लखनऊ: नाबालिग लड़की को प्रेम जाल में फंसा कर ले जाना एक युवक को बहुत महंगा पड़ गया. कोर्ट ने लड़की को उसकी मर्जी से ले जाने की अभियुक्त की दलीलों को दरकिनार कर दिया व उसे पॉक्सो एक्ट के तहत दोषी करार दिया है. यह आदेश पॉक्सो एक्ट के विशेष जज अरविन्द मिश्र ने एक नाबालिग लड़की को भगाने के मामले में अभियुक्त मणि शंकर को दोषी करार देते हुए पारित किया है.
कोर्ट ने अभियुक्त को पांच साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है. इसके साथ ही उस पर तीन हजार रुपये का जुर्माना भी लगाया है. सरकारी वकील नवीन त्रिपाठी व अभिषेक उपाध्याय ने अभियोजन पक्ष की ओर से बहस की. उन्होंने बताया कि मामले की एफआईआर 31 मार्च 2015 को पीड़िता के पिता ने थाना काकोरी में दर्ज कराई थी.
एफआईआर में अभियुक्त पर उनकी 16 साल की लड़की को बहला फुसलाकर भगाने का आरोप लगाया गया था. विवेचना के दौरान पुलिस ने अभियुक्त के कब्जे से पीड़िता को बरामद किया था. बचाव पक्ष का कहना था कि पीड़िता अपनी मर्जी से अभियुक्त के साथ गई थी, हालांकि कोर्ट ने पीड़िता की उम्र को देखते हुए बचाव पक्ष की इस दलील को अस्वीकार कर दिया.