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मथुरा: कारगिल दिवस पर ईटीवी की स्पेशल रिपोर्ट

कारगिल दिवस पर कारगिल युद्ध में शहीद हुए सोरन सिंह को याद किया गया. ईटीवी भारत ने सोरन सिंह के घर जा कर उनकी वीर गाथाओं की कहानी उनके परिवार के सदस्यों के द्वारा सुनी.

ईटीवी की कारगिल दिवस पर स्पेशल रिपोर्ट
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Published : Jul 24, 2019, 3:38 PM IST

मथुरा : कारगिल दिवस पर ईटीवी भारत कारगिल युद्ध में शहीद हुए सोरन सिंह के जनपद मथुरा पहुंचे. जनपद के गोवर्धन तहसील के छोटे से गांव नगरिया में सोरन सिंह का जन्म हुआ था. जाट रेजिमेंट के सिपाही सोरन सिंह 29 वर्ष की उम्र में ही शहीद हो गए. पाकिस्तानी ने भारत के द्रास सेक्टर में गोलाबारी की तो उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया. सोरन सिंह के पैर में गोली लगी फिर भी वह आगे बढ़ते गए और घायल होते हुए भी उन्होनें पाकिस्तान के नौ जवानों को मार गिराया.

ईटीवी की कारगिल दिवस पर स्पेशल रिपोर्ट

कारगिल युद्ध में शहीद हुए सोरन सिंह -

  • कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे सोरन सिंह.
  • मथुरा जनपद के गोवर्धन तहसील के छोटे से गांव नगरिया में जन्म लिया था.
  • कारगिल युद्ध के दौरान द्रास सेक्टर में तैनात जाट रेजिमेंट के सिपाही थे.
  • युद्ध के दौरान पाकिस्तानी ने भारत के द्रास सेक्टर में गोलाबारी की.
  • गोली सोरन सिंह के सीधे पैर में लगी.
  • पैर में गोली लगी फिर भी सोरन सिंह आगे बढ़ते गए और नौ पाकिस्तान के जवानों को मार गिराया.
  • कारगिल युद्ध में शहीद हुए सोरन सिंह की वीर गाथाओं की कहानी आज भी उनके पैतृक गांव में सुनने को मिलती है.

पापा की वीर गाथाओं की कहानी मां हमें अक्सर घर पर सुनाती हैं और कहती है कि 20 दिन की छुट्टी बिताने के बाद जब पापा जम्मू जा रहे थे तब कहा अगर मैं वापस ना आऊं तो मेरे बच्चों का पालन पोषण अच्छे से करना - विवेक, शहीद का बेटा

शादी के मात्र 7 साल हुए थे, 29 वर्ष की आयु में वो शहीद हो गए लेकिन मुझे अपने पति की शहादत पर गर्व है क्योंकि उन्होने पाकिस्तानियों को मार गिराया और भारत ने कारगिल युद्ध पाकिस्तान से जीता. सरकार का भी धन्यवाद करती हूं सरकार की ओर से जो वादे किए गए थे वह पूरे किए गए हैं - कमलेश, शहीद की पत्नी

मथुरा : कारगिल दिवस पर ईटीवी भारत कारगिल युद्ध में शहीद हुए सोरन सिंह के जनपद मथुरा पहुंचे. जनपद के गोवर्धन तहसील के छोटे से गांव नगरिया में सोरन सिंह का जन्म हुआ था. जाट रेजिमेंट के सिपाही सोरन सिंह 29 वर्ष की उम्र में ही शहीद हो गए. पाकिस्तानी ने भारत के द्रास सेक्टर में गोलाबारी की तो उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया. सोरन सिंह के पैर में गोली लगी फिर भी वह आगे बढ़ते गए और घायल होते हुए भी उन्होनें पाकिस्तान के नौ जवानों को मार गिराया.

ईटीवी की कारगिल दिवस पर स्पेशल रिपोर्ट

कारगिल युद्ध में शहीद हुए सोरन सिंह -

  • कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे सोरन सिंह.
  • मथुरा जनपद के गोवर्धन तहसील के छोटे से गांव नगरिया में जन्म लिया था.
  • कारगिल युद्ध के दौरान द्रास सेक्टर में तैनात जाट रेजिमेंट के सिपाही थे.
  • युद्ध के दौरान पाकिस्तानी ने भारत के द्रास सेक्टर में गोलाबारी की.
  • गोली सोरन सिंह के सीधे पैर में लगी.
  • पैर में गोली लगी फिर भी सोरन सिंह आगे बढ़ते गए और नौ पाकिस्तान के जवानों को मार गिराया.
  • कारगिल युद्ध में शहीद हुए सोरन सिंह की वीर गाथाओं की कहानी आज भी उनके पैतृक गांव में सुनने को मिलती है.

पापा की वीर गाथाओं की कहानी मां हमें अक्सर घर पर सुनाती हैं और कहती है कि 20 दिन की छुट्टी बिताने के बाद जब पापा जम्मू जा रहे थे तब कहा अगर मैं वापस ना आऊं तो मेरे बच्चों का पालन पोषण अच्छे से करना - विवेक, शहीद का बेटा

शादी के मात्र 7 साल हुए थे, 29 वर्ष की आयु में वो शहीद हो गए लेकिन मुझे अपने पति की शहादत पर गर्व है क्योंकि उन्होने पाकिस्तानियों को मार गिराया और भारत ने कारगिल युद्ध पाकिस्तान से जीता. सरकार का भी धन्यवाद करती हूं सरकार की ओर से जो वादे किए गए थे वह पूरे किए गए हैं - कमलेश, शहीद की पत्नी

Intro:मथुरा। कारगिल युद्ध में शहीद हुए सोरन सिंह की वीर गाथाओ की कहानी आज भी उनके पैतृक गांव में सुनने को मिलती हैं। कारगिल युद्ध के दौरान द्रास सेक्टर में तैनात जाट रेजिमेंट के सिपाही सोरन सिंह को पैर में गोली लगी उसके बावजूद सोरन सिंह आगे बढ़ते चले गए और 9 पाकिस्तानियों को अपनी गोली का निशाना बनाया। सोरन सिंह की वीर गाथा ओं की कहानी पैतृक गांव में बच्चे बच्चे की जुवानी सुनने को मिलती है। सोरन सिंह के परिवार में दो बेटे और उनकी पत्नी है ।ईटीवी भारत में सोरन सिंह की वीर गाथाओं की कहानी उनके परिवार की जुवानी सुनी।


Body:मथुरा जनपद के गोवर्धन तहसील के छोटे से गांव नगरिया मैं जन्मे सोरन सिंह थे। जाट रेजिमेंट के सिपाही सोरन सिंह 29 वर्ष की उम्र में शहीद का दर्जा प्राप्त किया। कारगिल युद्ध के दौरान सोरन सिंह द्रास सेक्टर में तैनात थे ।पाकिस्तानी ने भारत के द्रास सेक्टर मैं गोलाबारी की ,तो उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया सोरन सिंह के सीधे पैर में गोली लगी फिर भी सोरन सिंह आगे बढ़ते चले गए घायल सोरन सिंह ने पाकिस्तान के नो जवानों को मार गिराया।


Conclusion:शहीद सोरन सिंह के बेटे विवेक ने बताया कि पापा की वीर गाथा ओं की कहानी मां हमें अक्सर घर पर सुनाती हैं। और कहती है की 20 दिन की छुट्टी बिताने के बाद जब पापा अपने जम्मू जा रहे थे तब कहां अगर मैं वापस ना आओ तो मेरे बच्चों का पालन पोषण अच्छे से करना, भारत और पाकिस्तान सीमा पर कारगिल युद्ध के हालात बने हुए।

शहीद सोरन सिंह की पत्नी कमलेश ने बताया कि शादी के मात्र 7 साल हुए थे। 29 वर्ष की आयु में सोरन सिंह शहीद हो गए। लेकिन मुझे अपने पति की शहादत पर गर्व है, क्योंकि सोरन सिंह ने पाकिस्तानियों को मार गिराया और भारत ने कारगिल युद्ध पाकिस्तान से जीता। सरकार का भी धन्यवाद करती हूं सरकार की ओर से जो वादे किए गए थे वह पूरे किए है।

वन टू वन शहीद का बेटा विवेक
शहीद की पत्नी कमलेश के साथ

mathura reporter
praveen sharma
9410271733,8979375445
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