लखनऊः हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने नोएडा अथॉरिटी के तत्कालीन चीफ इंजीनियर यादव सिंह के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति मामले में दर्ज केस के सह अभियुक्त चार्टर्ड एकाउंटेंट मोहन लाल राठी के सरकारी गवाह बन जाने के बाद भी उसके खिलाफ मनी लान्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम के तहत चल रहे केस को खारिज करने से इंकार कर दिया है.
यह आदेश न्यायमूर्ति सुभाष विद्यार्थी की एकल पीठ ने याची मोहन लाल राठी की ओर से दाखिल याचिका को खारिज करते हुए पारित किया. अपने आदेश में कोर्ट ने कहा कि भले ही याची को आय से अधिक सम्पत्ति मामले में सरकारी गवाह बन जाने के कारण विशेष अदालत ने उसे सीआरपीसी की धारा 306 के तहत क्षमादान दे दिया हो किन्तु यह केस अलग है और यदि याची इस केस में भी क्षमादान पाना चाहता हो तो उसे विशेष अदालत के समक्ष इस केस के सारी परिस्थितियों केा रखकर इस केस में भी क्षमादान की मांग कर सकता है.
कोर्ट ने कहा कि सीआरपीसी की धारा 482 के तहत याची को इस स्तर पर कोई राहत नहीं दी जा सकती है. दरअसल करोड़ों के आय से अधिक सम्पत्ति केस में यादव सिंह, उसके परिवार और अन्य के खिलाफ 2015 में केस दर्ज किया गया. याची यादव सिंह का चार्टर्ड एकांउटेंट था. इस केस में याची के खिलाफ भी आरेाप पत्र दाखिल हुआ. सुनवाई के दौरान याची ने विशेष अदालत में सरकारी गवाह बनने की अर्जी दी जिसे मानते हुए उसे क्षमादान दे दिया. बाद में प्रवर्तन निदेशालय ने भी यादव सिंह आदि के साथ-साथ याची के खिलाफ मनी लांड्र्रिग रोकथाम अधिनियम के तहत मामला दर्ज कराया जिस पर विशेष अदालत ने याची को विचारण के लिए तलब किया.
इसी केस को याची ने चुनौती देकर खारिज करने की मांग की थी. याचिका का विरेाध करते हुए प्रवर्तन निदेशालय के अधिवक्ता का तर्क था कि मुख्य केस में सरकारी गवाह बनकर क्षमादान पा लेने से इस केस में स्वतः उसका प्रभाव नहीं होगा जब तक कि इस केस में भी याची सरकारी गवाह नहीं बना जाता.
ये भी पढ़ेंः यादव सिंह मामले में CBI ने दाखिल की 3 चार्जशीट, टेंडर में गड़बड़झाले का आरोप
ये भी पढ़ेंः प्रयागराज: हाईकोर्ट ने यादव सिंह को जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया