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मथुरा: निगेटिव मरीज को किया कोविड वार्ड में भर्ती, मौत के बाद परिजनों ने किया हंगामा - negative patient made positive by hospital

उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में एक मरीज की अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई. परिजनों का कहना है कि अस्पताल प्रशासन ने मरीज की कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद भी उसे कोरोना वार्ड में रखा और कोरोना का उपचार किया. ऐसे में मरीज की मौत के बाद परिजनों ने जमकर हंगामा किया.

परिजनों ने किया हंगामा.
परिजनों ने किया हंगामा.
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Published : Sep 28, 2020, 9:38 AM IST

मथुरा: जिले का नियति अस्पताल एक बार फिर चर्चाओं में है. आगरा के कमला नगर के रहने वाले 58 वर्षीय संजय जिंदल को उपचार के लिए नियति अस्पताल में भर्ती कराया गया था. यहां जब उनकी कोरोना की जांच की गई तो रिपोर्ट निगेटिव आई. फिर भी अस्पताल प्रशासन ने संजय को कोरोना वार्ड में रखा और कोविड-19 का उपचार दिया. उनकी मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल पर अवैध वसूली और लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा काटा और शव लेने से मना कर दिया.

मौत के बाद परिजनों ने किया हंगामा.

परिजनों का कहना है कि संजय जिंदल (58) को सांस लेने में समस्या हो रही थी, जिसके चलते उनको 17 सितंबर को उपचार के लिए नियति अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 18 सितंबर को अस्पताल में उनका कोरोना टेस्ट कराया गया, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई. इसके बावजूद अस्पताल कर्मचारियों ने संजय को कोविड वार्ड में रखा और उन्हें कोविड का उपचार दिया.

परिजनों का कहना है कि जब उन्होंने संजय को कोविड वार्ड में रखने का विरोध किया तो अस्पताल प्रशासन ने कहा कि रिपोर्ट से कोई फर्क नहीं पड़ता, उन्हें कोविड ही है, इसलिए कोविड उपचार दिया जा रहा है. आखिरी बार बात करने पर संजय बिल्कुल ठीक नजर आ रहे थे, लेकिन संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी उपचार के दौरान मौत हो गई.

परिजनों के अनुसार, जब वे लोग संजय का शव लेने के लिए आए तो अस्पताल प्रशासन सस्पेक्टेड केस बताने लगा, जबकि पहले वह क्लियर कोविड पेशेंट बता रहे थे. परिजनों की मांग है कि अस्पताल प्रशासन क्लियर लिखकर दे कि यह कोविड पेशेंट थे या नहीं. और अगर नहीं थे तो उन्हें कोविड का उपचार क्यों दिया गया? उनकी मौत किस कारण से हुई? परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने अब तक उनसे पांच लाख रुपये इलाज के नाम पर ले लिए हैं.

मथुरा: जिले का नियति अस्पताल एक बार फिर चर्चाओं में है. आगरा के कमला नगर के रहने वाले 58 वर्षीय संजय जिंदल को उपचार के लिए नियति अस्पताल में भर्ती कराया गया था. यहां जब उनकी कोरोना की जांच की गई तो रिपोर्ट निगेटिव आई. फिर भी अस्पताल प्रशासन ने संजय को कोरोना वार्ड में रखा और कोविड-19 का उपचार दिया. उनकी मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल पर अवैध वसूली और लापरवाही का आरोप लगाते हुए जमकर हंगामा काटा और शव लेने से मना कर दिया.

मौत के बाद परिजनों ने किया हंगामा.

परिजनों का कहना है कि संजय जिंदल (58) को सांस लेने में समस्या हो रही थी, जिसके चलते उनको 17 सितंबर को उपचार के लिए नियति अस्पताल में भर्ती कराया गया था. 18 सितंबर को अस्पताल में उनका कोरोना टेस्ट कराया गया, जिसकी रिपोर्ट निगेटिव आई. इसके बावजूद अस्पताल कर्मचारियों ने संजय को कोविड वार्ड में रखा और उन्हें कोविड का उपचार दिया.

परिजनों का कहना है कि जब उन्होंने संजय को कोविड वार्ड में रखने का विरोध किया तो अस्पताल प्रशासन ने कहा कि रिपोर्ट से कोई फर्क नहीं पड़ता, उन्हें कोविड ही है, इसलिए कोविड उपचार दिया जा रहा है. आखिरी बार बात करने पर संजय बिल्कुल ठीक नजर आ रहे थे, लेकिन संदिग्ध परिस्थितियों में उनकी उपचार के दौरान मौत हो गई.

परिजनों के अनुसार, जब वे लोग संजय का शव लेने के लिए आए तो अस्पताल प्रशासन सस्पेक्टेड केस बताने लगा, जबकि पहले वह क्लियर कोविड पेशेंट बता रहे थे. परिजनों की मांग है कि अस्पताल प्रशासन क्लियर लिखकर दे कि यह कोविड पेशेंट थे या नहीं. और अगर नहीं थे तो उन्हें कोविड का उपचार क्यों दिया गया? उनकी मौत किस कारण से हुई? परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन ने अब तक उनसे पांच लाख रुपये इलाज के नाम पर ले लिए हैं.

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