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बांके बिहारी भगवान को अमेरिका के भक्तों ने चढ़ायी 251 डॉलर की माला

धर्म नगरी वृंदावन में स्थित विश्व प्रसिद्ध बांके बिहारी मंदिर में देश ही नहीं विदेशों से भी भारी संख्या में हर रोज भारी संख्या में श्रद्धालु भक्त अपने आराध्य बांके बिहारी के दर्शन करने के लिए उनकी एक झलक पाने के लिए वृंदावन पहुंचते (American devotees sent garland of 251 dollars) हैं. एक भक्त ने अपने आराध्य बांके बिहारी भगवान के लिए 251 डॉलर की एक माला (garland of 251 dollars for Lord Banke Bihari) भेजी है.

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Published : Nov 29, 2022, 11:16 AM IST

Updated : Nov 29, 2022, 11:58 AM IST

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मथुरा: सोमवार को भगवान बांके बिहारी का प्राकट्य उत्सव हुआ तो देशी और विदेशी श्रद्धालु भक्तों का वृंदावन में अपने आराध्य की एक झलक पाने के लिए तांता लग गया. भगवान बांके बिहारी का प्राकट्य उत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया. भगवान के जन्मदिन पर उन्हें विशेष पीले रंग की पोशाक बनाई गई. बताया जा रहा है कि भगवान की पोशाक की कीमत 2 लाख रुपए है, वहीं अमेरिका के रहने वाले अभिषेक नाम एक भक्त ने अपने आराध्य बांके बिहारी भगवान के लिए 251 डॉलर की एक माला (garland of 251 dollars for Lord Banke Bihari) भेजी.

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बांके बिहारी भगवान को डॉलर की माला
जन-जन के आराध्य ठाकुर बांके बिहारी को एक टक नजर से देखने के पीछे एक बहुत ही प्रचलित कहानी है. ऐसा कहा जाता है कि एक बार राजस्थान के एक राजा ठाकुर बांके बिहारी के दर्शन करने के लिए धर्म नगरी वृंदावन आए थे. जब वह अपने आराध्य ठाकुर बांके बिहारी के दर्शन कर रहे थे, इसी दौरान में भगवान को वह लगातार नजरें मिलाकर देखते रहे. दर्शन के उपरांत राजस्थान के राजा वापस अपने राज्य चले गए. कहा जाता है कि उसके कुछ देर बाद जब मंदिर के सेवायतों की नजर भगवान पर पड़ी, तो भगवान मंदिर में मौजूद नहीं थे.



इस घटना के बाद पूरे मंदिर में हड़कंप मच गया. श्रद्धालु भक्तों और पुजारियों द्वारा भगवान की आराधना की गई जिसके बाद ज्ञात हुआ कि भगवान अपने भक्त के प्रेम के चलते मंदिर से उसके साथ चले गए हैं. काफी प्रार्थना के बाद फिर से भगवान को मंदिर में स्थापित किया गया. ऐसा कहा जाता है कि घटना के बाद से ही मंदिर में किसी को भी भगवान को एकटक देखने की इजाजत नहीं दी जाती. ( American devotees sent garland of 251 dollars)

सेवायत पुजारी इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि भगवान को लगातार कोई नहीं देखे. इसी कारण से भगवान की मूर्ति के सामने बार-बार पर्दा डाला जाता है. कहा जाता है कि मंदिर में मौजूद भगवान की मूर्ति किसी कारीगर या वास्तु शिल्पकार द्वारा निर्मित नहीं की गई, बल्कि स्वयं उत्पन्न हुई है. कहा जाता है कि है यह किसी पत्थर या धातु से नहीं बल्कि लकड़ी की बनी हुई है. (mathura up news)

ये भी पढ़ें- सिपाहियों की पत्नियां चला रहीं सेक्स रैकेट, 17 पुलिसकर्मियों ने एसपी से शिकायत की

मथुरा: सोमवार को भगवान बांके बिहारी का प्राकट्य उत्सव हुआ तो देशी और विदेशी श्रद्धालु भक्तों का वृंदावन में अपने आराध्य की एक झलक पाने के लिए तांता लग गया. भगवान बांके बिहारी का प्राकट्य उत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया गया. भगवान के जन्मदिन पर उन्हें विशेष पीले रंग की पोशाक बनाई गई. बताया जा रहा है कि भगवान की पोशाक की कीमत 2 लाख रुपए है, वहीं अमेरिका के रहने वाले अभिषेक नाम एक भक्त ने अपने आराध्य बांके बिहारी भगवान के लिए 251 डॉलर की एक माला (garland of 251 dollars for Lord Banke Bihari) भेजी.

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बांके बिहारी भगवान को डॉलर की माला
जन-जन के आराध्य ठाकुर बांके बिहारी को एक टक नजर से देखने के पीछे एक बहुत ही प्रचलित कहानी है. ऐसा कहा जाता है कि एक बार राजस्थान के एक राजा ठाकुर बांके बिहारी के दर्शन करने के लिए धर्म नगरी वृंदावन आए थे. जब वह अपने आराध्य ठाकुर बांके बिहारी के दर्शन कर रहे थे, इसी दौरान में भगवान को वह लगातार नजरें मिलाकर देखते रहे. दर्शन के उपरांत राजस्थान के राजा वापस अपने राज्य चले गए. कहा जाता है कि उसके कुछ देर बाद जब मंदिर के सेवायतों की नजर भगवान पर पड़ी, तो भगवान मंदिर में मौजूद नहीं थे.



इस घटना के बाद पूरे मंदिर में हड़कंप मच गया. श्रद्धालु भक्तों और पुजारियों द्वारा भगवान की आराधना की गई जिसके बाद ज्ञात हुआ कि भगवान अपने भक्त के प्रेम के चलते मंदिर से उसके साथ चले गए हैं. काफी प्रार्थना के बाद फिर से भगवान को मंदिर में स्थापित किया गया. ऐसा कहा जाता है कि घटना के बाद से ही मंदिर में किसी को भी भगवान को एकटक देखने की इजाजत नहीं दी जाती. ( American devotees sent garland of 251 dollars)

सेवायत पुजारी इस बात का विशेष ध्यान रखते हैं कि भगवान को लगातार कोई नहीं देखे. इसी कारण से भगवान की मूर्ति के सामने बार-बार पर्दा डाला जाता है. कहा जाता है कि मंदिर में मौजूद भगवान की मूर्ति किसी कारीगर या वास्तु शिल्पकार द्वारा निर्मित नहीं की गई, बल्कि स्वयं उत्पन्न हुई है. कहा जाता है कि है यह किसी पत्थर या धातु से नहीं बल्कि लकड़ी की बनी हुई है. (mathura up news)

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Last Updated : Nov 29, 2022, 11:58 AM IST
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