लखनऊः एक तरफ प्रदेश के किसान जहां आवारा जानवरों से परेशान हैं, वहीं दूसरी तरफ सरकार का कहना है कि, प्रदेश में आवारा जानवरों की कोई समस्या नहीं है. यह बयान विधानसभा बजट सत्र के दौरान एक सवाल के जावाब में योगी सरकार की तरफ से दिया गया है. जबकि सोमवार को सदन में सरकार की तरफ से कहा गया था कि, पड़ोस के राज्यों से जानवरों के छोड़े जाने की वजह से प्रदेश में आवारा जानवरों की समस्या है.
'आवारा जानवरों के लिए सरकार की कोई योजना नहीं'
मंगलवार की कार्यवाही सुबह 11 बजे शुरू हुई. पूर्व मंत्री और सपा के वरिष्ठ सदस्य मनोज पांडेय ने आवारा जानवरों से किसानों को हो रही समस्या से जुड़ा सवाल उठाया. उन्होंने कहा कि, आवारा जानवरों से प्रदेश के किसानों की फसल का जो नुकसान हो रहा है, उसे दृष्टिगत रखते हुए क्या सरकार फसलों को हुए नुकसान का 30 जनवरी 2020 तक सर्वे कराकर किसानों को मुआवजा दिलाए जाने पर विचार करेगी. इस पर सरकार की तरफ से कहा गया कि प्रदेश में ऐसी कोई समस्या ही नहीं है.
दो मंत्रियों का अलग-अलग जवाब
इस पर नेता विरोधी दल रामगोविंद चौधरी ने पीठ को संबोधित करते हुए कहा कि, अध्यक्ष जी कल सरकार की तरफ से जवाब आया था कि, पड़ोस के राज्यों से जानवर छोड़ दिए गए हैं. सदन में आया कल का जवाब यह साबित करता है कि, प्रदेश में छुट्टा जानवरों की समस्या विद्यमान है, लेकिन आज जो जवाब आया है उसमें साफ कहा जा रहा है कि, प्रदेश में आवारा जानवरों की ऐसी कोई समस्या ही नहीं है. एक सवाल पर दो मंत्रियों का अलग-अलग जवाब आया है. सच क्या है ?
सपा नेता ने उठाया प्रश्न
सदन से बाहर सपा के सदस्य मनोज पांडे ने कहा कि, प्रदेश में किसानों को आवारा जानवरों से क्षति हो रही है. क्या सरकार उसका आकलन कराकर नुकसान की भरपाई उसको आपदा के रूप में किसानों को देगी. इस सवाल पर सरकार ने कहा कि प्रदेश में ऐसी कोई समस्या नहीं है. जबकि प्रदेश में छुट्टा जानवरों की बाढ़ से किसानों को अपना खेत बचाने में के लिए जाड़ा, गर्मी, और बरसात में भी खेतों में रहना पड़ रहा है.
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किसान दे रहे खेतों में ड्यूटी
किसान खेतों की चौकीदारी कर रहा है. महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग भी खेत में अपनी ड्यूटी दे रहे हैं. बावजूद इसके खेती नहीं बचा पा रही है. जानवरों से खेत को बचाने में सैकड़ों की संख्या में लोग घायल हो गए हैं. लोगों की मृत्यु हो गई है. वहीं पुलिस विभाग की वेबसाइट बता रही है कि जानवरों से हुए रोड एक्सीडेंट में मृत्यु में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन हमें बड़ा आश्चर्य हो रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार का जो जवाब आया है वह संवेदनहीन जवाब है.