मथुरा: जनपद के रंगनाथ मंदिर में रक्षाबंधन के अवसर पर गज ग्राह लीला का दिव्य आयोजन किया गया. इस लीला को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. रक्षाबंधन के पावन पर्व पर गुरुवार को रंगनाथ मंदिर प्रांगण में स्थित पुष्ककरणी कुंड में गज ग्राह लीला देख भक्त भाव विभोर हो उठे.
मथुरा: रंगनाथ मंदिर में गज ग्रह लीला का हुआ आयोजन - ranganath temple
उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले के वृंदावन नगर में स्थित विशालकाय रंगनाथ मंदिर में गज ग्रह लीला का दिव्य आयोजन किया गया. इस लीला को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में भक्त मंदिर परिसर में एकत्रित हुए.
रंगनाथ मंदिर में गज ग्रह लीला का हुआ आयोजन.
मथुरा: जनपद के रंगनाथ मंदिर में रक्षाबंधन के अवसर पर गज ग्राह लीला का दिव्य आयोजन किया गया. इस लीला को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. रक्षाबंधन के पावन पर्व पर गुरुवार को रंगनाथ मंदिर प्रांगण में स्थित पुष्ककरणी कुंड में गज ग्राह लीला देख भक्त भाव विभोर हो उठे.
इस लीला के माध्यम से यह दर्शाया गया कि भगवान किस तरह अपने भक्तों की रक्षा करते हैं. पुष्ककरणी कुंड में गजराज स्नान कर रहे होते हैं, तभी ग्राह मगरमच्छ उनको अपना शिकार बनाने के लिए पैर पकड़ लेता है. मगरमच्छ की पकड़ में आने पर गजराज भगवान नारायण का स्मरण कर उन्हें पुकारते हैं. भक्त की करुण पुकार पर भगवान रंगनाथ गरुण पर विराजमान होकर आते हैं और मगरमच्छ को चेतावनी देते हुए भक्त को छोड़ने के लिए कहते हैं.
भगवान के आदेश को जब ग्राह नहीं मानता तो भगवान रंगनाथ उसका सुदर्शन चक्र से वध करते हैं और उसे मोक्ष प्रदान कर उद्धार करते हैं. इसके बाद संपूर्ण परिसर भगवान रंगनाथ के जयकारों से गुंज उठता है. करीब 150 वर्षों से अधिक समय से चल रही इस लीला के समापन के बाद भगवान रंगनाथ की आरती की गई. इसके बाद भगवान सवारी के रूप में मंदिर में प्रस्थान कर गए.
इस लीला के माध्यम से यह दर्शाया गया कि भगवान किस तरह अपने भक्तों की रक्षा करते हैं. पुष्ककरणी कुंड में गजराज स्नान कर रहे होते हैं, तभी ग्राह मगरमच्छ उनको अपना शिकार बनाने के लिए पैर पकड़ लेता है. मगरमच्छ की पकड़ में आने पर गजराज भगवान नारायण का स्मरण कर उन्हें पुकारते हैं. भक्त की करुण पुकार पर भगवान रंगनाथ गरुण पर विराजमान होकर आते हैं और मगरमच्छ को चेतावनी देते हुए भक्त को छोड़ने के लिए कहते हैं.
भगवान के आदेश को जब ग्राह नहीं मानता तो भगवान रंगनाथ उसका सुदर्शन चक्र से वध करते हैं और उसे मोक्ष प्रदान कर उद्धार करते हैं. इसके बाद संपूर्ण परिसर भगवान रंगनाथ के जयकारों से गुंज उठता है. करीब 150 वर्षों से अधिक समय से चल रही इस लीला के समापन के बाद भगवान रंगनाथ की आरती की गई. इसके बाद भगवान सवारी के रूप में मंदिर में प्रस्थान कर गए.
Intro:उत्तर भारत के दक्षिणायंत शैली के विशालकाय रंगनाथ मंदिर में गज ग्राह लीला का दिव्य आयोजन किया गया. इस लीला को देखने के लिए सैकड़ों की संख्या में भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा. रक्षाबंधन के पावन पर्व पर गुरुवार को रंगनाथ मंदिर प्रांगण में स्थित पुष्ककरणी कुंड में गज ग्राह लीला देख भक्त भाव विभोर हो उठे.
Body:भगवान किस तरह अपने भक्तों की रक्षा करते हैं, यह इस लीला के माध्यम से दर्शाया गया .पुष्ककरणी कुंड में गजराज स्नान कर रहे होते हैं, तभी ग्राह मगरमच्छ उनको अपना शिकार बनाने के लिए पैर पकड़ लेता है. मगरमच्छ की पकड़ मैं आने पर गजराज भगवान नारायण का स्मरण कर उन्हें पुकारते हैं. भक्त की करुण पुकार पर भगवान रंगनाथ गरुण पर विराजमान होकर आते हैं, और मगरमच्छ को चेतावनी देते हुए भक्त को छोड़ने के लिए कहते हैं. लेकिन भगवान के आदेश को जब ग्राह नहीं मानता तो भगवान रंगनाथ उसका सुदर्शन चक्र से वध करते हैं, व उस को मोक्ष प्रदान कर उद्धार करते हैं.
Conclusion:जिसके बाद संपूर्ण परिसर भगवान रंगनाथ की जय जय कार से गुंजायमान हो उठता है. करीब 150 वर्षों से अधिक समय से चल रही इस लीला के समापन के बाद भगवान रंगनाथ की आरती की गई, जिसके बाद भगवान सवारी के रूप में मंदिर में प्रस्थान कर गए. गज ग्रह लीला के संबंध में वरिष्ठ विप्र विजय किशोर मिश्र ने जानकारी दी.
बाइट-वरिष्ठ विप्र विजय किशोर मिश्र
स्ट्रिंगर मथुरा
राहुल खरे
mb-9897000608
Body:भगवान किस तरह अपने भक्तों की रक्षा करते हैं, यह इस लीला के माध्यम से दर्शाया गया .पुष्ककरणी कुंड में गजराज स्नान कर रहे होते हैं, तभी ग्राह मगरमच्छ उनको अपना शिकार बनाने के लिए पैर पकड़ लेता है. मगरमच्छ की पकड़ मैं आने पर गजराज भगवान नारायण का स्मरण कर उन्हें पुकारते हैं. भक्त की करुण पुकार पर भगवान रंगनाथ गरुण पर विराजमान होकर आते हैं, और मगरमच्छ को चेतावनी देते हुए भक्त को छोड़ने के लिए कहते हैं. लेकिन भगवान के आदेश को जब ग्राह नहीं मानता तो भगवान रंगनाथ उसका सुदर्शन चक्र से वध करते हैं, व उस को मोक्ष प्रदान कर उद्धार करते हैं.
Conclusion:जिसके बाद संपूर्ण परिसर भगवान रंगनाथ की जय जय कार से गुंजायमान हो उठता है. करीब 150 वर्षों से अधिक समय से चल रही इस लीला के समापन के बाद भगवान रंगनाथ की आरती की गई, जिसके बाद भगवान सवारी के रूप में मंदिर में प्रस्थान कर गए. गज ग्रह लीला के संबंध में वरिष्ठ विप्र विजय किशोर मिश्र ने जानकारी दी.
बाइट-वरिष्ठ विप्र विजय किशोर मिश्र
स्ट्रिंगर मथुरा
राहुल खरे
mb-9897000608