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लोकतंत्र रक्षक सेनानियों ने विभिन्न मांगों को लेकर सौंपा ज्ञापन - Uttar Pradesh Democracy Rakshak Senani Kalyan Samiti

इमरजेंसी के दौरान जेल गए लोकतंत्र रक्षक सेनानियों ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर उत्तर प्रदेश लोकतंत्र रक्षक सेनानी कल्याण समिति मथुरा के तत्वाधान में जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा.

लोकतंत्र रक्षक सेनानियों
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Published : May 9, 2022, 8:15 PM IST

मथुरा: इमरजेंसी के दौरान जेल गए लोकतंत्र रक्षक सेनानियों द्वारा उत्तर प्रदेश लोकतंत्र रक्षक सेनानी कल्याण समिति के तत्वाधान में सोमवार को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा. लोकतंत्र रक्षक सेनानियों ने बताया कि काफी समय से वह आयुष्मान गोल्डन कार्ड के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनके कार्ड नहीं बन पा रहे हैं. साथ ही जो उन्हें सम्मान राशि मिलती थी. वह भी समय पर नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

लोकतंत्र रक्षक सेनानियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा आयुष्मान गोल्डन कार्ड उत्तर प्रदेश लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को प्रदान करने के लिए जो प्रमाण पत्र आए थे. उन्हें लोकतंत्र रक्षक सेनानियों ने भरकर जिलाधिकारी मथुरा से संबंधित कार्यालय में जमा कर दिया. लेकिन जिलाधिकारी स्तर से कार्रवाई पूरी होने के बावजूद तक कार्ड उच्च अधिकारियों और शासन को प्रस्तुत नहीं किया गया है. इसके चलते अधिकतर सेनानी 70 से 90 वर्ष की आयु के बुजुर्ग हैं और अधिकांश बीमारियों से ग्रसित हैं. जिनका उपचार समय से नहीं हो पा रहा है.

लोकतंत्र रक्षक सेनानियों

यह भी पढ़ें- नमाज पढ़ने जा रहे बहनोई का सालों ने किया अपहरण

आगे उन्होंने बताया कि सम्मान राशि भी प्रतिमाह समय से यानी 5 तारीख तक प्राप्त नहीं होती है. जबकि अन्य जनपदों में ऐसा नहीं है. इतना ही नहीं बल्कि लोकतंत्र रक्षक सेनानियों की मृत्यु हो जाने पर उसकी विधवा आश्रित को सम्मान राशि प्रदान किए जाने का प्रावधान है. लेकिन उसकी वेरिफिकेशन में विभागीय अधिकारी कई महीने या वर्ष तक का समय लगा देते है, जिससे विधवा की स्थिति दयनीय हो जाती है और उन्हें खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

बता दें कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक इमरजेंसी लगाई गई थी, इस अवधि में मीशा डीआईआर या देश में किसी भी कारागार में निरुद्ध रहे. प्रदेश के राजनीतिक बंदियों को लोकतंत्र रक्षक सेनानी का दर्जा दिया गया है. लोकतंत्र रक्षक सेनानियों के लिए तत्कालीन सपा सरकार में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 500 रुपये पेंशन की व्यवस्था की थी. वहीं बसपा सरकार ने इस व्यवस्था को बंद कर दिया था. वर्ष 2012 में सपा की सरकार बनी और मुख्यमंत्री बनने पर अखिलेश यादव ने पुनः इसकी शुरुआत कर दी और सम्मान राशि प्रतिमाह 3000 रुपये बढ़ा दी गई. 2014 में इसकी धनराशि बढ़ाकर 6 हजार रुपये कर दी गई. इसके बाद यह सम्मान राशि बढ़कर 10,000 और फिर 15000 की गई, सरकार ने यह भी व्यवस्था की कि कोई इस सम्मान राशि को बंद न कर सके और फिर भाजपा सरकार ने लोकतंत्र रक्षक सेनानियों की सम्मान राशि 15000 से बढ़ाकर 20000 कर दी.

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मथुरा: इमरजेंसी के दौरान जेल गए लोकतंत्र रक्षक सेनानियों द्वारा उत्तर प्रदेश लोकतंत्र रक्षक सेनानी कल्याण समिति के तत्वाधान में सोमवार को अपनी विभिन्न मांगों को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन सौंपा. लोकतंत्र रक्षक सेनानियों ने बताया कि काफी समय से वह आयुष्मान गोल्डन कार्ड के लिए प्रयास कर रहे हैं, लेकिन उनके कार्ड नहीं बन पा रहे हैं. साथ ही जो उन्हें सम्मान राशि मिलती थी. वह भी समय पर नहीं मिल पा रही है, जिसके चलते उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

लोकतंत्र रक्षक सेनानियों का कहना है कि उत्तर प्रदेश शासन द्वारा आयुष्मान गोल्डन कार्ड उत्तर प्रदेश लोकतंत्र रक्षक सेनानियों को प्रदान करने के लिए जो प्रमाण पत्र आए थे. उन्हें लोकतंत्र रक्षक सेनानियों ने भरकर जिलाधिकारी मथुरा से संबंधित कार्यालय में जमा कर दिया. लेकिन जिलाधिकारी स्तर से कार्रवाई पूरी होने के बावजूद तक कार्ड उच्च अधिकारियों और शासन को प्रस्तुत नहीं किया गया है. इसके चलते अधिकतर सेनानी 70 से 90 वर्ष की आयु के बुजुर्ग हैं और अधिकांश बीमारियों से ग्रसित हैं. जिनका उपचार समय से नहीं हो पा रहा है.

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आगे उन्होंने बताया कि सम्मान राशि भी प्रतिमाह समय से यानी 5 तारीख तक प्राप्त नहीं होती है. जबकि अन्य जनपदों में ऐसा नहीं है. इतना ही नहीं बल्कि लोकतंत्र रक्षक सेनानियों की मृत्यु हो जाने पर उसकी विधवा आश्रित को सम्मान राशि प्रदान किए जाने का प्रावधान है. लेकिन उसकी वेरिफिकेशन में विभागीय अधिकारी कई महीने या वर्ष तक का समय लगा देते है, जिससे विधवा की स्थिति दयनीय हो जाती है और उन्हें खासा दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

बता दें कि तत्कालीन कांग्रेस सरकार में 25 जून 1975 से 21 मार्च 1977 तक इमरजेंसी लगाई गई थी, इस अवधि में मीशा डीआईआर या देश में किसी भी कारागार में निरुद्ध रहे. प्रदेश के राजनीतिक बंदियों को लोकतंत्र रक्षक सेनानी का दर्जा दिया गया है. लोकतंत्र रक्षक सेनानियों के लिए तत्कालीन सपा सरकार में मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने 500 रुपये पेंशन की व्यवस्था की थी. वहीं बसपा सरकार ने इस व्यवस्था को बंद कर दिया था. वर्ष 2012 में सपा की सरकार बनी और मुख्यमंत्री बनने पर अखिलेश यादव ने पुनः इसकी शुरुआत कर दी और सम्मान राशि प्रतिमाह 3000 रुपये बढ़ा दी गई. 2014 में इसकी धनराशि बढ़ाकर 6 हजार रुपये कर दी गई. इसके बाद यह सम्मान राशि बढ़कर 10,000 और फिर 15000 की गई, सरकार ने यह भी व्यवस्था की कि कोई इस सम्मान राशि को बंद न कर सके और फिर भाजपा सरकार ने लोकतंत्र रक्षक सेनानियों की सम्मान राशि 15000 से बढ़ाकर 20000 कर दी.

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