लखनऊ : राष्ट्रपति चुनाव के विपक्ष के उम्मीदवार यशवंत सिन्हा ने गुरुवार को लखनऊ में प्रमुख विपक्ष के नेता अखिलेश यादव व जयंत चौधरी से मुलाकात की. नेताओं से मुलाकात के बाद यशवंत सिन्हा ने सपा कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस की. प्रेस कॉन्फ्रेंस में यशवंत सिन्हा ने कहा कि भारत को खामोश राष्ट्रपति नहीं, बल्कि अपने विवेक से कार्य करने वाला राष्ट्रपति चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर वह राष्ट्रपति चुने जाते हैं, तो सिर्फ संविधान के प्रति उत्तरदायी होंगे. इस मौके पर आरएलडी अध्यक्ष जयंत चौधरी भी मौजूद रहे. हालांकि सुभासपा चीफ ओपी राजभर ने दूरी बनाई थी.
यशवंत सिन्हा ने कहा कि विपक्ष ने संविधान और लोकतंत्र बचाने के लिए मुझे राष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है. यशवंत सिन्हा ने कहा कि इस बार का राष्ट्रपति चुनाव असाधारण किस्म का है. वह इसलिए, क्योंकि देश में जो हालात हैं उससे समाज कई हिस्सों में बंट गया है. बड़ी घटना पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी चुप हो जाते है. देश में अशांत और असाधारण स्थिति है. संविधान के मूल्य खत्म किए जा रहे हैं. अगर ऐसे ही चलता रहा, तो एक दिन संविधान अर्थहीन हो जाएगा. सिन्हा ने कहा कि लखनऊ से मेरा गहरा नाता रहा है.
इस मौके पर उन्होंने सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव की लंबी आयु की कामना की. उन्होंने कहा कि मैं मुलायम सिंह यादव की दीर्घायु की कामना करता हूं. उन्होंने कहा कि चौधरी अजित सिंह से भी मेरे अच्छे संबंध रहे हैं. स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ को अपनी कर्मभूमि बनाया, लेकिन अफसोस है कि आज उनकी पार्टी कहां से कहां पहुंच गई है. यशवंत सिन्हा ने कहा 'भारत को आज खामोश राष्ट्रपति नहीं चाहिए. एक ऐसा व्यक्ति चाहिए, जो हालात को समझ सके और उनसे निपट सके. उन्होंने कहा की मौजूदा राष्ट्रपति एक खास जाति वर्ग से आते है. लेकिन उस वर्ग का विकास नही हो सका. उन्होंने कहा की जरूरी नही कि एक जाति के व्यक्ति को बढ़ाकर समूह का विकास किया जा सके.
वहीं, सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने कहा कि देश को समय पर राष्ट्रपति मिले, लेकिन यशवंत सिन्हा से बेहतर कोई उम्मीदवार नहीं है. उन्होंने कहा कि हमारी पार्टी और साथ के दल यशवंत का समर्थन करेंगे. राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष के उम्मीदवार को समर्थन देने के लिए रालोद विधायकों को लेकर जयंत चौधरी सपा कार्यालय में पहुंचे थे. लेकिन सपा के सहयोगी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के विधायक इस बैठक में शामिल नहीं हुए न ही सुभासपा चीफ ओम प्रकाश राजभर मौजूद रहे.