ मन्दिर में बारहद्वारी के समीप स्थित पुष्करणी सरोबर में गज ग्राह लीला का आयोजन किया गया. आषाढ़ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को आयोजित होने वाली इस लीला में भक्त और भगवान के संबंध को दिखाया गया है. सांय काल की बेला में पुष्करणी में गज (हाथी) जब स्नान करते हैं. इसी दौरान वहां मौजूद ग्राह (मगरमच्छ) उनका पैर पकड़ लेता है. मगरमच्छ की पकड़ में आये गज ने इस संकट से निपटने के लिए भगवान का स्मरण किया. जिस पर भक्त की पुकार पर स्वर्ण निर्मित गरुड़ जी पर विराजमान होकर भगवान रंगनाथ पुष्करणी पहुंचे. जहां उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से ग्राह का उद्धार किया और गज को बचाया. भगवान का सुदर्शन चलते ही भक्त भगवान रंगनाथ के जयकारे लगाने लगे.

ज ग्राह मोक्ष लीला का आयोजन.

इसे भी पढ़ें- गुरु पूर्णिमा: अयोध्या में उमड़ा जनसैलाब, मथुरा में निकाली गई शोभा यात्रा

इस उत्सव के बारे में मन्दिर की मुख्य अधिशाषी अधिकारी अनघा श्री निवासन ने बताया कि गजेंद्र मोक्ष भगवान की अद्भुत लीला है, जिसमें भक्त गजेंद्र हैं, जो भगवान की सेवा के लिए पुष्प लेकर पुष्करणी सरोवर से गुजर रहा होता है और ग्राह यानि मगर ने इसके पैर को दबोच लिया है. ऐसे में गजेंद्र भगवान के शरणागत होकर भगवान से प्रार्थना करता है कि आपके अलावा कोई नहीं जो बचा सकता है. इसलिए आप मुझे आप ग्रहा से मुक्त करिए.

उन्होंने बताया कि भगवान माया से बचने का एकमात्र उपाय भगवान की शरणागति ही है. भगवान की जो शरणागति ग्रहण करता है, उसको भगवान संसार की माया से तत्काल मुक्त कर देते हैं. इसी उपदेश को बताने के लिए यह गज ग्राह का उत्सव आयोजित किया जाता है.

मथुराः धर्म नगरी वृंदावन में एक बार पुनः गजेंद्र मोक्ष लीला के रूप में भक्त के प्रति भगवान का स्नेह प्रदर्शित किया गया. गजेंद्र मोक्ष लीला के नाम से जानी जाने वाली यह लीला दक्षिण भारतीय शैली के प्रसिद्ध श्रीरंगनाथ मंदिर में आयोजित हुई. गजेंद्र मोक्ष लीला के अंतर्गत मंदिर के पुष्करणी कुंड में प्रतीकात्मक रूप में आयोजित गज-ग्राह यानी हाथी और मगरमच्छ के मध्य युद्ध लीला का आनंद लेने के लिए श्रद्धालु भक्तों की भीड़ एकत्रित हो गई. इसके बाद लीला आरम्भ होते ही श्रद्धालुओं का ध्यान गज और ग्राह के बीच चल रहे युद्ध पर केंद्रित हो गया.

श्रीरंगनाथ मन्दिर में बारहद्वारी के समीप स्थित पुष्करणी सरोबर में गज ग्राह लीला का आयोजन किया गया. आषाढ़ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा को आयोजित होने वाली इस लीला में भक्त और भगवान के संबंध को दिखाया गया है. सांय काल की बेला में पुष्करणी में गज (हाथी) जब स्नान करते हैं. इसी दौरान वहां मौजूद ग्राह (मगरमच्छ) उनका पैर पकड़ लेता है. मगरमच्छ की पकड़ में आये गज ने इस संकट से निपटने के लिए भगवान का स्मरण किया. जिस पर भक्त की पुकार पर स्वर्ण निर्मित गरुड़ जी पर विराजमान होकर भगवान रंगनाथ पुष्करणी पहुंचे. जहां उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से ग्राह का उद्धार किया और गज को बचाया. भगवान का सुदर्शन चलते ही भक्त भगवान रंगनाथ के जयकारे लगाने लगे.

ज ग्राह मोक्ष लीला का आयोजन.

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इस उत्सव के बारे में मन्दिर की मुख्य अधिशाषी अधिकारी अनघा श्री निवासन ने बताया कि गजेंद्र मोक्ष भगवान की अद्भुत लीला है, जिसमें भक्त गजेंद्र हैं, जो भगवान की सेवा के लिए पुष्प लेकर पुष्करणी सरोवर से गुजर रहा होता है और ग्राह यानि मगर ने इसके पैर को दबोच लिया है. ऐसे में गजेंद्र भगवान के शरणागत होकर भगवान से प्रार्थना करता है कि आपके अलावा कोई नहीं जो बचा सकता है. इसलिए आप मुझे आप ग्रहा से मुक्त करिए.

उन्होंने बताया कि भगवान माया से बचने का एकमात्र उपाय भगवान की शरणागति ही है. भगवान की जो शरणागति ग्रहण करता है, उसको भगवान संसार की माया से तत्काल मुक्त कर देते हैं. इसी उपदेश को बताने के लिए यह गज ग्राह का उत्सव आयोजित किया जाता है.

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