महराजगंज: जिले में जिम्मेदार अधिकारियों की उदासीनता से निजी अस्पताल संचालक बेखौफ मानव स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं. अधिकारियों के रहमो-करम पर निजी अस्पताल फल फूल रहे हैं. ऐसे एमबीबीएस डॉक्टरों के नाम से रजिस्ट्रेशन कराया गया है, जो इन अस्पतालों में कभी नहीं बैठते हैं. ऐसे में इन अस्पतालों में मरीजों के साथ खुलेआम धोखा किया जा रहा है.
जिले के पनियरा, मुजुरी, फरेंदा, नौतनवा, लक्ष्मीपुर, निचलौल व घुघली सहित विभिन्न स्थानों पर ऐसे कई निजी अस्पतालों का संचालन किया जा रहा है, जहां इलाज के नाम पर लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है. आए दिन इन अस्पतालों में इलाज के लिए आए मरीजों का इलाज सही से नहीं हो पाता है और वे काल के गाल में समा जाते हैं.
अस्पतालों का संचालन उन एमबीबीएस डॉक्टरों के नाम से लाइसेंस लेकर किया जा रहा है, जो कभी इनके अस्पताल में न तो बैठते हैं और न ही मरीजों का इलाज करते हैं. ऐसे में अस्पतालों में आए मरीजों का इलाज अप्रशिक्षित लोग कर रहे हैं.
17 अगस्त को जिले के एक निजी अस्पताल से ऐसा ही मामला सामने आया, जहां मृतक मरीज के इलाज के नाम पर पैसा ऐंठने पर परिजनों ने हंगामा खड़ा कर दिया. मौके पर पहुंची पुलिस ने किसी तरह से शांति व्यवस्था बनाई, लेकिन इस घटना ने जिले के निजी अस्पताल की पोल खोल दी. मृतक मरीज के परिजनों का आरोप था कि जब वे अपने मरीज से मिलने आए तो अस्पताल प्रबंधन ने परिजनों को बिना बताए मरीज को मेडिकल कॉलेज गोरखपुर रेफर कर दिया.
पीड़ित परिजनों का कहना है कि सांस लेने में दिक्कत होने पर मरीज को जिले के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां पर जांच रिपोर्ट कोरोना निगेटिव आई. जिसके बाद फिर दूसरी कोविड जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव पाई गई. बाद में इलाज के दौरान मरीज की मौत हो गई, लेकिन निजी अस्पताल संचालक पैसा ऐंठने के लिए मरीज का इलाज करता रहा.
परिजनों की शिकायत के बाद जिम्मेदार अधिकारियों ने कार्रवाई का आश्वासन तो दिया लेकिन, कुछ नहीं किया गया. मामले में एडी हेल्थ गोरखपुर से फोन पर बात की गई तो उन्होंने बताया कि इसकी जांच कर आवश्यक कार्रवाई की जाएगी. डिप्टी सीएमओ डॉ. आइ.ए. अंसारी ने बताया कि जिले के ऐसे निजी अस्पतालों के खिलाफ छापेमारी करके कार्रवाई की जा रही हैं.