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लॉकडाउन: गाजियाबाद से मैनपुरी पहुंचे प्रवासी मजदूर, भूख से हैं व्याकुल - लॉकडाउन

लॉकडाउन में उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जनपद से होकर प्रवासी मजदूर पैदल और साइकिल से अपने राज्यों के लिए जा रहे हैं. इनमें से अधिकतर मजदूर दिल्ली व गाजियाबाद में मजदूरी करते थे. ये बिहार के रहने वाले हैं. भूख से व्याकुल इन मजदूरों की तरफ किसी का ध्यान नहीं जा रहा है.

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गाजियाबाद से मैनपुरी पहुंचे प्रवासी मजदूर.
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Published : May 1, 2020, 3:34 PM IST

मैनपुरी: कोरोना के चलते देश में लॉकडाउन है. इसका असर सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है. अब ये मजदूर पैदल ही अपने राज्यों के लिए निकल पड़े हैं. जनपद से होकर प्रवासी मजदूर लगातार गुजर रहे हैं. भूखे प्यासे इन प्रवासी मजदूरों की सुध न तो कोई सामाजिक संगठन ले रहा है और न ही प्रशासन.

ईटीवी भारत की टीम ने जब इन प्रवासी मजदूरों में से एक अमरउद्दीन से बात की तो उन्होंने बताया कि वे गाजियाबाद की पेपर मिल में मजदूरी करते थे. लॉकडाउन के चलते मिल बंद हो गया है. भूखों मरने की स्थिति आ गई तो अपने राज्य में वापस जाने का निर्णय लिया और पैदल ही निकल पड़े हैं.

प्रवासी मजदूरों की तरफ नहीं जा रहा किसी का ध्यान.

अमरउद्दीन ने बताया कि उन्होंने 4 दिन में 150 किलोमीटर की यात्रा की है. इस दौरान रास्ते में उन्हें न ही किसी लोकल प्रशासन ने इनकी मदद की और न ही किसी सामाजिक संगठन ने. हालांकि कुछ लोगों ने अपने वाहनों से कुछ दूरी तक उन्हें जरूर पहुंचाया.

अमरउद्दीन बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि मकान मालिक उनसे तीन महीने का किराया मांग रहा है, लेकिन लॉकडाउन के चलते पैसा नहीं मिल रहा है तो किराया कैसे दें.

लॉकडाउन: संकट में किसान, जिलाधिकारी से लगाई सब्जी बिकवाने की गुहार

वहीं, दिल्ली के आजादनगर में रिक्शा चला कर जीवन यापन कर रहे कमलेश सिरसा, बिहार के रहने वाले हैं. दिल्ली से बिहार के लिए वे साइकिल से निकले हैं. गला सूख गया था. आंसू निकल रहे थे जो कि थम नहीं रहे थे. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में सब कुछ बंद हो गया है. पुलिस वाले मारते हैं. कहते हैं कि भाग जाओ, नहीं तो मार देंगे.

मैनपुरी: कोरोना के चलते देश में लॉकडाउन है. इसका असर सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूरों पर पड़ा है. अब ये मजदूर पैदल ही अपने राज्यों के लिए निकल पड़े हैं. जनपद से होकर प्रवासी मजदूर लगातार गुजर रहे हैं. भूखे प्यासे इन प्रवासी मजदूरों की सुध न तो कोई सामाजिक संगठन ले रहा है और न ही प्रशासन.

ईटीवी भारत की टीम ने जब इन प्रवासी मजदूरों में से एक अमरउद्दीन से बात की तो उन्होंने बताया कि वे गाजियाबाद की पेपर मिल में मजदूरी करते थे. लॉकडाउन के चलते मिल बंद हो गया है. भूखों मरने की स्थिति आ गई तो अपने राज्य में वापस जाने का निर्णय लिया और पैदल ही निकल पड़े हैं.

प्रवासी मजदूरों की तरफ नहीं जा रहा किसी का ध्यान.

अमरउद्दीन ने बताया कि उन्होंने 4 दिन में 150 किलोमीटर की यात्रा की है. इस दौरान रास्ते में उन्हें न ही किसी लोकल प्रशासन ने इनकी मदद की और न ही किसी सामाजिक संगठन ने. हालांकि कुछ लोगों ने अपने वाहनों से कुछ दूरी तक उन्हें जरूर पहुंचाया.

अमरउद्दीन बिहार के कटिहार जिले के रहने वाले हैं. उन्होंने बताया कि मकान मालिक उनसे तीन महीने का किराया मांग रहा है, लेकिन लॉकडाउन के चलते पैसा नहीं मिल रहा है तो किराया कैसे दें.

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वहीं, दिल्ली के आजादनगर में रिक्शा चला कर जीवन यापन कर रहे कमलेश सिरसा, बिहार के रहने वाले हैं. दिल्ली से बिहार के लिए वे साइकिल से निकले हैं. गला सूख गया था. आंसू निकल रहे थे जो कि थम नहीं रहे थे. उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में सब कुछ बंद हो गया है. पुलिस वाले मारते हैं. कहते हैं कि भाग जाओ, नहीं तो मार देंगे.

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