मथुरा : जिला कारागार मथुरा में निरुद्ध बंदियों द्वारा समय-समय पर जिला कारागार प्रशासन के सहयोग से कुछ न कुछ बनाया जा रहा है. इसी क्रम में जिला कारागार में भारत पताका हथकरघा केंद्र खोला गया है, जिसमें 40 से 45 बंदी कार्य कर रहे हैं. सूती साड़ी, सूती कपड़ा, धागे, दरी, कारपेट इत्यादि बना रहे हैं. निजी संस्था के सहयोग से इस केंद्र को जिला कारागार परिसर में खोला गया है. निजी संस्थान ही कच्चा माल उपलब्ध कराएगी और बंदियों को उनके कार्य के लिए भुगतान भी करेगी. माल तैयार होने के बाद संस्था द्वारा ही उसे ले लिया जाएगा. इस कार्य को करने में बंदी भी खासा उत्साहित नजर आ रहे हैं.
वरिष्ठ जेल अधीक्षक ने दी जानकारी
वरिष्ठ जेल अधीक्षक शैलेंद्र कुमार ने बताया कि बंदियों को इस प्रशिक्षण से काफी लाभ होगा. जेल में रहने दौरान या जेल से छूटने के बाद भी उनकी कमाई का कुछ जरिया बन जाएगा, ताकि वो अपने परिवार की भी देखभाल कर सकें. हम लोगों के प्रयास से एक निजी संस्था हमें मिली. उनसे हमने अनुरोध किया जिसके बाद संस्था ने 19 मीटर बाय 11 मीटर स्ट्रक्चर जेल परिसर में बनवाया है. संस्था द्वारा ही पूरा खर्चा किया गया है और हथकरघा उद्योग लगाया है.
उन्होंने बताया कि उद्योग में हमारे पांच लूम है कपड़े बनाने के लिए. यानी उसमें हम सूती साड़ियां बना रहे हैं. सूती कपड़े बना रहे हैं. 27 हमारे पास अंबर चरखे हैं जिसमें हम धागे बनाते हैं. हमारे यहां दरी और कारपेट भी बन रहे हैं. यह तीन काम हैं जो हमारे यहां हो रहे हैं. इस कार्य के लिए 40 से 45 बंदी लगे हुए हैं. 27 बंदी अंबर चरखा के कार्य में रहेंगे. 5 आदमी कपड़े बनाएंगे, साड़ियां बनाएंगे और पांच से 10 आदमी हमारे दरिया कारपेट बनाने में लगे हुए हैं. 40 से 45 बंदी इसमें लाभान्वित रहेंगे. इसमें संस्था हमें कच्चा माल दे रही है. हमारे बंदी जो भी प्रोडक्शन करेंगे प्रोडक्शन के हिसाब से जो वेजेस हो जाएगा उस हिसाब से संस्था उन्हें वेजेस देगी और फिर जो भी माल बनेगा वह संस्था लेकर जाएगी.
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जिला कारागार में खुला भारत पताका हथकरघा केंद्र
निजी संस्था के सहयोग से जिला कारागार प्रशासन की कोशिशों से अब जिला कारागार मथुरा में भारत पताका हथकरघा केंद्र खोला गया है. इस केंद्र में 40 से 45 बंदी कार्य कर रहे हैं. इस कार्य के लिए बंदियों को उनका मेहनताना भी मिलेगा. बंदी सूती साड़ी, सूती कपड़ा, धागे, कारपेट, दरी इत्यादि बना रहे हैं. निजी संस्था द्वारा ही जिला कारागार परिसर में इस केंद्र को खोला गया है और मशीनें लगाई गई हैं. निजी संस्था द्वारा ही बंदियों को कच्चा माल उपलब्ध कराया जाएगा. जब माल तैयार हो जाएगा तो निजी संस्था द्वारा ही उसे ले लिया जाएगा.