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गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करना है जकात का मकसदः मुफ्ती अबुल इरफान

इदारा-ए-शर‌इया फिरंगीमहल के अध्यक्ष मुफ्ती इरफान मियां ने मुस्लिमों के मार्गदर्शन के लिए एक बयान जारी किया है. इसमें जकात का महत्व बताया है.

लखनऊः
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Published : May 4, 2021, 5:51 PM IST

लखनऊः इदारा-ए-शर‌इया फिरंगीमहल के अध्यक्ष मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली और काजी-ए-शहर लखनऊ ने अपने बयान में कहा की इस्लाम मजहब के पांच आधार में एक जकात है. मुफ्ती इरफान मियां ने कहा रमजान जकात देने के लिए बेहतर महीना है. रमजान में जकात देने का ज्यादा सवाब है. रमजान तमाम महीनों का सरदार है. इस महीने में जो भी इबादत की जाती है, उसका सवाब 70 % ज्यादा बढ़ जाता है. इस महीने पढ़ी जाने वाली नमाजों का भी सवाब 70% ज्यादा हो जाता है. इसी तरह इस महीने अदा की जाने वाली जकात का भी सवाब बढ़ जाता है. जो शख्स अमीर (साहब ए निसाब) होकर जकात से जी चुराता है, वो अल्लाह की नाराजगी हासिल करता है, इसलिए हर हैसियतमंद इंसान को जकात देनी चाहिए.

इस्लाम में जकात अदा करना बेहद नेक अमल
मुफ्ती इरफान मियां ने कहा कि जकात की अहमियत इस बात से पता चलती है कि कुरआन में अल्लाह पाक ने जकात का बयान 32 जगहों पर किया है. इस्लाम के पांच बुनियादी चीजों में जकात तीसरे स्थान पर है. आज मुसलमानों में जो गरीबी है, वो इस तरफ इशारा कर रही है कि जकात की अदायगी ठीक तरह से नहीं हो रही है. सभी लोग जकात अदा करें तो इसे एकत्र कर मुसलमानों की गरीबी को दूर किया जा सकता है.

गरीब और लाचार की जरूरत पूरी करना जकात का मकसद
मुफ्ती इरफान मियां फिरंगीमहली ने कहा जकात की तकसीम के कानून खुद अल्लाह ने तय कर दिए हैं इसलिए ये जरूरी है कि हम जकात देने से पहले ये परख लें कि जिसे हम जकात दे रहे हैं वो कुरआन और हदीस की रोशनी में इसके पात्र हैं या नहीं. दरअसल जकात का मकसद ही है कि गरीब और लाचार लोगों की जरूरत को पूरा किया जाए.

जकात कौन दे सकता है
मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली ने बताया कि ज़कात हर उस मुसलमान पर फर्ज है-
1- जो बॉलीग हो.
2- जो कमाने के लायक हो.
3-जिस मुस्लिम मर्द या औरत के पास 52.50 तोले चांदी या 7.50 तोला सोना, या सोना चांदी मिलाकर कोई एक हो जाए या इतनी कीमत की धनराशि या संपत्ति हो या कारोबार हो.

जकात कितनी देनी चाहिए
शहर काजी मुफ्ती अबुल इरफान ने बताया कि जकात कुल संपत्ति का 2.5% देना चाहिए और जकात निम्न लोगों को दी जा सकती है.
1- गरीब रिश्तेदार.
2- गरीब पड़ोसी किसी भी धर्म का.
3- गरीब दोस्त.
4- गरीब और मजबूर, बेसहारा, मुसाफिर.
5- मिस्कीन और फ़कीर.
6- यतीम.
7- मदरसों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को.

इसे भी पढ़ेंः अलविदा नमाज को लेकर एडवाइजरी जारी, इन बातों का रखें ध्यान

जकात किसको नहीं दे सकते हैं
1 -पिता
2 -माता
3 -पत्नी
4 -बच्चे
5 -दादा,दादी
6 -नाना,नानी
7- सैयद जादे , हाशमी.

लखनऊः इदारा-ए-शर‌इया फिरंगीमहल के अध्यक्ष मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली और काजी-ए-शहर लखनऊ ने अपने बयान में कहा की इस्लाम मजहब के पांच आधार में एक जकात है. मुफ्ती इरफान मियां ने कहा रमजान जकात देने के लिए बेहतर महीना है. रमजान में जकात देने का ज्यादा सवाब है. रमजान तमाम महीनों का सरदार है. इस महीने में जो भी इबादत की जाती है, उसका सवाब 70 % ज्यादा बढ़ जाता है. इस महीने पढ़ी जाने वाली नमाजों का भी सवाब 70% ज्यादा हो जाता है. इसी तरह इस महीने अदा की जाने वाली जकात का भी सवाब बढ़ जाता है. जो शख्स अमीर (साहब ए निसाब) होकर जकात से जी चुराता है, वो अल्लाह की नाराजगी हासिल करता है, इसलिए हर हैसियतमंद इंसान को जकात देनी चाहिए.

इस्लाम में जकात अदा करना बेहद नेक अमल
मुफ्ती इरफान मियां ने कहा कि जकात की अहमियत इस बात से पता चलती है कि कुरआन में अल्लाह पाक ने जकात का बयान 32 जगहों पर किया है. इस्लाम के पांच बुनियादी चीजों में जकात तीसरे स्थान पर है. आज मुसलमानों में जो गरीबी है, वो इस तरफ इशारा कर रही है कि जकात की अदायगी ठीक तरह से नहीं हो रही है. सभी लोग जकात अदा करें तो इसे एकत्र कर मुसलमानों की गरीबी को दूर किया जा सकता है.

गरीब और लाचार की जरूरत पूरी करना जकात का मकसद
मुफ्ती इरफान मियां फिरंगीमहली ने कहा जकात की तकसीम के कानून खुद अल्लाह ने तय कर दिए हैं इसलिए ये जरूरी है कि हम जकात देने से पहले ये परख लें कि जिसे हम जकात दे रहे हैं वो कुरआन और हदीस की रोशनी में इसके पात्र हैं या नहीं. दरअसल जकात का मकसद ही है कि गरीब और लाचार लोगों की जरूरत को पूरा किया जाए.

जकात कौन दे सकता है
मुफ्ती अबुल इरफान मियां फिरंगी महली ने बताया कि ज़कात हर उस मुसलमान पर फर्ज है-
1- जो बॉलीग हो.
2- जो कमाने के लायक हो.
3-जिस मुस्लिम मर्द या औरत के पास 52.50 तोले चांदी या 7.50 तोला सोना, या सोना चांदी मिलाकर कोई एक हो जाए या इतनी कीमत की धनराशि या संपत्ति हो या कारोबार हो.

जकात कितनी देनी चाहिए
शहर काजी मुफ्ती अबुल इरफान ने बताया कि जकात कुल संपत्ति का 2.5% देना चाहिए और जकात निम्न लोगों को दी जा सकती है.
1- गरीब रिश्तेदार.
2- गरीब पड़ोसी किसी भी धर्म का.
3- गरीब दोस्त.
4- गरीब और मजबूर, बेसहारा, मुसाफिर.
5- मिस्कीन और फ़कीर.
6- यतीम.
7- मदरसों में पढ़ने वाले गरीब बच्चों को.

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जकात किसको नहीं दे सकते हैं
1 -पिता
2 -माता
3 -पत्नी
4 -बच्चे
5 -दादा,दादी
6 -नाना,नानी
7- सैयद जादे , हाशमी.

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