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महराजगंज: कटान कर रही नारायणी नदी, बंधे के किनारे बसे ग्रामीणों में डर का माहौल

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के निचलौल क्षेत्र के गेड़हवा गांव की तरफ नारायणी नदी की धारा बढ़ने से ग्रामीण भयभीत हो गए हैं. बिना मानसून के ही नारायणी नदी पश्चिम तट पर टेल फ़ाल के पास ठोकरों को काटकर पेड़ों को नदी में विलीन कर रही है.

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Published : Jun 3, 2020, 7:27 AM IST

महराजगंज
बंधे के किनारे बसे ग्रामीण

महराजगंज: पड़ोसी देश नेपाल से निकलकर जिले की सीमा से होकर बहने वाली नारायणी नदी के मानसून से पहले तेवर देखकर बंधे के किनारे बसे नागरिकों की चिंता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. निचलौल तहसील क्षेत्र के गेड़हवा के कटान टोला के ग्रामीण नदी के कटान को देखकर इस बात को लेकर चिंतित है कि मानसून आते ही समस्या और गंभीर हो जाएगी.

बिना मानसून के ही नारायणी नदी पश्चिमी तट पर टेल फ़ाल के पास ठोकरों को काटकर पेड़ों को नदी में विलीन करती जा रही है. इसके अलावा पथलहवा में कई जगहों पर नदी का रुख बदला हुआ है. नारायणी नदी का पानी औसतन सामान्य है. अभी नारायणी नदी में 67 हजार क्यूसेक पानी बह रहा है. 1.5 लाख क्यूसेक होने पर कटान स्थलों पर पानी की रफ्तार जहां तेज हो जाती है. वहीं अवैध बालू की खनन से नदी का संतुलन दिन प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है.

पिछले आठ-दस सालों में नारायणी नदी का नियत स्थान से करीब 200 मीटर का संतुलन बिगड़ा है. नदी के किनारों से बालू के अवैध निकासी के कारण नदी की धारा गांव की तरह बढ़ रही है, जिसके कारण नदी के किनारे बसे जिले की दर्जनों गांव उसके चपेट में आ जाएंगे. जिलाधिकारी डॉक्टर उज्जवल कुमार ने बताया कि नारायणी नदी की कटान वाले स्थानों पर बांधों के ऊंचीकरण और मरम्मत के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं. इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

महराजगंज: पड़ोसी देश नेपाल से निकलकर जिले की सीमा से होकर बहने वाली नारायणी नदी के मानसून से पहले तेवर देखकर बंधे के किनारे बसे नागरिकों की चिंता दिन प्रतिदिन बढ़ती जा रही है. निचलौल तहसील क्षेत्र के गेड़हवा के कटान टोला के ग्रामीण नदी के कटान को देखकर इस बात को लेकर चिंतित है कि मानसून आते ही समस्या और गंभीर हो जाएगी.

बिना मानसून के ही नारायणी नदी पश्चिमी तट पर टेल फ़ाल के पास ठोकरों को काटकर पेड़ों को नदी में विलीन करती जा रही है. इसके अलावा पथलहवा में कई जगहों पर नदी का रुख बदला हुआ है. नारायणी नदी का पानी औसतन सामान्य है. अभी नारायणी नदी में 67 हजार क्यूसेक पानी बह रहा है. 1.5 लाख क्यूसेक होने पर कटान स्थलों पर पानी की रफ्तार जहां तेज हो जाती है. वहीं अवैध बालू की खनन से नदी का संतुलन दिन प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है.

पिछले आठ-दस सालों में नारायणी नदी का नियत स्थान से करीब 200 मीटर का संतुलन बिगड़ा है. नदी के किनारों से बालू के अवैध निकासी के कारण नदी की धारा गांव की तरह बढ़ रही है, जिसके कारण नदी के किनारे बसे जिले की दर्जनों गांव उसके चपेट में आ जाएंगे. जिलाधिकारी डॉक्टर उज्जवल कुमार ने बताया कि नारायणी नदी की कटान वाले स्थानों पर बांधों के ऊंचीकरण और मरम्मत के लिए आवश्यक दिशा निर्देश दिए गए हैं. इसमें किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी.

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