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क्रशर व्यापारी की मौत मामला: विशेष अदालत में आरोप पत्र पर सुनवाई हुई

यूपी के महोबा जिले में क्रशर व्यापारी की मौत मामले में बुधवार को विशेष अदालत में सुनवाई हुई. मृतक के भाई ने अदालत में दाखिल आरोप पत्र पर आपत्ति जताई है.

क्रशर व्यापारी की मौत मामला
क्रशर व्यापारी की मौत मामला
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Published : Dec 10, 2020, 8:37 AM IST

लखनऊ: महोबा के क्रशर व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में दाखिल आरोप पत्र पर मृतक के भाई ने ही आपत्ति उठा दी है. उनकी ओर से मामले में हत्या की धारा हटाने को लेकर आपत्ति उठाई गई है. वहीं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज गौरव शर्मा ने निरुद्ध कबरई के बर्खास्त थानाध्यक्ष देवेंद्र शुक्ला के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए, मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को तय की है. कोर्ट ने इस मामले में निरुद्ध दो अन्य अभियुक्त सुरेश सोनी और ब्रह्मदत्त तिवारी के खिलाफ भी दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान लिया है.

विशेष अदालत में हुई सुनवाई

अभियुक्त देवेंद्र शुक्ला के खिलाफ आईपीसी की धारा 387, 120बी, 504, 506 और 306 के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7/7ए/12/13 में आरोप पत्र दाखिल किया गया है, जबकि अभियुक्त सुरेश और ब्रह्मदत्त के खिलाफ आईपीसी की धारा 387, 120बी, 504, 506 व 306 के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 8 व 12 के तहत दाखिल किया गया है. बुधवार को विशेष अदालत में आरोप पत्र पर संज्ञान के बिंदु पर सुनवाई हुई.

मृतक के भाई ने जताई आपत्ति

सुनवाई के दौरान मृतक के भाई रविकांत की ओर से आरोप पत्र पर आपत्ति जताई गई. कहा गया कि विवेचना मनचाहे ढंग से की गई है. गवाहों के बयान और मौके पर मौजूद साक्ष्यों की अनदेखी कर आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया है, जबकि उनके भाई की मौत के बाद इस मामले को आईपीसी की धारा 302 में तरमीम करना चाहिए था. लेकिन इस मामले में पुलिस के उच्चाधिकारयों के शामिल होने की वजह से विवेचना ठीक ढंग से नहीं की गई है, लिहाजा उचित धाराओं में संज्ञान लिया जाए. विवेचक की ओर से कहा गया कि इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई. जांच में मेडिकोलीगल टीम की रिपोर्ट व अन्य मूल्यवान साक्ष्यों के आधार पर आईपीसी की धारा 302 की जगह 306 के तहत विवेचना की गई.

जानिए क्या है पूरा मामला

11 सिंतबर 2020 को इस मामले की एफआईआर मृतक के भाई रविकांत त्रिपाठी ने महोबा के थाना कबरई में दर्ज कराई थी, जिसमें महोबा के तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार और कबरई थानाध्यक्ष देवेंद्र कुमार शुक्ला और अन्य को नामजद किया गया था. आईपीसी की धारा 387, 307 (हत्या का प्रयास) व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 व 13 में दर्ज हुई. इस एफआईआर के मुताबिक उनके भाई इंद्रकांत से अभियुक्तगण प्रति माह छह लाख रुपए की अवैध वसूली करते थे.

लॉकडाउन में वसूली नहीं देने पर उनके भाई को धमकी दी गई. 8 सितंबर को वह गोली लगने से घायल हो गए. 13 सितंबर को इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई. उनकी मौत के बाद 307 हटाकर आईपीसी की धारा 302 (हत्या) में इस मामले को तरमीम किया गया, लेकिन इसके बाद इस मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी गई.

प्रयागराज के एसपी क्राइम आशुतोष मिश्रा की अगुवाई में गठित एसआईटी ने अपनी जांच में इस मामले को आत्महत्या के लिए उकसाने का पाया. मामले में विशेष अदालत ने महोबा के निलंबित एसपी मणिलाल पाटीदार के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई की नोटिस जारी करने का आदेश दिया हुआ है.

लखनऊ: महोबा के क्रशर व्यापारी इंद्रकांत त्रिपाठी को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में दाखिल आरोप पत्र पर मृतक के भाई ने ही आपत्ति उठा दी है. उनकी ओर से मामले में हत्या की धारा हटाने को लेकर आपत्ति उठाई गई है. वहीं भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के विशेष जज गौरव शर्मा ने निरुद्ध कबरई के बर्खास्त थानाध्यक्ष देवेंद्र शुक्ला के खिलाफ दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान लेते हुए, मामले की अगली सुनवाई 17 दिसंबर को तय की है. कोर्ट ने इस मामले में निरुद्ध दो अन्य अभियुक्त सुरेश सोनी और ब्रह्मदत्त तिवारी के खिलाफ भी दाखिल आरोप पत्र पर संज्ञान लिया है.

विशेष अदालत में हुई सुनवाई

अभियुक्त देवेंद्र शुक्ला के खिलाफ आईपीसी की धारा 387, 120बी, 504, 506 और 306 के साथ ही भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7/7ए/12/13 में आरोप पत्र दाखिल किया गया है, जबकि अभियुक्त सुरेश और ब्रह्मदत्त के खिलाफ आईपीसी की धारा 387, 120बी, 504, 506 व 306 के साथ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 8 व 12 के तहत दाखिल किया गया है. बुधवार को विशेष अदालत में आरोप पत्र पर संज्ञान के बिंदु पर सुनवाई हुई.

मृतक के भाई ने जताई आपत्ति

सुनवाई के दौरान मृतक के भाई रविकांत की ओर से आरोप पत्र पर आपत्ति जताई गई. कहा गया कि विवेचना मनचाहे ढंग से की गई है. गवाहों के बयान और मौके पर मौजूद साक्ष्यों की अनदेखी कर आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरण के तहत आरोप पत्र दाखिल किया गया है, जबकि उनके भाई की मौत के बाद इस मामले को आईपीसी की धारा 302 में तरमीम करना चाहिए था. लेकिन इस मामले में पुलिस के उच्चाधिकारयों के शामिल होने की वजह से विवेचना ठीक ढंग से नहीं की गई है, लिहाजा उचित धाराओं में संज्ञान लिया जाए. विवेचक की ओर से कहा गया कि इस मामले की जांच एसआईटी को सौंपी गई. जांच में मेडिकोलीगल टीम की रिपोर्ट व अन्य मूल्यवान साक्ष्यों के आधार पर आईपीसी की धारा 302 की जगह 306 के तहत विवेचना की गई.

जानिए क्या है पूरा मामला

11 सिंतबर 2020 को इस मामले की एफआईआर मृतक के भाई रविकांत त्रिपाठी ने महोबा के थाना कबरई में दर्ज कराई थी, जिसमें महोबा के तत्कालीन एसपी मणिलाल पाटीदार और कबरई थानाध्यक्ष देवेंद्र कुमार शुक्ला और अन्य को नामजद किया गया था. आईपीसी की धारा 387, 307 (हत्या का प्रयास) व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 7 व 13 में दर्ज हुई. इस एफआईआर के मुताबिक उनके भाई इंद्रकांत से अभियुक्तगण प्रति माह छह लाख रुपए की अवैध वसूली करते थे.

लॉकडाउन में वसूली नहीं देने पर उनके भाई को धमकी दी गई. 8 सितंबर को वह गोली लगने से घायल हो गए. 13 सितंबर को इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई. उनकी मौत के बाद 307 हटाकर आईपीसी की धारा 302 (हत्या) में इस मामले को तरमीम किया गया, लेकिन इसके बाद इस मामले की जांच एसआईटी को सौंप दी गई.

प्रयागराज के एसपी क्राइम आशुतोष मिश्रा की अगुवाई में गठित एसआईटी ने अपनी जांच में इस मामले को आत्महत्या के लिए उकसाने का पाया. मामले में विशेष अदालत ने महोबा के निलंबित एसपी मणिलाल पाटीदार के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई की नोटिस जारी करने का आदेश दिया हुआ है.

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