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महराजगंज: लाॅकडाउन के बीच मनरेगा का शुरु हुआ काम, मजदूरों के चेहरे पर लौटी मुस्कान

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Published : Apr 25, 2020, 3:44 PM IST

उत्तर प्रदेश के महराजगंज में सरकार ने मनरेगा मजदूरों को सोशल डिस्टेंसिंग बनाकर मजदूरी करने की छूट दे दी है. इससे मनरेगा मजदूरों के चेहरे की मुस्कान वापस आ गई है. मजदूरों का कहा है कि अब उनके परिवार का भरण पोषण आसानी से हो पाएगा.

manrega workers doing work by following social distancing
मनरेगा मजदूरों का शुरू हुआ काम

महाराजगंज: जिले में मनरेगा मजदूरों को काम मिलने से राहत मिली है. सोशल डिस्टेंसिंग के बीच जिले के 359 स्थानों पर मनरेगा का काम शुरू हुआ है. इससे 5144 मनरेगा मजदूरों को काम मिल गया है. उन्हें उम्मीद है कि इस कार्य के बदले जो मजदूरी मिलेगा उससे इनके परिवार का इस लॉकडाउन में भरण पोषण हो जाएगा.

लाॅकडाउन के कारण लोगों का काम धंधा बन्द हो गया था, जिसके कारण लोगों के सामने खाने की समस्या खड़ी हो गई थी. लोग शहरों को छोड़कर अपने गांव की ओर पलायन कर रहे थे. वही उनके गांव में ही मनरेगा का काम सोशल डिस्टेंसिग के पालन के साथ शुरू होने से मजदूरों को काफी राहत मिली है. कुछ लोग अभी भी इस लाॅकडाउन में बड़े शहरों में फंसे हुए हैं जो भुखमरी से जूझ रहे हैं.

मनरेगा मजदूरों को मिल रही राहत
इस बीच मनरेगा की ओर से गांव में तालाब की खुदाई हो या अन्य मिट्टी का कार्य शुरू होने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे मजदूरों को निजात मिलने की उम्मीद जगी है. जिले के 929 ग्राम पंचायतों में 359 स्थानों पर मनरेगा का काम सोशल डिस्टेंसिग के पालन के साथ शुरु होने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे 5144 मनरेगा मजदूरों को काफी निजात मिली है.

परिवार का कर सकेंगे भरण पोषण
पनियरा ब्लाक के ग्राम सभा औरहियां में मनरेगा योजना के अंतर्गत हो रहे तालाब की खुदाई के लिए आए मजदूरों ने बताया कि सारे काम धंधे बंद हो गए थे और खाने पीने के लाले पड़े हुए थे. सरकार की ओर से गेहूं और चावल तो दिया जा रहा था, लेकिन उसके साथ खरीदकर नमक और सब्जी खाने पीने के लिए पैसे नहीं थे. अब गांव में मनरेगा का कार्य शुरु होने से इस बात की उम्मीद जगी है कि जो मजदूरी मिलेगी उस से कम से कम परिवार का भरण पोषण करने में आसानी होगी. मनरेगा मजदूरों ने सरकार के कहने पर सोशल डिस्टेंसिग का अनुपालन करते हुए मास्क लगाकर कार्यस्थल पर तालाब की खुदाई कर रहे हैं.

मनरेगा मजदूर रामप्रीत ने बताया की गांव में काम मिलने से उन्हें अपने परिवार का भरण पोषण करने में काफी सहूलियत मिलेगी. लाॅकडाउन में काम बंद होने से परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो गया था, लेकिन अब काम मिल गया है. वहीं जब मजदूरी मिलेगा तो उनके घर में आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति हो जाएगी.

औरहियां गांव की मनरेगा मजदूर रम्भा देवी ने बताया कि उनके परिवार के अलावा गांव के तमाम लोग लॉकडाउन के दौरान मुंबई में फंसे हुए हैं, जहां काम धंधे बंद होने से लोग भुखमरी से जूझ रहे हैं. उसे भी गांव में काम मिलने से काफी राहत मिली है.

महाराजगंज: जिले में मनरेगा मजदूरों को काम मिलने से राहत मिली है. सोशल डिस्टेंसिंग के बीच जिले के 359 स्थानों पर मनरेगा का काम शुरू हुआ है. इससे 5144 मनरेगा मजदूरों को काम मिल गया है. उन्हें उम्मीद है कि इस कार्य के बदले जो मजदूरी मिलेगा उससे इनके परिवार का इस लॉकडाउन में भरण पोषण हो जाएगा.

लाॅकडाउन के कारण लोगों का काम धंधा बन्द हो गया था, जिसके कारण लोगों के सामने खाने की समस्या खड़ी हो गई थी. लोग शहरों को छोड़कर अपने गांव की ओर पलायन कर रहे थे. वही उनके गांव में ही मनरेगा का काम सोशल डिस्टेंसिग के पालन के साथ शुरू होने से मजदूरों को काफी राहत मिली है. कुछ लोग अभी भी इस लाॅकडाउन में बड़े शहरों में फंसे हुए हैं जो भुखमरी से जूझ रहे हैं.

मनरेगा मजदूरों को मिल रही राहत
इस बीच मनरेगा की ओर से गांव में तालाब की खुदाई हो या अन्य मिट्टी का कार्य शुरू होने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे मजदूरों को निजात मिलने की उम्मीद जगी है. जिले के 929 ग्राम पंचायतों में 359 स्थानों पर मनरेगा का काम सोशल डिस्टेंसिग के पालन के साथ शुरु होने से आर्थिक तंगी से जूझ रहे 5144 मनरेगा मजदूरों को काफी निजात मिली है.

परिवार का कर सकेंगे भरण पोषण
पनियरा ब्लाक के ग्राम सभा औरहियां में मनरेगा योजना के अंतर्गत हो रहे तालाब की खुदाई के लिए आए मजदूरों ने बताया कि सारे काम धंधे बंद हो गए थे और खाने पीने के लाले पड़े हुए थे. सरकार की ओर से गेहूं और चावल तो दिया जा रहा था, लेकिन उसके साथ खरीदकर नमक और सब्जी खाने पीने के लिए पैसे नहीं थे. अब गांव में मनरेगा का कार्य शुरु होने से इस बात की उम्मीद जगी है कि जो मजदूरी मिलेगी उस से कम से कम परिवार का भरण पोषण करने में आसानी होगी. मनरेगा मजदूरों ने सरकार के कहने पर सोशल डिस्टेंसिग का अनुपालन करते हुए मास्क लगाकर कार्यस्थल पर तालाब की खुदाई कर रहे हैं.

मनरेगा मजदूर रामप्रीत ने बताया की गांव में काम मिलने से उन्हें अपने परिवार का भरण पोषण करने में काफी सहूलियत मिलेगी. लाॅकडाउन में काम बंद होने से परिवार का भरण पोषण करना मुश्किल हो गया था, लेकिन अब काम मिल गया है. वहीं जब मजदूरी मिलेगा तो उनके घर में आवश्यक वस्तुओं की पूर्ति हो जाएगी.

औरहियां गांव की मनरेगा मजदूर रम्भा देवी ने बताया कि उनके परिवार के अलावा गांव के तमाम लोग लॉकडाउन के दौरान मुंबई में फंसे हुए हैं, जहां काम धंधे बंद होने से लोग भुखमरी से जूझ रहे हैं. उसे भी गांव में काम मिलने से काफी राहत मिली है.

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