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खतरे में ईशन नदी का अस्तित्व, विद्यालय मैरिज हॉल ढहाने का आदेश - खतरे में ईशन नदी का अस्तित्व

उत्तर प्रदेश के मैनपुरी से प्रवाहित होकर गुजरने वाली ईशन नदी पर अतिक्रमण का साया है. प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद अवैध अतिक्रमण नहीं रुक रहा. ईशन नदी किनारे धड़ल्ले से माफिया गेस्ट हाउस, स्कूल और घर बनाकर नदी के अस्तित्व को खत्म कर रहे हैं. हालांकि जिला प्रशासन ने दो विद्यालय और एक मैरिज हॉल को ढहाने का आदेश दिया है.

ईशन नदी किनारे अवैध अतिक्रमण.
ईशन नदी किनारे अवैध अतिक्रमण.
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Published : Feb 28, 2021, 2:58 PM IST

मैनपुरी: नदियों के अस्तित्व को बचाने के लिए तमाम कोशिशें हो रही हैं, लेकिन माफिया धड़ल्ले से नदियों के किनारे खाली पड़ी जमीन पर अतिक्रमण कर उसके अस्तित्व को खत्म कर रहे हैं. मैनपुरी से प्रवाहित होकर गुजरने वाली ईशन नदी पर अतिक्रमण का साया है. प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद अवैध अतिक्रमण नहीं रुक रहा. ईशन नदी किनारे खाली पड़ी जमीन पर माफिया धड़ल्ले से गेस्ट हाउस, स्कूल और घर बनाकर नदी के अस्तित्व को खत्म कर रहे हैं. वहीं जिला प्रशासन ने अब कार्रवाई का मूड बनाया है.

ईशन नदी किनारे अवैध अतिक्रमण.

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200 लोगों को नोटिस
ईशन नदी किनारे खाली पड़ी जमीन के बड़े क्षेत्र पर माफिया गेस्ट हाउस, स्कूल और घर बनाकर अतिक्रमण कर चुके हैं. हालांकि प्रशासन का दावा है कि ऐसे लोगों पर लगातार कार्रवाई चल रही है. इस संबध में करीब 200 लोगों को नोटिस भेजी गई है. अगर नोटिस के बावजूद जमीन खाली नहीं की गई तो प्रशासन ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की बात कह रहा है. प्रशासन के मुताबिक अभी तक दो विद्यालय और एक मैरिज हॉल के खिलाफ ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया गया है. ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने कहा है कि नोटिस की समयावधि समाप्त होने के बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई तय है.

इसे भी पढ़ें-ADG आगरा जोन का दावा, भय मुक्त होंगे पंचायत चुनाव

ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने ध्वस्तीकरण के दिए आदेश

ईशन नदी के अस्तित्व पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ऋषि राज की नजर पड़ी है. ईशन नदी के देवी रोड पुल और पुसेना पुल के आसपास की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए अभियान चलाया गया है. ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के मुताबिक यह अभियान लगातार चलता रहेगा. अभी तक 200 से अधिक अवैध अतिक्रमण कर चुके लोगों को नोटिस भेजी गई है. दो विद्यालय और एक मैरिज हॉल स्वामी को नोटिस प्रेसित कर एसडीएम न्यायालय में सुनवाई के लिए तलब किया गया था, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया. लिहाजा ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई अमल में लाने के आदेश अधिकारियों को दिए हैं. निर्माणाधीन ढांचे के ध्वस्तीकरण के लिए 30 दिन का समय दिया जाता है. इस दौरान यदि स्वामित्व व्यक्ति खुद ही उस निर्माण को ध्वस्त नहीं करता है तो प्रशासन उसको ध्वस्त करेगा और हर्जाना भी वसूलेगा.

मैनपुरी: नदियों के अस्तित्व को बचाने के लिए तमाम कोशिशें हो रही हैं, लेकिन माफिया धड़ल्ले से नदियों के किनारे खाली पड़ी जमीन पर अतिक्रमण कर उसके अस्तित्व को खत्म कर रहे हैं. मैनपुरी से प्रवाहित होकर गुजरने वाली ईशन नदी पर अतिक्रमण का साया है. प्रशासन की तमाम कोशिशों के बावजूद अवैध अतिक्रमण नहीं रुक रहा. ईशन नदी किनारे खाली पड़ी जमीन पर माफिया धड़ल्ले से गेस्ट हाउस, स्कूल और घर बनाकर नदी के अस्तित्व को खत्म कर रहे हैं. वहीं जिला प्रशासन ने अब कार्रवाई का मूड बनाया है.

ईशन नदी किनारे अवैध अतिक्रमण.

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200 लोगों को नोटिस
ईशन नदी किनारे खाली पड़ी जमीन के बड़े क्षेत्र पर माफिया गेस्ट हाउस, स्कूल और घर बनाकर अतिक्रमण कर चुके हैं. हालांकि प्रशासन का दावा है कि ऐसे लोगों पर लगातार कार्रवाई चल रही है. इस संबध में करीब 200 लोगों को नोटिस भेजी गई है. अगर नोटिस के बावजूद जमीन खाली नहीं की गई तो प्रशासन ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई की तैयारी की बात कह रहा है. प्रशासन के मुताबिक अभी तक दो विद्यालय और एक मैरिज हॉल के खिलाफ ध्वस्तीकरण का आदेश पारित किया गया है. ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने कहा है कि नोटिस की समयावधि समाप्त होने के बाद ध्वस्तीकरण की कार्रवाई तय है.

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ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने ध्वस्तीकरण के दिए आदेश

ईशन नदी के अस्तित्व पर ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ऋषि राज की नजर पड़ी है. ईशन नदी के देवी रोड पुल और पुसेना पुल के आसपास की जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए अभियान चलाया गया है. ज्वाइंट मजिस्ट्रेट के मुताबिक यह अभियान लगातार चलता रहेगा. अभी तक 200 से अधिक अवैध अतिक्रमण कर चुके लोगों को नोटिस भेजी गई है. दो विद्यालय और एक मैरिज हॉल स्वामी को नोटिस प्रेसित कर एसडीएम न्यायालय में सुनवाई के लिए तलब किया गया था, लेकिन उधर से कोई जवाब नहीं आया. लिहाजा ज्वाइंट मजिस्ट्रेट ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई अमल में लाने के आदेश अधिकारियों को दिए हैं. निर्माणाधीन ढांचे के ध्वस्तीकरण के लिए 30 दिन का समय दिया जाता है. इस दौरान यदि स्वामित्व व्यक्ति खुद ही उस निर्माण को ध्वस्त नहीं करता है तो प्रशासन उसको ध्वस्त करेगा और हर्जाना भी वसूलेगा.

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