महराजगंज : जिले के घुघली बुजुर्ग गांव की लक्ष्मीना को 19 मई को प्रसव पीड़ा शुरू हुई. परिजन लक्ष्मीना को डिलीवरी के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र घुघली लेकर पहुंचे. यहां पर उसे भर्ती किया गया, लेकिन डिलीवरी के दौरान बेहतर इलाज न मिलने से शिशु की मौत हो गई. परिजनों का आरोप है कि डिलीवरी के लिए जब प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र लाया गया तो लक्ष्मीना को भर्ती कर पर्ची पर दवा लिखी गयी. बाहर से दवा मंगवाई गयी और पांच हजार रुपये भी मांगा गया. दवा डॉक्टर मीना सिंह को देने के बाद परिजनों ने लक्ष्मीना की हालत पूछी तब उन्होंने बताया कि बच्चा नॉर्मल डिलीवरी से पैदा होगा. साथ ही उन्होंने कहा कि आप घबराइए नहीं, पांच हजार रुपये की जल्दी व्यवस्था कीजिए. जब तक पैसा घर से लाया गया तब तक डॉक्टर की लापरवाही से बच्चे की मौत हो गयी.
पीड़िता के ससुर विजयी ने बताया कि डिलीवरी के जब कुछ घण्टे बीत गए तो एक सादे पेपर पर हस्ताक्षर करने के लिए बोला गया. उन्होंने अपनी बहन से उस सादे कागज पर हस्ताक्षर करा दिए. उसके बाद अस्पताल पर बताया गया कि पेट में बच्चा उल्टा था और डिलीवरी के दौरान उसकी मौत हो गयी.
डॉ. मीना ने दी यह जानकारी
इस पूरे मामले को लेकर जब डॉक्टर मीना से बात की गई तो उन्होंने बताया कि जब परिजन लक्ष्मीना को अंतिम समय में लेकर आये तो हम ओपीडी में मरीज देख रहे थे. स्टाफ नर्स ने बताया कि बच्चा उल्टा है तो हम बोले कि रेफर कर दो. लेकिन, परिजन यहीं डिलीवरी कराने के लिए कहे और स्टाफ नर्स ने डिलीवरी कराई. जहां तक आरोप है सादे पेपर पर हस्ताक्षर कराने व पैसे मांगने की बात तो वो बिल्कुल निराधार है.
स्टाफ नर्स ने किया इनकार
इस पूरे मामले को लेकर जब स्टाफ नर्स से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि बच्चा उल्टा था तो हमें समझ नहीं आया. इसके बाद हम डॉक्टर मीना को बताए तो वही डिलीवरी कराई हैं. मुझे नहीं पता कि डिलीवरी के बाद बच्चा जिंदा था या मरा हुआ पैदा हुआ था.
मामले की होगी जांच
इस मामले में नोडल अधिकारी डॉ. राकेश कुमार ने मामले की जांच कराकर दोषी के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है.
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