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अबकी विधानसभा चुनाव में इस गांव का कोई भी शख्स नहीं करेगा मतदान - मतदान का बहिष्कार

आजादी के कई दशक बीतने के बाद आज भी विकास से कोसों दूर अपनी समस्याओं से जद्दोजहद कर रहे मथुरा के गोवर्धन तहसील के कोनहई गांव निवासियों ने अबकी विधानसभा चुनाव में मतदान का बहिष्कार करने का निर्णय लिया है. ग्रामीणों ने बताया कि उन्हें आज तक वादों के अलावा कुछ नहीं मिला. गांव में जल जमाव, सड़क और बेरोजगारी की समस्या अपने चरम पर है...

अबकी विधानसभा चुनाव में इस गांव का कोई भी शख्स नहीं करेगा मतदान
अबकी विधानसभा चुनाव में इस गांव का कोई भी शख्स नहीं करेगा मतदान
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Published : Sep 25, 2021, 5:28 PM IST

मथुरा: आजादी के कई दशक बीत जाने के बाद भी यह गांव आज भी विकास को तरस रहा है. हर रोज जलभराव की समस्या (water logging problem) के अलावे यहां सड़क और पानी की समस्या को लेकर ग्रामीणों में खासा आक्रोश है. यही कारण है कि यहां के ग्रामीणों ने आगामी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election - 2022) में मतदान का बहिष्कार (boycott of voting) करने का निर्णय लिया है.

साथ ही गांव के युवाओं ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वे अबकी वोट नहीं करेंगे. हालांकि, इसके पीछे की वजह पर सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि हर बार चुनाव से पहले नेताजी अपने लुभावने वादे करते हैं. लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी गांव में आज तक कोई विकास कार्य नहीं हुआ है.

अबकी विधानसभा चुनाव में इस गांव का कोई भी शख्स नहीं करेगा मतदान

दरअसल, हम बात कर रहे हैं, मथुरा जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित गोवर्धन तहसील के गांव कोनहई की, जो आज भी विकास से कोसों दूर है. यहां के स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव, हर बार सियासी दलों के प्रत्याशी गांव में वोट को आते हैं और लुभावने वादे कर चले जाते हैं.

इसे भी पढ़ें - यूपी विधानसभा चुनाव 2022 : महिला सुरक्षा के मुद्दे पर छात्राओं ने दी प्रतिक्रिया, देखें वीडियो..

लेकिन चुनाव जीतने के बाद यहां कोई नेता आज तक नहीं आया. यही कारण है कि आजादी के इतने साल बीतने के बाद भी यहां विकास दूर की कौड़ी बनी हुई है. शायद यही वजह है कि गांव के युवाओं से लेकर बुजुर्गों ने तक अबकी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का मन बना लिया और इस बाबत ग्रामीणों की ओर से घोषणा भी कर दिया गया है.

कोनहई गांव में हर रोज ग्रामीणों को एक साथ कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है, जिसका निराकरण आज तक संभव ही नहीं हो सका है. सड़कों पर जलभराव, गांव में गंदगी का अंबार और बेरोजगारी की समस्या को लेकर कई बार ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन किया और अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे. लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ.

स्थानीय विधायक से नाराज

2017 के विधानसभा चुनाव में ग्रामीणों ने गांव की समस्या को लेकर भाजपा प्रत्याशी ठाकुर कारिंदा सिंह को भारी वोट देकर अपना प्रतिनिधि चुना, लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद विकास कार्य तो दूर की बात है. उन्होंने कभी गांव का दौरा भी नहीं किया.

वहीं, एक ग्रामीण छात्रा ने बताया गांव में जलभराव की समस्या हमेशा बनी रहती है. सुबह स्कूल जाते समय हम लोगों की ड्रेस तक खराब हो जाती है. कई बार सड़क बनवाने के लिए विधायक से कहा गया. लेकिन उन्होंने कभी भी हमारी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया.

एक अन्य छात्रा ने बताया कि गांव की समस्या को लेकर काफी परेशानियां होती हैं. गांव की समस्या को लेकर सोशल मीडिया और फेसबुक पर वीडियो भी डाले गए. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. यहां तक कि कोई नेता भी इस गांव की समस्या को जानने को नहीं आया.

मथुरा: आजादी के कई दशक बीत जाने के बाद भी यह गांव आज भी विकास को तरस रहा है. हर रोज जलभराव की समस्या (water logging problem) के अलावे यहां सड़क और पानी की समस्या को लेकर ग्रामीणों में खासा आक्रोश है. यही कारण है कि यहां के ग्रामीणों ने आगामी विधानसभा चुनाव (UP Assembly Election - 2022) में मतदान का बहिष्कार (boycott of voting) करने का निर्णय लिया है.

साथ ही गांव के युवाओं ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वे अबकी वोट नहीं करेंगे. हालांकि, इसके पीछे की वजह पर सवाल किए जाने पर उन्होंने कहा कि हर बार चुनाव से पहले नेताजी अपने लुभावने वादे करते हैं. लेकिन पांच साल बीत जाने के बाद भी गांव में आज तक कोई विकास कार्य नहीं हुआ है.

अबकी विधानसभा चुनाव में इस गांव का कोई भी शख्स नहीं करेगा मतदान

दरअसल, हम बात कर रहे हैं, मथुरा जिला मुख्यालय से करीब 30 किलोमीटर दूर स्थित गोवर्धन तहसील के गांव कोनहई की, जो आज भी विकास से कोसों दूर है. यहां के स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो विधानसभा चुनाव हो या फिर लोकसभा चुनाव, हर बार सियासी दलों के प्रत्याशी गांव में वोट को आते हैं और लुभावने वादे कर चले जाते हैं.

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लेकिन चुनाव जीतने के बाद यहां कोई नेता आज तक नहीं आया. यही कारण है कि आजादी के इतने साल बीतने के बाद भी यहां विकास दूर की कौड़ी बनी हुई है. शायद यही वजह है कि गांव के युवाओं से लेकर बुजुर्गों ने तक अबकी विधानसभा चुनाव के बहिष्कार का मन बना लिया और इस बाबत ग्रामीणों की ओर से घोषणा भी कर दिया गया है.

कोनहई गांव में हर रोज ग्रामीणों को एक साथ कई समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है, जिसका निराकरण आज तक संभव ही नहीं हो सका है. सड़कों पर जलभराव, गांव में गंदगी का अंबार और बेरोजगारी की समस्या को लेकर कई बार ग्रामीणों ने धरना प्रदर्शन किया और अधिकारियों को ज्ञापन सौंपे. लेकिन आज तक कुछ नहीं हुआ.

स्थानीय विधायक से नाराज

2017 के विधानसभा चुनाव में ग्रामीणों ने गांव की समस्या को लेकर भाजपा प्रत्याशी ठाकुर कारिंदा सिंह को भारी वोट देकर अपना प्रतिनिधि चुना, लेकिन चुनाव जीत जाने के बाद विकास कार्य तो दूर की बात है. उन्होंने कभी गांव का दौरा भी नहीं किया.

वहीं, एक ग्रामीण छात्रा ने बताया गांव में जलभराव की समस्या हमेशा बनी रहती है. सुबह स्कूल जाते समय हम लोगों की ड्रेस तक खराब हो जाती है. कई बार सड़क बनवाने के लिए विधायक से कहा गया. लेकिन उन्होंने कभी भी हमारी समस्याओं को गंभीरता से नहीं लिया.

एक अन्य छात्रा ने बताया कि गांव की समस्या को लेकर काफी परेशानियां होती हैं. गांव की समस्या को लेकर सोशल मीडिया और फेसबुक पर वीडियो भी डाले गए. लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ. यहां तक कि कोई नेता भी इस गांव की समस्या को जानने को नहीं आया.

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