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एंबुलेंस का नहीं लगा फोन, दादी को ठेले पर लेकर इलाज के लिए निकला नाती - एंबुलेंस

उत्तर प्रदेश के महराजगंज में एक ऐसी तस्वीर सामने आई है, जिसने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोल दी है. कहने को महराजगंज में 56 एंबुलेंस है, लेकिन एक शख्स कई बार 108 नंबर सेवा पर फोन लगाता रहा, लेकिन कोई जवाब नहीं आया. लिहाजा उसे ठेले पर ही दादी को लादकर इलाज के लिए अस्पताल के लिए जाना पड़ा.

ambulance problems in maharajganj
महराजगंज में दादी को ठेले पर लेकर निकल पड़ा पोता.
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Published : Apr 15, 2020, 9:41 AM IST

महराजगंज: जनपद में लॉकडाउन के बीच एक हैरान कर देने वाली तस्वीर सामने आई है. सदर कोतवाली के सवरेजी गांव का रहने वाले बिरजू की दादी का पैर फ्रैक्चर हो गया, जिसके बाद बिरजू ने 108 एम्बुलेंस सेवा पर कई बार फोन लगाया, लेकिन उसका फोन नहीं लगा. लिहाजा दर्द से कराहती दादी को बिरजू ठेले पर ही लाद कर अस्पताल की तरफ चल दिया.

स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का मामला आया सामने.

इस चिलचिलाती धूप के बीच बिरजू बार-बार दर्द से कराहती अपनी दादी को चुप करा रहा था, लेकिन उसे न तो 108 नम्बर की एम्बुलेंस मिली न ही लॉक डाउन में कोई प्राइवेट वाहन. वहीं इस घटना के बाद अब जिम्मेदार नेटवर्क न होने का बहाना कर रहे हैं.

दरअसल, बिरजू की दादी का पैर टूट गया और वह उसे अस्पताल ले जाने के लिए 108 नम्बर की एम्बुलेंस को कॉल करता रहा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. फिर वो प्राइवेट वाहनों का सहारा लेना चाहा, लेकिन लॉकडाउन में कोई तैयार नहीं हुआ. मजबूरन वह अपनी दादी को ठेले पर लाद कर अस्पताल के लिए निकल पड़ा.

पिता से नहीं भरा मन तो बेरहमी से मासूम बच्चे को पीटा, देखें वीडियो

महराजगंज में कहने के लिए तो कुल 56 एम्बुलेंस हैं, लेकिन बिरजू और उसकी दादी के लिए वो काम नहीं आये. सीएमओ महराजगंज इसको हल्के में लेते रहे. कभी नेटवर्क का हवाला दिया तो कभी कहा देखते हैं. शायद सीएमओ साहब की संवेदना कहीं कहीं खो सी गई हो.

महराजगंज: जनपद में लॉकडाउन के बीच एक हैरान कर देने वाली तस्वीर सामने आई है. सदर कोतवाली के सवरेजी गांव का रहने वाले बिरजू की दादी का पैर फ्रैक्चर हो गया, जिसके बाद बिरजू ने 108 एम्बुलेंस सेवा पर कई बार फोन लगाया, लेकिन उसका फोन नहीं लगा. लिहाजा दर्द से कराहती दादी को बिरजू ठेले पर ही लाद कर अस्पताल की तरफ चल दिया.

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इस चिलचिलाती धूप के बीच बिरजू बार-बार दर्द से कराहती अपनी दादी को चुप करा रहा था, लेकिन उसे न तो 108 नम्बर की एम्बुलेंस मिली न ही लॉक डाउन में कोई प्राइवेट वाहन. वहीं इस घटना के बाद अब जिम्मेदार नेटवर्क न होने का बहाना कर रहे हैं.

दरअसल, बिरजू की दादी का पैर टूट गया और वह उसे अस्पताल ले जाने के लिए 108 नम्बर की एम्बुलेंस को कॉल करता रहा, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला. फिर वो प्राइवेट वाहनों का सहारा लेना चाहा, लेकिन लॉकडाउन में कोई तैयार नहीं हुआ. मजबूरन वह अपनी दादी को ठेले पर लाद कर अस्पताल के लिए निकल पड़ा.

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महराजगंज में कहने के लिए तो कुल 56 एम्बुलेंस हैं, लेकिन बिरजू और उसकी दादी के लिए वो काम नहीं आये. सीएमओ महराजगंज इसको हल्के में लेते रहे. कभी नेटवर्क का हवाला दिया तो कभी कहा देखते हैं. शायद सीएमओ साहब की संवेदना कहीं कहीं खो सी गई हो.

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