लखनऊ : हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने पशुपालन विभाग में वर्ष 2018 में टेंडर दिलाने के नाम पर इंदौर (Accused Bail Plea Rejected) के एक व्यापारी को करोड़ों का चूना लगाने के मामले के आरोपियों में से एक स्वाट टीम के तत्कालीन सदस्य दिलबहार यादव की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है. न्यायालय ने अपने आदेश में कहा कि अभियुक्त स्वाट/सर्विलांस टीम में हेड कांस्टेबिल के पद पर था, वह पहले भी गवाहों को धमका चुका है, लिहाजा उसे जमानत पर रिहा नहीं किया जा सकता.
यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने अभियुक्त दिलबहार यादव की जमानत याचिका को खारिज करते हुए पारित किया. अपर महाधिवक्ता वीके शाही व अपर शासकीय अधिवक्ता राव नरेंद्र सिंह ने न्यायालय को बताया कि विवेचना में यह तथ्य प्रकाश में आया है कि सभी अभियुक्तों ने व्यापारी से ऐंठें गए रुपये को आपस में बांटा है और यहां तक कि बैंक एकांउट में भी रुपये की लेनदेन हुई है. कहा गया कि सचिवालय को इस अपराध के लिए इस्तेमाल किया गया जो कि अपराध की गंभीरता को और बढ़ा देता है. इस मामले में पूर्व डीआईजी अरविंद सेन भी अभियुक्त हैं.
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हालांकि याची की ओर से कहा गया कि दूसरे अभियुक्तों को मामले में जमानत मिल चुकी है. इस पर न्यायालय ने अपने आदेश में कहा है कि आरोपों के मुताबिक, अभियुक्त अपने पद का दुरुपयोग करते हुए, मामले के शिकायतकर्ता व उसके तीन साथियों को नाका हिंडोला थाने में ले आया व धमकी दी कि अगर वे दोबारा दिखे तो उनका एनकाउंटर कर दिया जाएगा. न्यायालय ने कहा कि अभियुक्त के कृत्य को देखते हुए, उसे जमानत पर रिहा किया जाना उचित नहीं होगा. उल्लेखनीय है कि इंदौर के व्यापारी ने इस मामले की प्राथमिकी हजरतगंज थाने पर आईपीसी व भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराओं के तहत दर्ज कराई थी.'