लखनऊ. उत्तर प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष अजय कुमार लल्लू ने बयान जारी कर योगी सरकार को दलित पिछड़ा विरोधी बताया. साथ ही दलित के घर खिचड़ी खाने को महज वोट की राजनीति का स्टंट करार दिया.
उन्होंने आरोप लगाया कि पांच साल तक योगी सरकार पूरे प्रदेश में दलितों को प्रताड़ित करती रही. उनके साथ भेदभाव, हिंसा तक की घटनाएं हुई लेकिन कार्रवाई की बजाय यह सरकार दलितों, पिछड़ों को सिर्फ जुमले सुनाती रही. 69,000 शिक्षक भर्ती घोटाले में योगी सरकार ने दलितों और पिछड़ों को मिले संवैधानिक अधिकारों को छीन लिया है.
कहा कि यूपी में जितने भी रेप के मामले आए हैं, उन्हें फास्ट ट्रैक कोर्ट में 15 से एक महीने के भीतर निपटाया जाएगा. ये वादा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दो साल पहले किया था. लेकिन बहुचर्चित हाथरस कांड की बलात्कार पीड़ित युवती की मौत को 29 सितंबर को एक साल पूरा हो रहा है. पर अभी तक उसका परिवार न्याय के लिए लड़ाई लड़ रहा है.
लल्लू ने कहा कि परिवार ने अपनी बेटी की अस्थियां अभी तक संभाल कर रखी हुई हैं. परिवार कह रहा है कि जब तक न्याय नहीं मिलेगा, अस्थियों का विसर्जन नहीं करेंगे. न्याय मिलने में देरी भले हो रही हो लेकिन याद कीजिए यूपी सरकार की पुलिस ने लड़की का अंतिम संस्कार करने में कोई देर नहीं लगाई थी, परिवार को शव सौंपने के बजाय आधी रात में ही आनन-फानन में जला डाला था.
अजय कुमार लल्लू ने कहा कि कंधरापुर थाना क्षेत्र के किशुनदासपुर गांव की प्रधान के देवर की चनावी रंजिश में की गई पिटाई और उपचार के दौरान उसकी मौत हो गई. हाल ही में आगरा में सफाई कर्मचारी अरुण वाल्मीकि की पुलिस हिरासत में मौत हुई, तब कहां थी योगी सरकार? इस मामले में कांग्रेस पार्टी पीड़ित परिवार के साथ खड़ी रही.
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अमेठी के फुलवारी गांव में रहने वाले सांसद स्मृति ईरानी के चुनाव मैनेजर सूरज के घरवालों ने दलित लड़की को थर्ड डिग्री का टॉर्चर दिया गया. इसे पूरे देश ने देखा. पिटाई के दौरान लड़की बुरी तरह दर्द से चिल्लाती रही और छोड़ देने के लिए निवेदन करती रही लेकिन लड़के उसे पीटते रहे.
तब कहां थी भारतीय जनता पार्टी और योगी सरकार? तब तो बस पीड़ित को और परेशान किया जाता रहा, जब कांग्रेस पार्टी ने आवाज उठाई तब जाकर सरकार जागी. आरोप लगाया कि इन मामलों में कांग्रेस प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा के निर्देश पर उन्होंने खुद जाकर प्रदर्शन किया. तब जाकर आरोपियों की गिरफ्तारी हुई.
लल्लू ने कहा कि पिछड़े, दलित, गरीब समाज ने भाजपा को पूरी तरह से नकार दिया है. इसलिए मंत्री और विधायक भाजपा छोड़कर जा रहे हैं. भाजपा सरकार ने 2019 वादा किया था कि जनगणना के साथ जातीय जनगणना भी कराई जाएगी. संसद में खुलेआम जाति जनगणना कराने से मोदी सरकार ने कर दिया.
मोदी सरकार का यह इनकार साबित करता है कि वह पिछड़ा, दलित समाज को धोखा दिया है. इसका खामियाजा उसे यूपी विधानसभा चुनाव में जरूर भुगतना पड़ेगा. अनुसूचित जातियों और अति पिछड़ों को मिले आरक्षण में सामाजिक न्याय की समीक्षा के लिए मोदी सरकार ने दो अक्टूबर 2017 को जस्टिस रोहिणी आयोग का गठन किया.
उसका कार्यकाल लगातार बढ़ाया जा रहा है ताकि अति पिछड़ों व आदिवासियों को उनके अधिकारों से वंचित रखा जाए. ठीक उसी तर्ज पर अति पिछड़ों को न्याय दिलाने का जो वादा करके भाजपा 2017 में बहुमत हासिल किया था, उस वायदे से भी योगी सरकार मुकर गई.