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लखनऊ: सुन्नी वक्फ बोर्ड के बनाए ट्रस्ट पर जिलानी ने खड़े किए सवाल - लखनऊ समाचार

अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिये इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नाम से ट्रस्ट का गठन किया जा चुका है. वहीं 14 सदस्यों वाले इस ट्रस्ट को लेकर सीनियर एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने सवाल उठाए हैं. उनका कहना है कि वक्फ बोर्ड वक्फ कानून के मुताबिक किसी नये ट्रस्ट का गठन नहीं कर सकता.

ट्रस्ट पर जिलानी ने खड़े किए सवाल
ट्रस्ट पर जिलानी ने खड़े किए सवाल
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Published : Jul 8, 2020, 4:54 AM IST

लखनऊ: अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिये यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने ट्रस्ट का गठन कर लिया है . 14 सदस्यों वाले इस ट्रस्ट को इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नाम दिया गया है. वहीं अब इस पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं, बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक और सीनियर एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा बनाये गए ट्रस्ट पर सवालिया निशान खड़े किये हैं. जफरयाब जिलानी का कहना है कि वक्फ एक्ट के तहत वक्फ बोर्ड कोई मैनेजिंग कमेटी या मुतावल्ली तो बना सकता है, लेकिन वक्फ बोर्ड वक्फ कानून के मुताबिक किसी नये ट्रस्ट का गठन नहीं कर सकता.

सरकार दे चुकी है पांच एकड़ जमीन

काफी लंबे समय तक अयोध्या विवाद सुर्खियों का सबब बना रहा है. इस मामले में कोर्ट का फैसला आने के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ भूमि सरकार की ओर से देने का आदेश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सरकार की ओर से वक्फ बोर्ड को जमीन अयोध्या की तहसील सोहावल के धन्नीपुर गांव में दी जा चुकी है.

मस्जिद निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन

अब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उस भूमि पर मस्जिद निर्माण के लिए 14 सदस्यीय इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नामक ट्रस्ट का गोपनीय तरीके से गठन भी कर लिया है. हालांकि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अभी इस ट्रस्ट के सदस्यों के नामों का ऐलान नहीं किया है. वहीं सीनियर एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने इस ट्रस्ट के गठन के ऊपर सवाल खड़े किये हैं.

जफरयाब जिलानी ने ट्रस्ट पर उठाए सवाल

जफरयाब जिलानी का कहना है की अयोध्या मामले के फैसले में कोर्ट के मुताबिक यह साफ लिखा हुआ है कि 5 एकड़ भूमि गवर्नमेंट सुन्नी वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर करेगी. लिहाजा सुन्नी वक्फ बोर्ड को सरकार की ओर से मिली जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड में दर्ज किया जाना चाहिये. इसके लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड कोई एक कमेटी बना सकता है और मुतावल्ली नियुक्त कर सकता है, लेकिन वक्फ एक्ट के तहत किसी नए ट्रस्ट का गठन नहीं कर सकता है. जफरयाब जिलानी ने अपने बयान में कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शरीयत और कानून के ऐतबार से इस मामले में पहले ही अपनी बैठक के दौरान लखनऊ में प्रस्ताव पास कर चुका है. प्रस्ताव के मुताबिक मस्जिद के बदले में कोई दूसरी भूमि नहीं ली जा सकती है. इसको लेकर रिव्यू पिटीशन भी दाखिल की गयी थी. जिलानी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड कानून के जरिए बनाई हुई एक बॉडी है न कि मुसलमानों की नुमाईंदगी करने वाली जमात है.

अगले हफ्ते होगी ट्रस्ट पहली बैठक
गौरतलब है कि अयोध्या विवाद का फैसला आने के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड और मुस्लिम पक्षकार रहे इकबाल अंसारी के अलावा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई बड़ी मुस्लिम संस्थाएं मस्जिद की जमीन के बदले कोई दूसरी भूमि लेने पर असहमति जता चुकी हैं. जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रिव्यू पिटिशन के माध्यम से चैलेंज भी किया गया था. रिव्यू पिटिशन को कोर्ट ने खारिज कर दिया था. अब ऐसे में अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए मिली 5 एकड़ भूमि पर सुन्नी वक्फ बोर्ड तैयारियों में जुट गया है. जिसको लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 14 सदस्यों वाले एक इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नाम से ट्रस्ट का गठन कर लिया है. माना जा रहा है कि इस ट्रस्ट के माध्यम से अयोध्या में मस्जिद निर्माण को लेकर कई फैसले लिए जाएंगे, जिसकी पहली बैठक अगले हफ्ते होनी है.

लखनऊ: अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिये यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने ट्रस्ट का गठन कर लिया है . 14 सदस्यों वाले इस ट्रस्ट को इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नाम दिया गया है. वहीं अब इस पर भी सवाल उठने शुरू हो गए हैं, बाबरी एक्शन कमेटी के संयोजक और सीनियर एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने सुन्नी वक्फ बोर्ड द्वारा बनाये गए ट्रस्ट पर सवालिया निशान खड़े किये हैं. जफरयाब जिलानी का कहना है कि वक्फ एक्ट के तहत वक्फ बोर्ड कोई मैनेजिंग कमेटी या मुतावल्ली तो बना सकता है, लेकिन वक्फ बोर्ड वक्फ कानून के मुताबिक किसी नये ट्रस्ट का गठन नहीं कर सकता.

सरकार दे चुकी है पांच एकड़ जमीन

काफी लंबे समय तक अयोध्या विवाद सुर्खियों का सबब बना रहा है. इस मामले में कोर्ट का फैसला आने के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड को अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए 5 एकड़ भूमि सरकार की ओर से देने का आदेश दिया गया था. सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार सरकार की ओर से वक्फ बोर्ड को जमीन अयोध्या की तहसील सोहावल के धन्नीपुर गांव में दी जा चुकी है.

मस्जिद निर्माण के लिए ट्रस्ट का गठन

अब सुन्नी वक्फ बोर्ड ने उस भूमि पर मस्जिद निर्माण के लिए 14 सदस्यीय इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नामक ट्रस्ट का गोपनीय तरीके से गठन भी कर लिया है. हालांकि सुन्नी वक्फ बोर्ड ने अभी इस ट्रस्ट के सदस्यों के नामों का ऐलान नहीं किया है. वहीं सीनियर एडवोकेट जफरयाब जिलानी ने इस ट्रस्ट के गठन के ऊपर सवाल खड़े किये हैं.

जफरयाब जिलानी ने ट्रस्ट पर उठाए सवाल

जफरयाब जिलानी का कहना है की अयोध्या मामले के फैसले में कोर्ट के मुताबिक यह साफ लिखा हुआ है कि 5 एकड़ भूमि गवर्नमेंट सुन्नी वक्फ बोर्ड को ट्रांसफर करेगी. लिहाजा सुन्नी वक्फ बोर्ड को सरकार की ओर से मिली जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड में दर्ज किया जाना चाहिये. इसके लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड कोई एक कमेटी बना सकता है और मुतावल्ली नियुक्त कर सकता है, लेकिन वक्फ एक्ट के तहत किसी नए ट्रस्ट का गठन नहीं कर सकता है. जफरयाब जिलानी ने अपने बयान में कहा कि ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड शरीयत और कानून के ऐतबार से इस मामले में पहले ही अपनी बैठक के दौरान लखनऊ में प्रस्ताव पास कर चुका है. प्रस्ताव के मुताबिक मस्जिद के बदले में कोई दूसरी भूमि नहीं ली जा सकती है. इसको लेकर रिव्यू पिटीशन भी दाखिल की गयी थी. जिलानी ने कहा कि सुन्नी वक्फ बोर्ड कानून के जरिए बनाई हुई एक बॉडी है न कि मुसलमानों की नुमाईंदगी करने वाली जमात है.

अगले हफ्ते होगी ट्रस्ट पहली बैठक
गौरतलब है कि अयोध्या विवाद का फैसला आने के बाद सुन्नी वक्फ बोर्ड और मुस्लिम पक्षकार रहे इकबाल अंसारी के अलावा ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड समेत कई बड़ी मुस्लिम संस्थाएं मस्जिद की जमीन के बदले कोई दूसरी भूमि लेने पर असहमति जता चुकी हैं. जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को रिव्यू पिटिशन के माध्यम से चैलेंज भी किया गया था. रिव्यू पिटिशन को कोर्ट ने खारिज कर दिया था. अब ऐसे में अयोध्या में मस्जिद निर्माण के लिए मिली 5 एकड़ भूमि पर सुन्नी वक्फ बोर्ड तैयारियों में जुट गया है. जिसको लेकर सुन्नी वक्फ बोर्ड ने 14 सदस्यों वाले एक इंडो इस्लामिक कल्चरल फाउंडेशन नाम से ट्रस्ट का गठन कर लिया है. माना जा रहा है कि इस ट्रस्ट के माध्यम से अयोध्या में मस्जिद निर्माण को लेकर कई फैसले लिए जाएंगे, जिसकी पहली बैठक अगले हफ्ते होनी है.

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