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योगी सरकार ने नई दुग्ध प्रोत्साहन नीति-2022 पर लगाई मुहर, मिल्क प्रोसेसिंग यूनिट लगाने पर 15 करोड़ की छूट - योगी आदित्यनाथ सरकार

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने नई दुग्ध प्रोत्साहन नीति-2022 पर गुरूवार को मुहर लगा दी. सरकार ने प्रदेश में अगले पांच वर्षों में 5 हजार करोड़ के पूंजी निवेश का लक्ष्य रखा है.

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Published : Oct 13, 2022, 9:47 PM IST

Updated : Oct 13, 2022, 9:59 PM IST

लखनऊः योगी सरकार दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने, दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए बड़ी सौगात लेकर आयी है. गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति-2022 को हरी झंडी दे दी है. इससे प्रदेश में मिल्क प्रोसिसंग यूनिट लगाने पर विभिन्न मदों में 5 करोड़ तक की सब्सिडी और पांच वर्षों के लिए 10 करोड़ रुपए ब्याज पर अनुदान दिया जाएगा. ताकि दूध और उससे आधारित उत्पादों की उपलब्धता को बढ़ाया जा सकेगा. वहीं इस नीति का मुख्य उद्देश्य प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने का है. इसके तहत अगले पांच वर्षों में 5 हजार करोड़ के पूंजी निवेश का लक्ष्य प्राप्त किया जाएगा.

जानकारी के अनुसार, कैबिनेट में लिए गए निर्णय के अनुसार नई नीति में प्रदेश में मिल्क प्रोसिसंग की मात्रा और क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया गया है. प्रदेश में अभी फिलहाल कुल मार्केटेबल सरप्लस मिल्क प्रोसिसंग लगभग 10 प्रतिशत ही हो पाता है. ऐसे में नीति नई से दुग्ध उत्पादक किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए इसकी क्षमता बढ़ाकर 25 प्रतिशत तक की जाएगी. जिससे वर्तमान मिल्क प्रोसिसंग क्षमता को 44 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत तक किया जाएगा. इससे जहां प्रदेश में बड़े पैमाने पर निवेश बढ़ेगा, वहीं रोजगार सृजन भी होगा. साथ ही दुग्ध मिल्क प्रोसिसंग यूनिट लगाने के लिए एवं उसे विस्तारिकरण के लिए प्लांट, मशीनरी, तकनीकी सिविल कार्य एवं स्पेयर पार्ट्स की लागत का 10 प्रतिशत या अधिकतम 5 करोड़ की सब्सिडी दी जाएगी. इसके साथ ही पांच वर्षों के कर्ज के ब्याज पर 10 करोड़ रुपए का अनुदान दिया जाएगा.

योगी आदित्यनाथ सरकार की नई दुग्ध नीति सूबे की वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य का आधार बनेगी. यह नीति ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के साथ पोषण सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. वहीं, तैयार की गई यह नीति जनवरी में होने जा रहे ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करेगी. नीति के माध्यम से 5000 करोड़ रुपये का निवेश की उम्मीद है. इसके तहत ग्रीन फील्ड डेयरी की स्थापना व क्षमता विकास एवं प्रौद्योगिकी उच्चीकरण के लिए भी निवेश आकर्षित किया जाएगा. कैटल फील्ड प्लांट की स्थापना, रेफ्रिजरेटेड वैन, इंसुलेटेड मिल्क टैंक व अन्य कोल्ड चेन इंवेस्टमेंट्स और लघु उद्यम आधारित मिल्क प्रोसिसंग के लिए निवेश पाने का लक्ष्य तय किया गया है.

वहीं दूसरी ओर दूध के वाजिब दाम मिलने पर लोग बेहतर प्रजाति के गोवंश रखेंगे. ये लंबे समय तक पूरी क्षमता से दूध दें, इसके लिए संतुलित एवं पोषक पशुआहार देंगे. इस तरह पशु आहार में प्रयुक्त चोकर, चुन्नी, खंडा, खली की मांग बढ़ेगी. पशुओं के ये आहार मुख्य रूप से अलग-अलग फसलों के ही प्रोडक्ट होते हैं. संतुलित एवं पोषक आहार की मांग बढ़ने से इस तरह की इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही इनको बनाने के लिए कृषि उत्पादों की मांग का लाभ किसानों को मिलेगा. नई नीति में पशुआहार निर्माणशाला पर पहली बार योगी सरकार साढ़े सात करोड़ रुपए तक की छूट देगी.

ये भी पढ़ेंः यूपी में इलेक्ट्रिक व्हीकल होंगे सस्ते, योगी कैबिनेट में मिली मंजूरी

लखनऊः योगी सरकार दुग्ध उत्पादन को बढ़ाने, दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए बड़ी सौगात लेकर आयी है. गुरुवार को हुई कैबिनेट की बैठक में उत्तर प्रदेश दुग्धशाला विकास एवं दुग्ध उत्पाद प्रोत्साहन नीति-2022 को हरी झंडी दे दी है. इससे प्रदेश में मिल्क प्रोसिसंग यूनिट लगाने पर विभिन्न मदों में 5 करोड़ तक की सब्सिडी और पांच वर्षों के लिए 10 करोड़ रुपए ब्याज पर अनुदान दिया जाएगा. ताकि दूध और उससे आधारित उत्पादों की उपलब्धता को बढ़ाया जा सकेगा. वहीं इस नीति का मुख्य उद्देश्य प्रदेश को वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी बनाने का है. इसके तहत अगले पांच वर्षों में 5 हजार करोड़ के पूंजी निवेश का लक्ष्य प्राप्त किया जाएगा.

जानकारी के अनुसार, कैबिनेट में लिए गए निर्णय के अनुसार नई नीति में प्रदेश में मिल्क प्रोसिसंग की मात्रा और क्षमता बढ़ाने पर जोर दिया गया है. प्रदेश में अभी फिलहाल कुल मार्केटेबल सरप्लस मिल्क प्रोसिसंग लगभग 10 प्रतिशत ही हो पाता है. ऐसे में नीति नई से दुग्ध उत्पादक किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए इसकी क्षमता बढ़ाकर 25 प्रतिशत तक की जाएगी. जिससे वर्तमान मिल्क प्रोसिसंग क्षमता को 44 प्रतिशत से बढ़ाकर 65 प्रतिशत तक किया जाएगा. इससे जहां प्रदेश में बड़े पैमाने पर निवेश बढ़ेगा, वहीं रोजगार सृजन भी होगा. साथ ही दुग्ध मिल्क प्रोसिसंग यूनिट लगाने के लिए एवं उसे विस्तारिकरण के लिए प्लांट, मशीनरी, तकनीकी सिविल कार्य एवं स्पेयर पार्ट्स की लागत का 10 प्रतिशत या अधिकतम 5 करोड़ की सब्सिडी दी जाएगी. इसके साथ ही पांच वर्षों के कर्ज के ब्याज पर 10 करोड़ रुपए का अनुदान दिया जाएगा.

योगी आदित्यनाथ सरकार की नई दुग्ध नीति सूबे की वन ट्रिलियन डॉलर इकोनॉमी के लक्ष्य का आधार बनेगी. यह नीति ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बेहतर करने के साथ पोषण सुरक्षा में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी. वहीं, तैयार की गई यह नीति जनवरी में होने जा रहे ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में विदेशी निवेशकों को आकर्षित करेगी. नीति के माध्यम से 5000 करोड़ रुपये का निवेश की उम्मीद है. इसके तहत ग्रीन फील्ड डेयरी की स्थापना व क्षमता विकास एवं प्रौद्योगिकी उच्चीकरण के लिए भी निवेश आकर्षित किया जाएगा. कैटल फील्ड प्लांट की स्थापना, रेफ्रिजरेटेड वैन, इंसुलेटेड मिल्क टैंक व अन्य कोल्ड चेन इंवेस्टमेंट्स और लघु उद्यम आधारित मिल्क प्रोसिसंग के लिए निवेश पाने का लक्ष्य तय किया गया है.

वहीं दूसरी ओर दूध के वाजिब दाम मिलने पर लोग बेहतर प्रजाति के गोवंश रखेंगे. ये लंबे समय तक पूरी क्षमता से दूध दें, इसके लिए संतुलित एवं पोषक पशुआहार देंगे. इस तरह पशु आहार में प्रयुक्त चोकर, चुन्नी, खंडा, खली की मांग बढ़ेगी. पशुओं के ये आहार मुख्य रूप से अलग-अलग फसलों के ही प्रोडक्ट होते हैं. संतुलित एवं पोषक आहार की मांग बढ़ने से इस तरह की इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा. साथ ही इनको बनाने के लिए कृषि उत्पादों की मांग का लाभ किसानों को मिलेगा. नई नीति में पशुआहार निर्माणशाला पर पहली बार योगी सरकार साढ़े सात करोड़ रुपए तक की छूट देगी.

ये भी पढ़ेंः यूपी में इलेक्ट्रिक व्हीकल होंगे सस्ते, योगी कैबिनेट में मिली मंजूरी

Last Updated : Oct 13, 2022, 9:59 PM IST
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