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विधानसभा चुनावों से पहले जानिए क्या रणनीति बना रहे अधिवक्ता - UP Assembly Election 2022

यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) को लेकर मथुरा-आगरा के अधिवक्ताओं ने बनाई अपनी रणनीति. आगरा में हाईकोर्ट बेंच की मांग को लेकर एकजूट हुए अधिवक्ता.

विधानसभा चुनावों से पहले जानिए क्या रणनीति बना रहे अधिवक्ता
विधानसभा चुनावों से पहले जानिए क्या रणनीति बना रहे अधिवक्ता
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Published : Nov 21, 2021, 9:08 PM IST

मथुरा : आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर विभिन्न राजनीतिक दल मैदान में उतर चुके हैं. अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने के साथ ही लोगों को अपनी ओर रिझाने में जुटे हुए हैं. वहीं, जनपद मथुरा और आगरा के अधिवक्ता यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) से पहले अपनी अलग ही रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं.

अधिवक्ताओं का कहना है कि लंबे समय से हम आगरा में हाईकोर्ट बेंच (High Court Bench) की मांग करते चले आ रहे हैं, जिससे कि लोगों को सस्ता, सुलभ व सही न्याय मिल पाए. लेकिन किसी भी सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है. इसके लेकर आगामी विधानसभा चुनावों से पहले हमारे द्वारा आगे की रणनीति बनाई जा रही है.


अधिवक्ताओं ने रखी अपनी राय

मथुरा और आगरा के अधिवक्ताओं ने अपनी राय रखते हुए बताया कि मामला हाईकोर्ट बेंच का है. यह मामला 50 साल से अधिक पुराना है. असल में इतिहास के नजरिए से देखा जाए तो हाईकोर्ट सबसे पहले आगरा में स्थापित हुई थी 150 साल पहले, जब अंग्रेज थे. जब यहां के लोगों ने देश की आजादी के लिए आंदोलन किया तो अंग्रेज उससे नाराज होकर हाईकोर्ट को इलाहाबाद लेकर चले गए. क्योंकि उस वक्त इलाहाबाद विकसित क्षेत्र नहीं हुआ करता था.

जब हाईकोर्ट इलाहाबाद चला गया तो, गरीब आदमी जिसके साथ अन्याय हो रहा है तो वह इतनी दूर जाने में पीड़ित हो जाता है. उसके तमाम पैसे खर्च हो जाते हैं, और सही समय पर सही न्याय उसे नहीं मिल पाता. हमारी यही मांग है कि अगर हाईकोर्ट बेंच (High Court Bench) आगरा में आ जाएगी तो जो ऐतिहासिक रूप से हमारे साथ अन्याय किया गया था, उसमें न्याय होगा. दूसरी बात जनता को बहुत सहूलियत होगी. वे ठगे जाने से बचेगे. उसको कम पैसे में न्याय मिल पाएगा.


अधिवक्ताओं का कहना था, न्याय का अंतिम मोटो होता है सस्ता, सुलभ और तुरंत न्याय. पीड़ित व्यक्ति को कम पैसे में न्याय मिल जाएगा और उसका समय भी कम खर्च होगा. सारे राजनीतिक दलों ने हमें ठगा है. कांग्रेस से हमें समर्थन मिल चुका था, भाजपा से मिल चुका था. अटल बिहारी वाजपेई जी ने तो बकायदा यह आंदोलन चलाया भी था हाईकोर्ट बेंच (High Court Bench) का. अभी हम लोग आपसी चर्चा कर रहे हैं. हम मन बना रहे हैं कि हम अपने अधिवक्ता प्रत्याशी खड़े करें और हमारे अधिवक्ता उन्हीं को वोट दें उन्हीं का समर्थन करें. जनता फुटबॉल बन चुकी है. ये लोग हमें लॉलीपॉप देते रहते हैं. यह कुछ करते नहीं हैं और हमारे टैक्स की गाढ़ी कमाई पर ये लोग ऐश करते हैं, वेतन लेते हैं.

इसे भी पढ़ें- मानव तस्करी गिरोह से जुड़े दो सदस्यों को UP ATS ने किया गिरफ्तार


चुनाव से पहले मथुरा-आगरा के अधिवक्ताओं ने बनाई रणनीति

जहां एक ओर विभिन्न राजनीतिक दल लोगों को अपनी ओर रिझाने के लिए हर एक हथकंडा अपनाने में जुटे हुए हैं. अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने में जुटे हुए हैं. वहीं दूसरी ओर मथुरा और आगरा के अधिवक्ता चुनावों से पहले अलग ही रणनीति में जुटे हुए हैं. मथुरा आगरा के अधिवक्ताओं का कहना है कि लंबे समय से आगरा में हाईकोर्ट बेंच (High Court Bench) की मांग चली आ रही है. हर राजनीतिक दल ने समर्थन के नाम पर कोरा आश्वासन दिया. किसी ने भी इस ओर कुछ नहीं किया. चुनावों से पहले हम चाहते हैं कि हमारी हाईकोर्ट बेंच की मांग को किसी तरह से पूरा किया जाए. इसके लिए आगरा-मथुरा के अधिवक्ता रणनीति तैयार कर रहे हैं. वहीं, आम लोगों से भी हम समर्थन की मांग कर रहे हैं, ताकि हमारा आंदोलन आगे बढ़ पाए.

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मथुरा : आगामी विधानसभा चुनावों को लेकर विभिन्न राजनीतिक दल मैदान में उतर चुके हैं. अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने के साथ ही लोगों को अपनी ओर रिझाने में जुटे हुए हैं. वहीं, जनपद मथुरा और आगरा के अधिवक्ता यूपी विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) से पहले अपनी अलग ही रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं.

अधिवक्ताओं का कहना है कि लंबे समय से हम आगरा में हाईकोर्ट बेंच (High Court Bench) की मांग करते चले आ रहे हैं, जिससे कि लोगों को सस्ता, सुलभ व सही न्याय मिल पाए. लेकिन किसी भी सरकार ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया है. इसके लेकर आगामी विधानसभा चुनावों से पहले हमारे द्वारा आगे की रणनीति बनाई जा रही है.


अधिवक्ताओं ने रखी अपनी राय

मथुरा और आगरा के अधिवक्ताओं ने अपनी राय रखते हुए बताया कि मामला हाईकोर्ट बेंच का है. यह मामला 50 साल से अधिक पुराना है. असल में इतिहास के नजरिए से देखा जाए तो हाईकोर्ट सबसे पहले आगरा में स्थापित हुई थी 150 साल पहले, जब अंग्रेज थे. जब यहां के लोगों ने देश की आजादी के लिए आंदोलन किया तो अंग्रेज उससे नाराज होकर हाईकोर्ट को इलाहाबाद लेकर चले गए. क्योंकि उस वक्त इलाहाबाद विकसित क्षेत्र नहीं हुआ करता था.

जब हाईकोर्ट इलाहाबाद चला गया तो, गरीब आदमी जिसके साथ अन्याय हो रहा है तो वह इतनी दूर जाने में पीड़ित हो जाता है. उसके तमाम पैसे खर्च हो जाते हैं, और सही समय पर सही न्याय उसे नहीं मिल पाता. हमारी यही मांग है कि अगर हाईकोर्ट बेंच (High Court Bench) आगरा में आ जाएगी तो जो ऐतिहासिक रूप से हमारे साथ अन्याय किया गया था, उसमें न्याय होगा. दूसरी बात जनता को बहुत सहूलियत होगी. वे ठगे जाने से बचेगे. उसको कम पैसे में न्याय मिल पाएगा.


अधिवक्ताओं का कहना था, न्याय का अंतिम मोटो होता है सस्ता, सुलभ और तुरंत न्याय. पीड़ित व्यक्ति को कम पैसे में न्याय मिल जाएगा और उसका समय भी कम खर्च होगा. सारे राजनीतिक दलों ने हमें ठगा है. कांग्रेस से हमें समर्थन मिल चुका था, भाजपा से मिल चुका था. अटल बिहारी वाजपेई जी ने तो बकायदा यह आंदोलन चलाया भी था हाईकोर्ट बेंच (High Court Bench) का. अभी हम लोग आपसी चर्चा कर रहे हैं. हम मन बना रहे हैं कि हम अपने अधिवक्ता प्रत्याशी खड़े करें और हमारे अधिवक्ता उन्हीं को वोट दें उन्हीं का समर्थन करें. जनता फुटबॉल बन चुकी है. ये लोग हमें लॉलीपॉप देते रहते हैं. यह कुछ करते नहीं हैं और हमारे टैक्स की गाढ़ी कमाई पर ये लोग ऐश करते हैं, वेतन लेते हैं.

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चुनाव से पहले मथुरा-आगरा के अधिवक्ताओं ने बनाई रणनीति

जहां एक ओर विभिन्न राजनीतिक दल लोगों को अपनी ओर रिझाने के लिए हर एक हथकंडा अपनाने में जुटे हुए हैं. अपने कार्यकर्ताओं में जोश भरने में जुटे हुए हैं. वहीं दूसरी ओर मथुरा और आगरा के अधिवक्ता चुनावों से पहले अलग ही रणनीति में जुटे हुए हैं. मथुरा आगरा के अधिवक्ताओं का कहना है कि लंबे समय से आगरा में हाईकोर्ट बेंच (High Court Bench) की मांग चली आ रही है. हर राजनीतिक दल ने समर्थन के नाम पर कोरा आश्वासन दिया. किसी ने भी इस ओर कुछ नहीं किया. चुनावों से पहले हम चाहते हैं कि हमारी हाईकोर्ट बेंच की मांग को किसी तरह से पूरा किया जाए. इसके लिए आगरा-मथुरा के अधिवक्ता रणनीति तैयार कर रहे हैं. वहीं, आम लोगों से भी हम समर्थन की मांग कर रहे हैं, ताकि हमारा आंदोलन आगे बढ़ पाए.

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