लखनऊ: सीएम योगी बड़ा कदम उठाने जा रहे हैं. उत्तर प्रदेश में खाकी के साथ गद्दारी करने वाले पुलिस के अधिकारियों और जवानों की तलाश शुरू कर दी गई है. कानपुर कांड की तरह प्रदेश में अबतक घटी वारदातों की समीक्षा करने के निर्देश दिए हैं. मुख्यमंत्री योगी चाहते हैं कि ऐसी घटनाओं की समीक्षा की जाए. उनमें पुलिस के मिलीभगत के पहलू का विशेष रूप से आकलन किया जाए. अगर पुलिस के जो भी लोग संदिग्ध हों, उनकी जवाबदेही तय की जाए. जरूरत पड़ने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए. सेवा में होने वालों पर सीधी कार्रवाई हो सकती है. रिटायरकर्मियों पर पेंशन कटौती से लेकर अन्य करवाई की जा सकती है.
प्रदेश में जितनी भी इस तरह की दुर्दांत घटनाएं हुई हैं, उसमें पुलिसकर्मियों की संदिग्ध भूमिका की पड़ताल की जाएगी. सरकार के इस कदम को ज्वलंत कानपुर कांड से जोड़कर देखा जा रहा है. कानपुर कांड में पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई है. सरकार ने उनके खिलाफ कार्रवाई भी की है. शासन के सूत्रों के मुताबिक कानपुर कांड के मुख्य अभियुक्त विकास दूबे ने 2001 में तत्कालीन राज्य मंत्री संतोष शुक्ला की हत्या की थी. हत्या पुलिस थाने में घुसकर की थी. बताया जा रहा है कि अपराधी विकास के पहुंचते ही सभी पुलिसकर्मी थाना छोड़कर भाग गए थे. पुलिसकर्मियों ने मजबूत गवाही भी नहीं दी. अब उस घटना की फिर से पड़ताल होगी. पुलिसकर्मियों की भूमिका की भी जांच की जाएगी. इसके अलावा 2001 से अबतक उसके आस-पास थाने में तैनात पुलिसकर्मियों की भूमिका की भी आंशिक रूप से पड़ताल की जाएगी. विकास दुबे को सहयोग करने वाले पुलिसकर्मियों की जांच की जाएगी.
इसके अलावा प्रतापगढ़ में डिप्टी एसपी जियाउल हक की भी हत्या हो गई थी. ऐसे ही मथुरा के जवाहर बाग कांड में भी अपर पुलिस अधीक्षक और दारोगा की हत्या हुई थी. इसी प्रकार से प्रदेश में कई बार ऐसी घटनाएं हुई हैं, जिनमें पुलिस के जवान शहीद हुए हैं. सरकार ऐसी सभी घटनाओं की पड़ताल कराएगी, ताकि ऐसे खाकी के गद्दारों को सजा दिलाई जा सके. सरकार ऐसे सभी खाकी वालों की पड़ताल कराकर उनके खिलाफ कार्रवाई करेगी.