मथुरा: श्रीकृष्ण जन्मभूमि के मालिकाना हक और परिसर को मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर जिला जज कोर्ट ने वादी पक्ष की दलील सुनने के बाद प्रतिवादी पक्ष को नोटिस जारी किया है. अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी. डीजे कोर्ट ने वादी पक्ष की करीब 45 मिनट की दलील सुनने के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह कमेटी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा ट्रस्ट को नोटिस जारी किया है.
ईटीवी भारत से बातचीत करते हुए अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने कहा कि, श्रीकृष्ण जन्मभूमि परिसर को मस्जिद मुक्त बनाने की मांग को लेकर 12 अक्टूबर को जिला जज कोर्ट में याचिका दाखिल की गई थी. आज करीब 45 मिनट की दलील सुनने के बाद डीजे कोर्ट ने याचिका स्वीकृत कर ली और अगली सुनवाई 18 नवंबर को सुनिश्चित की है. उन्होंने बताया कि, चार प्रतिवादी पक्ष सुन्नी वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह कमेटी, श्रीकृष्ण जन्मभूमि सेवा संस्थान और श्रीकृष्ण सेवा ट्रस्ट को नोटिस जारी किया गया है.
अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री ने बताया कि, 30 सितंबर को हमारी याचिका अवर कोर्ट में खारिज कर दी गई थी. आरोप लगाया गया कि भगवान श्रीकृष्ण के भक्त और मथुरा से बाहर के रहने वाला कोई भी व्यक्ति कोर्ट में याचिका नहीं डाल सकता. हमने अपर कोर्ट में अपील की और आज डीजे कोर्ट में हमारी याचिका स्वीकृत कर ली गई. डीजे कोर्ट में दलील सुनने के बाद जो दस्तावेज थे, पूरे पढ़ने के बाद जिला न्यायालय महोदय साधना रानी ठाकुर ने हमारे याचिका स्वीकृत की है.
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सुप्रीम कोर्ट के अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने बताया कि जिला कोर्ट ने याचिका को स्वीकार कर लिया है. विपक्षी गणों को नोटिस जारी किया जाएगा. 18 नवंबर अगली सुनवाई होगी. इस पूरे मामले पर विस्तृत सुनवाई की जाएगी. सुन्नी वक्फ बोर्ड, शाही ईदगाह कमेटी, श्रीकृष्ण जन्मसेवा संस्थान, श्रीकृष्ण जन्मभूमि ट्रस्ट को नोटिस जारी किया जाएगा.
अधिवक्ता हरिशंकर जैन ने बताया कि कोर्ट में जो याचिका दाखिल की गई थी, उसमें लिखा था- यहां पर जो मस्जिद बनी हुई है, वह श्रीकृष्ण जन्मभूमि की जमीन पर बनी है. यहां मस्जिद बनाने का कोई हक नहीं है. इस अतिक्रमण को हटाया जाए.