महराजगंज: जिले में मनरेगा का कार्य इन दिनों भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है. घोटाले को लेकर परतावल और घुघली ब्लॉक इन दिनों सुर्खियों में है. साल 2018-19 में मनरेगा से तालाब सुंदरीकरण के नाम पर 25 लाख 87 हजार 920 रुपये का फर्जी भुगतान का मामला सामने आया था. इस मामले में परतावल बीडीओ प्रवीण शुक्ला ने 28 मई को सदर कोतवाली में मुकदमा पंजीकृत कराया था. इसमें एपीओ विनय मौर्य के अलावा दिनेश मौर्य और एक कथित ठेकेदार और 3 वन विभाग के कर्मी शामिल थे. वहीं, मुकदमा दर्ज होने के बाद वन विभाग के एसडीओ सदर चंद्रेश सिंह ने भी तत्कालीन एसडीओ घनश्याम राय, डीएफओ कार्यालय के कंप्यूटर ऑपरेटर अरविंद श्रीवास्तव और लेखा लिपिक विंद्रेश कुमार सिंह के खिलाफ नामजद केस दर्ज कराया है.
एसपी ने मामले की जांच क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर की
पुलिस अधीक्षक प्रदीप गुप्ता ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कोतवाली से मामले की जांच क्राइम ब्रांच को ट्रांसफर कर दी. इससे जल्द ही आरोपियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी. मुख्य विकास अधिकारी गौरव सिंह सोगरवाल के निर्देश पर विभाग के अधिकारी इसकी जांच कर रहे हैं. इस दौरान परतावल ब्लॉक में मनरेगा घोटाले के तार घुघली ब्लॉक में हुए फर्जीवाड़े से जुड़ता हुआ नजर आया है.
खंड विकास अधिकारी के ही डिजिटल सिग्नेचर से घुघली ब्लॉक के ग्राम सभा अहिरौली में 16 लाख 85 हजार 586 रुपये का भुगतान मिट्टी भराई के काम पर हुआ है. अपने को इस फर्जीवाड़ा में फंसते देख बीडीओ का कहना है कि उनके डिजिटल सिग्नेचर का क्लोन बनाकर फर्जी तरीके से भुगतान कराया गया है, जिसकी जानकारी उन्हें नहीं है.
सबसे बड़ी बात तो यह है कि पहले वन विभाग के डोंगल और अब बीडीओ के डोंगल से मनरेगा में फर्जी भुगतान का मामला सामने आने के बाद इस बात की आशंका जताई जा रही है कि इस भ्रष्टाचार के खेल में कई विभागीय खिलाड़ी शामिल हो सकते हैं. आखिर वह कौन हैं, जो विभागीय अधिकारियों की नाक के नीचे ही उनका फर्जी डिजिटल सिग्नेचर बनाकर मनरेगा से लाखों रुपये भुगतान कर हड़प रहे हैं.
दो दिनों से हो रही बारिश
जिले में 2 दिनों से झमाझम बारिश हो रही है. इसके कारण किसी भी कार्यस्थल पर मनरेगा के मजदूर काम नहीं कर रहे हैं. इसके बावजूद मनरेगा के प्रतिदिन का जारी ई-मास्टररोल में मनरेगा मजदूरों को रोजगार दिया जा रहा है. भले ही उस कार्यस्थल पर मजदूर काम न कर रहे हो. 14 जून को भी जिले में बारिश हुई. इसके बावजूद 740 स्थानों पर 52127 मजदूर कागजों में काम कर रहे हैं, जो अपने आप में जांच का विषय है.
कागजों के इस खेल में शिकायत होने पर उस तरीख को मास्टररोल में शून्य कार्य दिवस कर दिया जाता है. कुछ जगहों पर भुगतान भी कर दिया जाता है. ऐसे में सवाल यह है कि इस तरह से मनरेगा में भ्रष्टाचार व्याप्त रहेगा तो उन मजदूरों को कैसे रोजगार मिलेगा जो 100 दिन के रोजगार के इंतजार में बैठे रहते हैं. वहीं, इस पूरे मामले पर मुख्य विकास अधिकारी गौरव सिंह सोगरवाल ने कहा है कि मनरेगा में व्याप्त भ्रष्टाचार की जांच कराई जाएगी. जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी. दोषियों को किसी भी कीमत पर बख्सा नहीं जाएगा.
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