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अक्षय नवमी की परिक्रमा के लिए मथुरा में उमड़ी श्रद्धालुओं का भीड़, देखें वीडियो

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Published : Nov 12, 2021, 10:53 PM IST

मथुरा में शुक्रवार को अक्षय नवमी पर तीन वन की परिक्रमा के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. मान्यता है कि अक्षय नवमी पर 15 कोसीय परिक्रमा करने से श्रद्धालुओं को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इसी मान्यता के चलते देश के कोने-कोने से श्रद्धालु मथुरा के वृंदावन में परिक्रमा लगाने पहुंचते हैं.

अक्षय नवमी पर परिक्रमा करते श्रद्धालु
अक्षय नवमी पर परिक्रमा करते श्रद्धालु

मथुरा: कान्हा की नगरी मथुरा में शुक्रवार को अक्षय नवमी पर तीन वन की परिक्रमा के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी यानी अक्षय नवमी पर 15 कोसीय परिक्रमा करने से श्रद्धालुओं को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इसी मान्यता के चलते देश के कोने-कोने से श्रद्धालु मथुरा के वृंदावन में परिक्रमा लगाने पहुंचे. इस दौरान मथुरा के प्रसिद्ध मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली. मथुरा प्रशासन की तरफ से भी श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए पुख्ता इंतजाम किए गए.

अक्षय नवमी की परिक्रमा के लिए मथुरा में उमड़ी श्रद्धालुओं का भीड़


धर्म नगरी में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब-

भगवान श्रीकृष्ण की जन्मास्थली मथुरा-वृंदावन में अक्षय नवमी का पर्व श्रद्धाभाव से मनाया गया. इस मौके पर हजारों भक्तों ने तीन वन की परिक्रमा की और पुण्य के भागी बने. गौरतलब है कि कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय नवमी के नाम से जानी जाती है. अक्षय नवमी एक पर्व के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. आज के दिन तीन वन यानी मथुरा, वृन्दावन और गरुड़ गोविंद की करीब पंद्रह कोस की परिक्रमा करने से भक्तों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इसी भावना के साथ शुक्रवार को श्रद्धालु सुबह से ही परिक्रमा के लिए निकल पड़े.

परिक्रमा करने वालों में बच्चे-बूढ़े, महिला-पुरुष सभी श्रद्धालु शामिल थे जो अपने आराध्य श्रीराधाकृष्ण की भक्तिभाव में मगन होकर राधे-राधे का जाप करते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे. पूरे परिक्रमा मार्ग भजन-कीर्तन के स्वरों से गुंज उठा. वहीं, सुबह शुरू हुई परिक्रमा देर शाम तक चलती रही.

यह भी पढ़ें- सीएम योगी ने किया ब्रजराज महोत्सव का उद्घाटन


वहीं, श्रद्धालु रामदेव पंडित अग्निहोत्री ने बताया कि वृंदावन की परिक्रमा पति-पत्नी की जोड़ी के साथ होती है. आज के दिन इस परिक्रमा का बहुत महत्व होता है. यह तीन वन की परिक्रमा लगती है. वृंदावन, मथुरा व छटीकरा से गरुड़ गोविंद होते हुए यह परिक्रमा पूरी होती है. बताया कि भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने जब प्रेम विवाह किया था तो वहां से आकर उन्होंने सबसे पहले यह परिक्रमा लगाई थी. उसी समय से यह प्रथा चली आ रही है. जो पति-पत्नी की जोड़ियां परिक्रमा लगाती हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होतीं हैं.

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मथुरा: कान्हा की नगरी मथुरा में शुक्रवार को अक्षय नवमी पर तीन वन की परिक्रमा के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा. मान्यता है कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी यानी अक्षय नवमी पर 15 कोसीय परिक्रमा करने से श्रद्धालुओं को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इसी मान्यता के चलते देश के कोने-कोने से श्रद्धालु मथुरा के वृंदावन में परिक्रमा लगाने पहुंचे. इस दौरान मथुरा के प्रसिद्ध मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ देखने को मिली. मथुरा प्रशासन की तरफ से भी श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए पुख्ता इंतजाम किए गए.

अक्षय नवमी की परिक्रमा के लिए मथुरा में उमड़ी श्रद्धालुओं का भीड़


धर्म नगरी में उमड़ा श्रद्धालुओं का सैलाब-

भगवान श्रीकृष्ण की जन्मास्थली मथुरा-वृंदावन में अक्षय नवमी का पर्व श्रद्धाभाव से मनाया गया. इस मौके पर हजारों भक्तों ने तीन वन की परिक्रमा की और पुण्य के भागी बने. गौरतलब है कि कार्तिक महीने के शुक्ल पक्ष की नवमी अक्षय नवमी के नाम से जानी जाती है. अक्षय नवमी एक पर्व के रूप में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. आज के दिन तीन वन यानी मथुरा, वृन्दावन और गरुड़ गोविंद की करीब पंद्रह कोस की परिक्रमा करने से भक्तों को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. इसी भावना के साथ शुक्रवार को श्रद्धालु सुबह से ही परिक्रमा के लिए निकल पड़े.

परिक्रमा करने वालों में बच्चे-बूढ़े, महिला-पुरुष सभी श्रद्धालु शामिल थे जो अपने आराध्य श्रीराधाकृष्ण की भक्तिभाव में मगन होकर राधे-राधे का जाप करते हुए आगे बढ़ते जा रहे थे. पूरे परिक्रमा मार्ग भजन-कीर्तन के स्वरों से गुंज उठा. वहीं, सुबह शुरू हुई परिक्रमा देर शाम तक चलती रही.

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वहीं, श्रद्धालु रामदेव पंडित अग्निहोत्री ने बताया कि वृंदावन की परिक्रमा पति-पत्नी की जोड़ी के साथ होती है. आज के दिन इस परिक्रमा का बहुत महत्व होता है. यह तीन वन की परिक्रमा लगती है. वृंदावन, मथुरा व छटीकरा से गरुड़ गोविंद होते हुए यह परिक्रमा पूरी होती है. बताया कि भगवान श्रीकृष्ण और राधा रानी ने जब प्रेम विवाह किया था तो वहां से आकर उन्होंने सबसे पहले यह परिक्रमा लगाई थी. उसी समय से यह प्रथा चली आ रही है. जो पति-पत्नी की जोड़ियां परिक्रमा लगाती हैं, उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होतीं हैं.

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