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बड़ा सवालः कांग्रेस के जिला पंचायत सदस्य किसे चुनेंगे अध्यक्ष

उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव समाप्त होने पर अब कांग्रेस के सामने बड़ा सवाल है कि जिला पंचायत अध्यक्ष किसे चुनें क्योंकि अपना अध्यक्ष चुनने के लिए संख्या बल पर्याप्त नहीं है.

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Published : May 10, 2021, 4:19 PM IST

लखनऊः
लखनऊः

लखनऊः उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे थे लेकिन यहां भी कांग्रेस पार्टी कुछ खास नहीं कर पाई. हालांकि पार्टी के कुछ नेता पंचायत चुनाव के परिणामों को संतुष्टिजनक मान रहे हैं लेकिन सच्चाई ये है कि प्रदेश के किसी भी जिले में कांग्रेस पार्टी अपना जिला पंचायत अध्यक्ष चुनने की स्थिति में नहीं है. दरअसल, कांग्रेस के जो जिला पंचायत सदस्य जीते हैं, उनकी कुल संख्या मिलाकर भी किसी भी जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने भर की सीट हुई ही नहीं. ऐसे में कांग्रेस के निर्वाचित जिला पंचायत सदस्य, गैर कांग्रेसी को अध्यक्ष चुनने को मजबूर होंगे. पार्टी के सदस्यों की प्राथमिकता लिस्ट में समाजवादी पार्टी सबसे ऊपर मानी जा रही है.

जीती सीटों से ही असमंजस में नेता
कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में कितनी सीटें जीती हैं, इसको लेकर ही अभी तक कंफ्यूजन है. पार्टी के कुछ नेता 76 से 80 सीटें जीती हुई बता रहे हैं तो कुछ महज 56 पर ही समेट रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने 270 जिला पंचायत सदस्यों के जीतने का दावा ठोक दिया है. उनके इस दावे को लेकर कांग्रेसियों में ही बहस छिड़ी हुई है. अंदरखाने चर्चा है कि कांग्रेस ने इसकी आधी भी सीटें नहीं जीती हैं.

कई जनपदों में शून्य पर सिमटी
अगर कांग्रेस पार्टी के जिला पंचायत सदस्यों की संख्या 270 मान लें, फिर भी यह सदस्य संख्या के हिसाब से समर्थ नहीं हैं कि कांग्रेस पार्टी के जिला पंचायत अध्यक्ष का दावा ठोक सकें. दरअसल, कई जनपदों में कांग्रेस की सीटें काफी कम रह गई हैं और तमाम जगहों पर तो पार्टी शून्य पर ही सिमटी है. ऐसे में यह सदस्य किसी अन्य पार्टी के अध्यक्ष चुनने के ही काम आ सकते हैं. स्वयं अध्यक्ष का दावा ठोकना इनके लिए टेढ़ी खीर साबित होगा. ईटीवी भारत के इस सवाल पर कि आखिर सही मायने में कितने प्रत्याशी जीते हैं? इस पर कोई भी नेता सही जवाब दे ही नहीं पा रहा है. अब जो अध्यक्ष कह रहे हैं, सब वही मान कर चल रहे हैं.

इसे भी पढ़ेंः कोरोना से अब जागी सरकार, नहीं होंगे पंचायत अध्यक्ष के चुनाव

इस तरह गिना डालीं 270 सीटें
दरअसल, जिला पंचायत सदस्य की 270 सीटें कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने कुछ इस तरह गिनाई हैं, जहां पर कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी उतारा और अगर एक कोई और प्रत्याशी जो कांग्रेस से टिकट मांग रहा था, उसे टिकट नहीं दिया गया, लेकिन जीत टिकट न देने वाली प्रत्याशी की हुई. यानी कांग्रेस पार्टी से रूठा हुआ प्रत्याशी निर्दलीय के रूप में भी जीत गया है तो अब पार्टी उसे अपना ही प्रत्याशी गिन रही है. गौर करने वाली बात ये है कि यह प्रत्याशी ही नहीं मान रहे कि वे कांग्रेस के हैं. उन्होंने कांग्रेस से चुनाव नहीं लड़ा है तो वे कांग्रेस के साथ हैं कैसे? कांग्रेस उन्हें अपने में क्यों गिन रही है? ऐसे में कांग्रेस से रूठे हुए निर्दलीय प्रत्याशी अध्यक्ष चुनने के लिए किसी भी पार्टी को महत्व दे सकते हैं. इनमें भी भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी ही उनकी पहली पसंद बन रही है.

लखनऊः उत्तर प्रदेश में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव, 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव का सेमीफाइनल माने जा रहे थे लेकिन यहां भी कांग्रेस पार्टी कुछ खास नहीं कर पाई. हालांकि पार्टी के कुछ नेता पंचायत चुनाव के परिणामों को संतुष्टिजनक मान रहे हैं लेकिन सच्चाई ये है कि प्रदेश के किसी भी जिले में कांग्रेस पार्टी अपना जिला पंचायत अध्यक्ष चुनने की स्थिति में नहीं है. दरअसल, कांग्रेस के जो जिला पंचायत सदस्य जीते हैं, उनकी कुल संख्या मिलाकर भी किसी भी जिले में जिला पंचायत अध्यक्ष बनाने भर की सीट हुई ही नहीं. ऐसे में कांग्रेस के निर्वाचित जिला पंचायत सदस्य, गैर कांग्रेसी को अध्यक्ष चुनने को मजबूर होंगे. पार्टी के सदस्यों की प्राथमिकता लिस्ट में समाजवादी पार्टी सबसे ऊपर मानी जा रही है.

जीती सीटों से ही असमंजस में नेता
कांग्रेस पार्टी ने उत्तर प्रदेश के पंचायत चुनाव में कितनी सीटें जीती हैं, इसको लेकर ही अभी तक कंफ्यूजन है. पार्टी के कुछ नेता 76 से 80 सीटें जीती हुई बता रहे हैं तो कुछ महज 56 पर ही समेट रहे हैं. वहीं, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने 270 जिला पंचायत सदस्यों के जीतने का दावा ठोक दिया है. उनके इस दावे को लेकर कांग्रेसियों में ही बहस छिड़ी हुई है. अंदरखाने चर्चा है कि कांग्रेस ने इसकी आधी भी सीटें नहीं जीती हैं.

कई जनपदों में शून्य पर सिमटी
अगर कांग्रेस पार्टी के जिला पंचायत सदस्यों की संख्या 270 मान लें, फिर भी यह सदस्य संख्या के हिसाब से समर्थ नहीं हैं कि कांग्रेस पार्टी के जिला पंचायत अध्यक्ष का दावा ठोक सकें. दरअसल, कई जनपदों में कांग्रेस की सीटें काफी कम रह गई हैं और तमाम जगहों पर तो पार्टी शून्य पर ही सिमटी है. ऐसे में यह सदस्य किसी अन्य पार्टी के अध्यक्ष चुनने के ही काम आ सकते हैं. स्वयं अध्यक्ष का दावा ठोकना इनके लिए टेढ़ी खीर साबित होगा. ईटीवी भारत के इस सवाल पर कि आखिर सही मायने में कितने प्रत्याशी जीते हैं? इस पर कोई भी नेता सही जवाब दे ही नहीं पा रहा है. अब जो अध्यक्ष कह रहे हैं, सब वही मान कर चल रहे हैं.

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इस तरह गिना डालीं 270 सीटें
दरअसल, जिला पंचायत सदस्य की 270 सीटें कांग्रेस पार्टी के नेताओं ने कुछ इस तरह गिनाई हैं, जहां पर कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी उतारा और अगर एक कोई और प्रत्याशी जो कांग्रेस से टिकट मांग रहा था, उसे टिकट नहीं दिया गया, लेकिन जीत टिकट न देने वाली प्रत्याशी की हुई. यानी कांग्रेस पार्टी से रूठा हुआ प्रत्याशी निर्दलीय के रूप में भी जीत गया है तो अब पार्टी उसे अपना ही प्रत्याशी गिन रही है. गौर करने वाली बात ये है कि यह प्रत्याशी ही नहीं मान रहे कि वे कांग्रेस के हैं. उन्होंने कांग्रेस से चुनाव नहीं लड़ा है तो वे कांग्रेस के साथ हैं कैसे? कांग्रेस उन्हें अपने में क्यों गिन रही है? ऐसे में कांग्रेस से रूठे हुए निर्दलीय प्रत्याशी अध्यक्ष चुनने के लिए किसी भी पार्टी को महत्व दे सकते हैं. इनमें भी भारतीय जनता पार्टी और समाजवादी पार्टी ही उनकी पहली पसंद बन रही है.

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