मथुरा : मथुरा के पोस्टमार्टम हाउस (post mortem house) में लाशों को पोस्टमार्टम के लिए डॉक्टरों का इंतजार रहता है. आए दिन चर्चाओं में बने रहने वाला मथुरा का पोस्टमार्टम हाउस इन दिनों अपने इसी कारनामे के लिए एक बार फिर चर्चा में है. कई-कई घंटों तक परिजन शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए इंतजार करते हैं. कभी-कभी तो चिकित्सकों की लापरवाही के चलते शवों का 24 घंटे के बाद पोस्टमार्टम किया जाता है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग मथुरा इसे रूटीन प्रक्रिया मानता है.
जानकारी देते हुए नोडल अधिकारी डॉ. भूदेव सिंह ने बताया कि पोस्टमार्टम एक रुटीन प्रक्रिया है. प्रतिदिन पोस्टमार्टम होते हैं. सभी चिकित्सकों की ड्यूटी रोस्टर के अनुसार लगाई जाती है. सामान्यतया जब किसी की एक्सीडेंटल बॉडी आती है और उसके पुलिस की ओर से पेपर पूरे नहीं किए गए होते हैं तो उस शव का पोस्टमार्टम नहीं हो पाता. जब पेपर वर्क पूरा हो जाता है तब की यह प्रक्रिया आगे बढ़ पाती है.
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इसी बीच परिजन आ जाते हैं और उन्हें लगता है कि शव आ चुका है तो पोस्टमार्टम तुरंत कर दिया जाए. वहीं, जब उनसे पूछा गया कि कई शवों का पोस्टमार्टम करने के लिए 24 घंटे से अधिक का समय बीत जाता है जबकि परिजनों और पुलिस के अनुसार सारी फॉर्मेलिटी पूरी हो चुकी होती है. इस पर उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है. इंतजार केवल उन शवों के लिए होता है जो अननोन होतीं हैं और जिनका आईडेंटिफिकेशन नहीं हो पाता.
आए दिन चर्चा में बना रहता है पोस्टमार्टम हाउस
गौरतलब है कि जनपद मथुरा का पोस्टमार्टम गृह आए दिन चर्चा में बना रहता है. चाहे बात अवैध धन उगाही की हो या फिर शवों के पोस्टमार्टम में देरी की. आए दिन यहां शवों का पोस्टमार्टम कराने के लिए पीड़ित परिजनों को समस्याओं का सामना करना पड़ता है. वहीं, स्वास्थ्य विभाग परिजनों द्वारा शिकायत करने पर चिकित्सकों के व्यस्त होने का रोना रोता है.