मथुरा : कारगिल दिवस पर ईटीवी भारत कारगिल युद्ध में शहीद हुए सोरन सिंह के जनपद मथुरा पहुंचे. जनपद के गोवर्धन तहसील के छोटे से गांव नगरिया में सोरन सिंह का जन्म हुआ था. जाट रेजिमेंट के सिपाही सोरन सिंह 29 वर्ष की उम्र में ही शहीद हो गए. पाकिस्तानी ने भारत के द्रास सेक्टर में गोलाबारी की तो उन्होंने अपनी वीरता का परिचय दिया. सोरन सिंह के पैर में गोली लगी फिर भी वह आगे बढ़ते गए और घायल होते हुए भी उन्होनें पाकिस्तान के नौ जवानों को मार गिराया.
कारगिल युद्ध में शहीद हुए सोरन सिंह -
- कारगिल युद्ध में शहीद हुए थे सोरन सिंह.
- मथुरा जनपद के गोवर्धन तहसील के छोटे से गांव नगरिया में जन्म लिया था.
- कारगिल युद्ध के दौरान द्रास सेक्टर में तैनात जाट रेजिमेंट के सिपाही थे.
- युद्ध के दौरान पाकिस्तानी ने भारत के द्रास सेक्टर में गोलाबारी की.
- गोली सोरन सिंह के सीधे पैर में लगी.
- पैर में गोली लगी फिर भी सोरन सिंह आगे बढ़ते गए और नौ पाकिस्तान के जवानों को मार गिराया.
- कारगिल युद्ध में शहीद हुए सोरन सिंह की वीर गाथाओं की कहानी आज भी उनके पैतृक गांव में सुनने को मिलती है.
पापा की वीर गाथाओं की कहानी मां हमें अक्सर घर पर सुनाती हैं और कहती है कि 20 दिन की छुट्टी बिताने के बाद जब पापा जम्मू जा रहे थे तब कहा अगर मैं वापस ना आऊं तो मेरे बच्चों का पालन पोषण अच्छे से करना - विवेक, शहीद का बेटा
शादी के मात्र 7 साल हुए थे, 29 वर्ष की आयु में वो शहीद हो गए लेकिन मुझे अपने पति की शहादत पर गर्व है क्योंकि उन्होने पाकिस्तानियों को मार गिराया और भारत ने कारगिल युद्ध पाकिस्तान से जीता. सरकार का भी धन्यवाद करती हूं सरकार की ओर से जो वादे किए गए थे वह पूरे किए गए हैं - कमलेश, शहीद की पत्नी