मथुराः मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ दो दिवसीय दौरे पर शनिवार को मथुरा पहुंचे. रविवार की सुबह सीएम योगी आदित्यनाथ वृंदावन में स्थित टूरिस्ट फैसिलिटी सेंटर पहुंचे. साधु-संतों के साथ जलपान किया गया. फिर, दर्जनों साधु-संतों से मथुरा वृंदावन की व्यवस्थाओं को लेकर सुझाव पूछे गए. परिक्रमा मार्ग मथुरा वृंदावन रोड और जाम की समस्या से किस प्रकार निपटा जाए, मथुरा वृंदावन को सौंदर्यीकरण और कैसे कराना चाहिए. कई बिंदुओं पर चर्चा की गई और उसके बाद सीएम वृंदावन से नोएडा के लिए रवाना हुए.
सीएम योगी ने साधु-संतों के साथ की बैठक
रविवार को प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ अपने दौरे के दूसरे दिन सुबह 8:30 पर वृंदावन पहुंचे. टूरिस्ट फैसिलिटी सेंटर में दर्जनों साधु-संतों के साथ पहले जलपान किया. उसके बाद बंद कमरे में करीब 1 घंटे से ज्यादा समय तक बैठक की गई. पहले साधु संतों का हालचाल जाना, उसके बाद मथुरा वृंदावन को लेकर कई बिंदुओं पर चर्चा की गई.
साधु-संतों ने सीएम योगी के सामने रखे ये सुझाव
टूरिस्ट फैसिलिटी सेंटर में साधु-संतों ने कहा कि मथुरा वृंदावन परिक्रमा मार्ग और पौराणिक धरोहर को सुरक्षित रखने के लिए क्या करना चाहिए. दूरदराज से लाखों की संख्या में श्रद्धालु का आवागमन यहां होता है उनको बेहतर सुविधा कैसे दी जाए. केंद्र और प्रदेश सरकार द्वारा योजनाएं तो चलाई जा रही हैं, लेकिन साधु-संत के सानिध्य में विकास में चार चांद लग जाएंगे, इसलिए उनका भी होना अति आवश्यक है.
यमुना शुद्धिकरण को भी लेकर सरकार गंभीर है, लेकिन दिल्ली में केजरीवाल सरकार की ओर से समर्थन नहीं मिल पा रहा है. जल्द ही केंद्र में भाजपा सरकार के द्वारा उचित कदम उठाए जाएंगे और यमुना का स्वरूप भी विशाल और शुद्धिकरण होगा. जिस धरती पर साधु-संतों का सानिध्य होता है वह धरती पवित्र के साथ-साथ आशीर्वाद प्रकट करती है.
फूलडोल महाराज ने बताया कि सीएम योगी आदित्यनाथ से वृंदावन में टूरिस्ट फैसिलिटी सेंटर में जलपान करने के बाद साधु संतों के साथ बैठक की गई. वृंदावन की व्यवस्थाएं और समस्या को लेकर संतो ने भी सुझाव और अपने प्रस्ताव रखे हैं. यमुना शुद्धिकरण को लेकर जाम की समस्या को लेकर और मथुरा वृंदावन में पौराणिक विकास धरोहर सुरक्षित रखने को लेकर बात की गई है. बंदरों को लेकर सीएम ने कहा कि बंदर बेचारे कहां जाएंगे, इनका जंगल खत्म हो चुका है. जब खाने को बंदरों को सामान मिल जाएंगे तो बेचारे बंदर कहां जाएंगे. कॉरिडोर को लेकर भी साधु-संतों से बातचीत की गई.