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मथुरा: विदेशी कलाकारों ने दी मनमोहक प्रस्तुति, जमकर बिखेरे होली के रंग

उत्तर प्रदेश के मथुरा में अमेरिका के न्यू टाउन से आए विदेशी कलाकारों ने वात्सल्य ग्राम की भूमि पर राधा-कृष्ण बनकर जमकर होली के रंग बिखेरे. सभ्यता और संस्कृति को सीखने-जानने का यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा.

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विदेशी कलाकारों ने दी मनमोहक प्रस्तुति.
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Published : Feb 8, 2020, 9:10 AM IST

मथुरा: जनपद में दो देशों की संस्कृति और सभ्यता का समागम देखने को मिला. जब अमेरिका के न्यू टाउन से आए विदेशियों ने वात्सल्य ग्राम की भूमि पर राधा-कृष्ण बनकर जमकर होली के रंग बिखेरे. सात दिनों में ही हिंदुस्तानी संस्कृति को अपने में समाहित करने वाले विदेशियों ने जमकर लट्ठमार और फूलों की होली खेली. इस दौरान विदेशियों ने राजस्थानी लोकगीतों व डांडिया की भी मनमोहक प्रस्तुति दी, जिसे देखकर श्रोता अपने आपको ताली बजाने से नहीं रोक पाए.

विदेशी कलाकारों ने दी मनमोहक प्रस्तुति.

कान्हा की नगरी में सभी इन दिनों होली के रंगों में सराबोर नजर आ रहे हैं. देश-विदेश हर जगह से लोग मथुरा आकर कृष्ण रंग में सराबोर नजर आ रहे हैं. सात समुंदर पार से आए सैलानी मंच पर रासलीला, लठमार होली और फूलों की होली खेल रहे हैं.

अमेरिका के न्यू टाउन शहर से भारतीय संस्कृति को पढ़ने-जानने आए इन लोगों को भारतीय संस्कृति व सभ्यता ने इतना प्रभावित किया कि सिर्फ 7 दिनों में ही वृंदावन के वात्सल्य ग्राम में भारतीय संस्कृति को अपने आप में उतार लिया. यही नहीं, बिना किसी झिझक राधा-कृष्ण की लीलाओं को जीवंत कर रहे हैं .अपनी कला से सबको रिझाने वाले विदेशी कृष्ण-राधा ने भाव साझा करते हुए कहा कि हम लोग यहां भारतीय संस्कृति व सभ्यता जानने आए थे, लेकिन यह जीवन जीना एक अलग ही आनंद देने वाला है. यहां की संस्कृति जीवन को नया आयाम देने वाली है. हमने होली खेली बहुत अच्छा लगा .

इसे भी पढ़ें:- विधानसभा चुनाव 2020 : मतदाता आज तय करेंगे दिल्ली के भाग्य का फैसला

यह दो संस्कृति और सभ्यता का मिलन है, क्योंकि पश्चिम के लोगों को भारत के प्रति भारी आकर्षण है . हमारी संस्कृति और हमारा ज्ञान जो है सबसे खूबसूरत चीज है .7 दिन में ही बच्चों ने कितना भारत को जिया है, भावों को जिया है और सबसे बड़ी भाषा प्रेम की भाषा होती है और प्रेम के लिए किसी भाषा की जरूरत नहीं होती है.
साध्वी ऋतंभरा

मथुरा: जनपद में दो देशों की संस्कृति और सभ्यता का समागम देखने को मिला. जब अमेरिका के न्यू टाउन से आए विदेशियों ने वात्सल्य ग्राम की भूमि पर राधा-कृष्ण बनकर जमकर होली के रंग बिखेरे. सात दिनों में ही हिंदुस्तानी संस्कृति को अपने में समाहित करने वाले विदेशियों ने जमकर लट्ठमार और फूलों की होली खेली. इस दौरान विदेशियों ने राजस्थानी लोकगीतों व डांडिया की भी मनमोहक प्रस्तुति दी, जिसे देखकर श्रोता अपने आपको ताली बजाने से नहीं रोक पाए.

विदेशी कलाकारों ने दी मनमोहक प्रस्तुति.

कान्हा की नगरी में सभी इन दिनों होली के रंगों में सराबोर नजर आ रहे हैं. देश-विदेश हर जगह से लोग मथुरा आकर कृष्ण रंग में सराबोर नजर आ रहे हैं. सात समुंदर पार से आए सैलानी मंच पर रासलीला, लठमार होली और फूलों की होली खेल रहे हैं.

अमेरिका के न्यू टाउन शहर से भारतीय संस्कृति को पढ़ने-जानने आए इन लोगों को भारतीय संस्कृति व सभ्यता ने इतना प्रभावित किया कि सिर्फ 7 दिनों में ही वृंदावन के वात्सल्य ग्राम में भारतीय संस्कृति को अपने आप में उतार लिया. यही नहीं, बिना किसी झिझक राधा-कृष्ण की लीलाओं को जीवंत कर रहे हैं .अपनी कला से सबको रिझाने वाले विदेशी कृष्ण-राधा ने भाव साझा करते हुए कहा कि हम लोग यहां भारतीय संस्कृति व सभ्यता जानने आए थे, लेकिन यह जीवन जीना एक अलग ही आनंद देने वाला है. यहां की संस्कृति जीवन को नया आयाम देने वाली है. हमने होली खेली बहुत अच्छा लगा .

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यह दो संस्कृति और सभ्यता का मिलन है, क्योंकि पश्चिम के लोगों को भारत के प्रति भारी आकर्षण है . हमारी संस्कृति और हमारा ज्ञान जो है सबसे खूबसूरत चीज है .7 दिन में ही बच्चों ने कितना भारत को जिया है, भावों को जिया है और सबसे बड़ी भाषा प्रेम की भाषा होती है और प्रेम के लिए किसी भाषा की जरूरत नहीं होती है.
साध्वी ऋतंभरा

Intro:कान्हा की नगरी मथुरा में 2 देशों की संस्कृति व सभ्यता का मिलन सर्द हवाओं के बीच जमकर बिखरा .अमेरिका न्यू टाउन से आए विदेशियों ने वात्सल्य ग्राम की भूमि पर राधा कृष्ण बनकर जमकर होली के रंग बिखेरे. 7 दिनों में ही हिंदुस्तानी संस्कृति को अपने में समाहित करने वाले विदेशियों ने जमकर लट्ठमार व फूलों की होली खेली. इस दौरान विदेशियों ने राजस्थानी लोकगीतों व डांडिया की भी मनमोहक प्रस्तुति दी .जिसे देखकर मौजूदा श्रोता अपने आपको ताली बजाने से नहीं रोक पाए .सभ्यता और संस्कृति को सीखने जानने का यह सिलसिला देर रात तक चलता रहा ,और मौजूद लोग इसमें सराबोर नजर आए.


Body:कान्हा का प्रेम रंग ही इतना मनमोहक और गहरा है कि जो एक बार इसको देख भर ले बहस में सराबोर होना चाहता है, चाहे वह हिंदुस्तानी हो या सात समुंदर पार से आए सैलानी .मंच पर रासलीला ,लठमार होली व फूलों की होली खेल रहे यह विदेशी राधा-कृष्ण है जो सिर्फ 7 दिनों में ही भारतीय संस्कृति से इतने प्रभावित हुए कि अब कान्हा के प्रेम रंग में अमेरिका के न्यू टाउन को रंगते नजर आए. अमेरिका के न्यू टाउन शहर से भारतीय संस्कृति को पढ़ने जानने आए इन लोगों को भारतीय संस्कृति व सभ्यता ने इतना प्रभावित किया जो साफ दिखाई दे रहा है. सिर्फ 7 दिनों में ही वृंदावन के वात्सल्य ग्राम में भारतीय संस्कृति को अपने आप में उतार लिया और बिना किसी झिझक के इतने विश्वास से राधा-कृष्ण की लीलाओं को जीवंत कर रहे हैं .अपनी कला से सब को रिझाने वाले विदेशी कृष्ण राधा ने भाव साझा करते हुए कहा कि हम लोग यहां भारतीय संस्कृति व सभ्यता जानने आए थे. लेकिन यह जीवन जीना एक अलग ही आनंद देने वाला है .यहां की संस्कृति जीवन को नया आयाम देने वाली है हम ने होली खेली बहुत अच्छा लगा .


Conclusion:भारतीय संस्कृति और सभ्यता को जानने और सीखने के लिए 7 दिनों के लिए आए अमेरिका के न्यू टाउन से छात्र-छात्राओं ने वृंदावन स्थित वात्सल्य ग्राम में जमकर कान्हा के रंग में रंग राधा कृष्ण की लीलाओं पर प्रस्तुति दी ,और लट्ठमार होली ,फूलों की होली खेली .इस दौरान साध्वी ऋतंभरा ने कहा कि यह दो संस्कृति और सभ्यता का मिलन है ,क्योंकि पश्चिम के लोगों को भारत के प्रति भारी आकर्षण है .हमारी संस्कृति और हमारा ज्ञान जो है सबसे खूबसूरत चीज है .7 दिन में ही बच्चों ने कितना भारत को जिया है भावों को जिया है और सबसे बड़ी भाषा प्रेम की भाषा होती है और प्रेम के लिए किसी भाषा की जरूरत नहीं होती है .बच्चों ने होली खेली ब्रज का सबसे बड़ा रंग तो होली का रंग है ,और यह श्री राधा और कृष्ण के प्रेम तरंगे यह निस्वार्थ प्रेम का रंग है. निष्काम प्रेम करेंगे जिसको एक ना एक दिन पूरी दुनिया को रंगना ही होगा ,तभी सारी मनुष्यता आनंद पाएगी सुख पाएगी.
बाइट- साध्वी ऋतंभरा
स्ट्रिंगर मथुरा
राहुल खरे
mb-9897000608
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