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महराजगंजः कोरोना मरीज के मिलते ही गांव हुआ सील, खेतों में सड़ने लगीं सब्जियां

उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले में कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद गांव के लोग अपने घरों में कैंद हो गए. ऐसे में किसानों के खेत में तैयार पड़ी सब्जियां मंडी तक न पहुंचने से सड़ने लगी हैं. खेती-बारी पर निर्भर किसानों के उम्मीदों पर एक बार फिर पानी फिरने लगा है.

किसान
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Published : May 4, 2020, 5:07 AM IST

महराजगंज: पनियरा थाना क्षेत्र के ग्राम रतनपुरवा में कोरोना पॉजिटिव एक मरीज मिलने के बाद लोगों में दहशत है और लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं. ऐसे में किसानों की सब्जियां मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं. जिसकी वजह से वह खेतों में पड़े-पड़े सड़ जा रही हैं.

खेत में सड़ रही सब्जी
गांव के जोखन निषाद ने बताया कि टमाटर, बैगन और खीरा की अच्छी खेती तैयार की थी. लाॅकडाउन के दौरान टमाटर जैसे-तैसे बेचकर खेत को खाली कर दिया. अब गांव में ही कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद गांव को पूरी तरह से सील कर दिया गया है. जिसके कारण खेतों में तैयार बैगन और खीरा मंडी तक नहीं पहुंच पा रहा है. कुछ सब्जियों में दवाओं का छिड़काव करने की जरूरत है लेकिन घर से बाहर न निकलने के कारण दवाओं का भी छिड़काव नहीं हो पा रहा है.

सब्जी के सहारे चलता है परिवार का खर्च
किसान जोखन निषाद के मुताबिक, उनके पूरे परिवार का भरण पोषण खेती-बारी के सहारे होता है. समय से अच्छी सब्जी और फसलों का उत्पादन करने से एक अच्छी आय होती है. जिससे पूरे परिवार का खर्च चलता है. इसके अलावा इसी खेती से शादी-विवाह और बच्चों की पढाई होती है. लेकिन अचानक गांव पूरी तरह से सील होने से खेतों में सब्जियां सड़ने लगी हैं. ऐसे में परिवार का भरण पोषण कैसे होगा यही सबसे बड़ी चिंता है. गांव के अन्य किसान जगदीश और अमरनाथ निषाद की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.

महराजगंज: पनियरा थाना क्षेत्र के ग्राम रतनपुरवा में कोरोना पॉजिटिव एक मरीज मिलने के बाद लोगों में दहशत है और लोग अपने घरों में कैद हो गए हैं. ऐसे में किसानों की सब्जियां मंडियों तक नहीं पहुंच पा रही हैं. जिसकी वजह से वह खेतों में पड़े-पड़े सड़ जा रही हैं.

खेत में सड़ रही सब्जी
गांव के जोखन निषाद ने बताया कि टमाटर, बैगन और खीरा की अच्छी खेती तैयार की थी. लाॅकडाउन के दौरान टमाटर जैसे-तैसे बेचकर खेत को खाली कर दिया. अब गांव में ही कोरोना पॉजिटिव मरीज मिलने के बाद गांव को पूरी तरह से सील कर दिया गया है. जिसके कारण खेतों में तैयार बैगन और खीरा मंडी तक नहीं पहुंच पा रहा है. कुछ सब्जियों में दवाओं का छिड़काव करने की जरूरत है लेकिन घर से बाहर न निकलने के कारण दवाओं का भी छिड़काव नहीं हो पा रहा है.

सब्जी के सहारे चलता है परिवार का खर्च
किसान जोखन निषाद के मुताबिक, उनके पूरे परिवार का भरण पोषण खेती-बारी के सहारे होता है. समय से अच्छी सब्जी और फसलों का उत्पादन करने से एक अच्छी आय होती है. जिससे पूरे परिवार का खर्च चलता है. इसके अलावा इसी खेती से शादी-विवाह और बच्चों की पढाई होती है. लेकिन अचानक गांव पूरी तरह से सील होने से खेतों में सब्जियां सड़ने लगी हैं. ऐसे में परिवार का भरण पोषण कैसे होगा यही सबसे बड़ी चिंता है. गांव के अन्य किसान जगदीश और अमरनाथ निषाद की कहानी भी कुछ ऐसी ही है.

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