लखनऊः योगी कैबिनेट ने देश के सबसे लंबे मार्ग गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के क्रियान्वयन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। इसके अंतर्गत गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के जिलेवार संरेखण को स्वीकृति दी गई है. परियोजना की अनुमानित लागत 36 हजार 402 करोड़ रुपये को भी सैद्धांतिक अनुमति दी गई है।
परियोजना से जुड़े इन प्रस्तावों को भी दी गई स्वीकृतिपरियोजना के लिए ग्राम सभा के स्वामित्व की भूमि निःशुल्क उपलब्ध कराने, परियोजना के लिए भूमि अधिग्रहण के लिए वार्षिक बजट, हाडको से उनकी शर्तों के अधीन लिए जाने वाले ऋण के लिए प्रस्तावित प्रक्रिया, परियोजना के लिए अतिरिक्त वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस- वे के मुद्रीकरण की प्रस्तावित प्रक्रिया, आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के मोनेटाइजेशन के लिए टोल, ऑपरेट एवं ट्रांसफर पद्धति अपनाने के लिए तकनीकी परामर्शी चयनित करने के लिए प्रस्तावित प्रक्रिया को भी स्वीकृति प्रदान की गई है।
भविष्य में निर्णय के लिए सीएम योगी अधिकृतमंत्री परिषद ने गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के क्रियान्वयन को लेकर निर्णय लिया है कि आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे के मुद्रीकरण से प्राप्त होने वाली धनराशि को राजकोष में जमा किया जाएगा। इसके पश्चात धनराशि को बजट के माध्यम से निकाला जाएगा। मंत्रिपरिषद ने आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से जुड़े प्रस्तावित शासकीय समिति की अनुशंसा पर नीतिगत निर्णय लेने के लिए मुख्यमंत्री को अधिकृत किया है।
पीपीपी मॉडल पर निवेशक तलाशे जाएंगेकैबिनेट ने परियोजना के सिविल निर्माण के वित्त पोषण के लिए प्रस्तावित प्रक्रिया के अनुसार संभावनाएं तलाशने का भी निर्णय लिया है। इन संभावनाओं में पीपीपी टोल मॉडल पर निवेशकों को आमंत्रित किया जाएगा। यदि पीपीपी मोड में कार्य को पूर्ण करने में कठिनाई होती है तो प्रशासकीय विभाग के विकल्प पर विचार किया जाएगा। इस संबंध में यूपीडा को समय से सभी कार्यवाहियां करने के लिए कहा जाएगा।
एसबीआई होगी वित्तीय सलाहकारनिर्णय के अनुसार परियोजना के निर्माण के लिए प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के विकल्प पर भी सैद्धांतिक अनुमोदन प्रदान किया गया है। साथ ही वित्तीय सलाहकार के रूप में एसबीआई कैपिटल मार्केट लिमिटेड को नामांकन के आधार पर आबद्ध करने के प्रस्ताव का भी मंत्रिपरिषद ने अनुमोदन प्रदान कर दिया है।
कर्मचारियों की तैनाती पर भी बनी सहमतिकैबिनेट ने परियोजना के समय बद्ध एवं गुणवत्तापूर्ण निर्माण के लिए तकनीकी, राजस्व एवं वित्त के साथ ही अन्य क्षेत्रों से संबंधित कर्मचारियों के पदों का सृजन करके तैनाती के लिए सैद्धांतिक सहमति प्रदान कर दी है। पदों का सृजन सक्षम स्तर के अनुमोदन से किया जाएगा।
विकास को मिलेगी गतिगंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना के निर्माण से गंगा नदी के लगभग समानांतर हरिद्वार से प्रयागराज होते हुए वाराणसी तक सुगम आवागमन संभव हो सकेगा। यह प्रदेश के सामाजिक एवं आर्थिक विकास में अत्यंत सहायक होगा। इस एक्सप्रेस-वे के निर्माण से हल्दिया से वाराणसी तक निर्मित होने वाले जलमार्ग के माध्यम से आने वाला यातायात प्रयागराज होते हुए दिल्ली एवं अन्य प्रदेशों तक आसानी से जा सकेगा।
यूपीडा नोडल एजेंसी नामितगंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना (मेरठ से प्रयागराज तक) के निर्माण के लिए परियोजना के स्वामित्व एवं क्रियान्वयन के लिए यूपीडा को नोडल एजेंसी नामित किया गया है। यह एक्सप्रेस-वे मेरठ-बुलंदशहर मार्ग (राष्ट्रीय राजमार्ग-334) से (बिजौली ग्राम से समीप) से प्रारंभ होकर राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या- 19 (पुराना राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या-2) के प्रयागराज बाईपास पर प्रयागराज के जुडापुर दांदू गांव के समीप मिलेगा।
इन जिलों से होकर निकलेगा एक्सप्रेस-वेगंगा एक्सप्रेस-वे की अनुमानित लंबाई 594 किलोमीटर है। इससे मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, अमरोहा, संभल, बदायूं, शाहजहांपुर, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली और प्रयागराज जिले लाभान्वित होंगे। गंगा एक्सप्रेस-वे परियोजना से बड़ी संख्या में रोजगार सृजन भी होगा।